फाइलेरिया के एंडेमिसिटी का पता लगाने के लिए चलेगा नाइट ब्लड सर्वे
जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग अब रात का युद्ध छेड़ने जा रहा है. जिले में जल्द ही नाइट ब्लड सर्वे, जिसे स्थानीय स्तर पर नाइट वार भी कहा जा रहा है शुरू किया जायेगा.
छपरा. जिले में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग अब रात का युद्ध छेड़ने जा रहा है. जिले में जल्द ही नाइट ब्लड सर्वे, जिसे स्थानीय स्तर पर नाइट वार भी कहा जा रहा है शुरू किया जायेगा. इस अभियान के तहत हर प्रखंड में दो-दो सर्वे साइट एक स्थायी और एक अस्थायी स्थापित किये जायेगे. जहां रात आठ बजे से 20 वर्ष या उससे अधिक उम्र के लोगों का ब्लड सैंपल लेकर माइक्रो फाइलेरिया की जांच की जायेगी. इस सर्वे का मुख्य उद्देश्य जिले में फाइलेरिया की एंडेमिसिटी का पता लगाना है. ताकि भविष्य की दवा वितरण और रोकथाम रणनीति अधिक प्रभावी तरीक़े से बनाई जा सके. नाइट ब्लड सर्वे को सफल बनाने के लिये आज जिला स्तर पर स्वास्थ्य कर्मियों को विशेष प्रशिक्षण दिया गया. प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने की. प्रशिक्षण में जिला वेक्टर रोग सलाहकार सुधीर कुमार, डीपीएम अरविंद कुमार और पिरामल के एसपीएल चंदन कुमार ने नाइट सर्वे की तकनीकी प्रक्रिया, सैंपल कलेक्शन, सुरक्षा मानकों और रिपोर्टिंग से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं को विस्तार से समझाया. प्रशिक्षण में सीएचओ, बीसीएम, वीबीडीएस, बीएचआई, बीएचडब्ल्यू और हेल्थ एजुकेटर शामिल हुए। सभी कर्मियों को नाइट ब्लड सर्वे की प्रक्रिया, माइक्रोफाइलेरिया की पहचान, स्लाइड तैयार करने, सैंपल संरक्षण और डेटा रिपोर्टिंग की विस्तृत जानकारी दी गयी.जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि जिले में 15 से 20 दिसंबर तक नाइट ब्लड सर्वे अभियान चलेगा. सर्वेक्षण का कार्य रात 8:30 बजे से प्रारंभ होगा और प्रत्येक स्थल से लगभग 300 रक्त नमूने लिए जायेगे. इस सर्वेक्षण में 20 वर्ष या उससे अधिक आयु वर्ग के व्यक्तियों के ब्लड सैंपल लिये जायेगे. जिससे माइक्रो फाइलेरिया परजीवी की उपस्थिति का पता लगाया जा सके. प्रत्येक चयनित स्थल पर पांच सदस्यीय टीम गठित की जायेगी, जिसमें एक लैब टेक्नीशियन एक कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर, एक एएनएम, एक आशा कार्यकर्ता और एक अन्य कर्मी शामिल रहेंगे. फाइलेरिया एक परजीवी जनित रोग है, जो क्यूलैक्स मच्छर के काटने से फैलता है. यह रोग धीरे-धीरे शरीर में जड़ जमा लेता है और वर्षों बाद हाथ-पैरों या जननांगों में सूजन पैदा करता है. जिसे हाथीपांव कहा जाता है. इस बीमारी की सबसे खास बात यह है कि फाइलेरिया के परजीवी रात के समय रक्त में अधिक सक्रिय रहते हैं.
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