Chhapra News : बनिया हसनपुर में दो दिवसीय घोड़ा लुटावन पुत्र पावन मेला आज होगा शुरू

Chhapra News : सारण जिले के तरैया प्रखंड स्थित माधोपुर पंचायत के बनिया हसनपुर गांव में स्थित अमरनाथ बाबा के स्थान पर इस बार चैत विजयदशमी के अवसर पर "घोड़ा लुटावन पुत्र पावन " मेला बड़े धूमधाम से आयोजित किया जायेगा.

By ALOK KUMAR | April 5, 2025 9:08 PM

तरैया. सारण जिले के तरैया प्रखंड स्थित माधोपुर पंचायत के बनिया हसनपुर गांव में स्थित अमरनाथ बाबा के स्थान पर इस बार चैत विजयदशमी के अवसर पर “घोड़ा लुटावन पुत्र पावन ” मेला बड़े धूमधाम से आयोजित किया जायेगा. यह मेला अपनी लोक परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है और यहां हर साल लाखों श्रद्धालु मन्नत मांगने आते हैं. इस मेले की शुरुआत 1978 में हुई थी और तब से यह स्थल अपनी खास परंपरा और उत्सव के लिए मशहूर है. मेले का मुख्य आकर्षण है मिट्टी के घोड़े अर्पित करना और उसे लूटने की परंपरा, जिसे श्रद्धालु अपनी इच्छाओं को पूरी करने के लिए करते हैं. अब जबकि विज्ञान और तकनीकी युग में कदम रखा जा चुका है, लोग अपने बेटे की कामना के लिए बाबा के स्थान पर मिट्टी के घोड़े अर्पित करते हैं. वहीं, श्रद्धालु अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के बाद उसी घोड़े को लूटने की परंपरा निभाते हैं. इस दिन मेले में महिलाओं की अपेक्षा युवक-युवतियां अधिक संख्या में भाग लेते हैं और वे मन्नत पूरी होने के बाद घोड़े लूटने के लिए आसपास के रास्तों पर तैयार रहते हैं. यह मेला तरैया, मढ़ौरा, मसरख, छपरा, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पटना, गोपालगंज, मोतिहारी, और चंपारण जैसे जिलों से श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है. इस मेले को लेकर तरैया प्रखंड प्रमुख और माधोपुर पंचायत समिति सदस्य प्रीति कुमारी के प्रतिनिधि धनवीर कुमार सिंह विक्कू ने बताया कि 15वीं वित्त आयोग की राशि से अमरनाथ बाबा के स्थान पर चबूतरे का निर्माण किया गया है. साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रम और रंगमंच का निर्माण कार्य भी चल रहा है. इस स्थल पर सीमेंटेड घोड़े की रंगाई और साफ-सफाई का कार्य भी अंतिम दौर में है. माधोपुर पंचायत के मुखिया और जदयू नेता सुशील सिंह ने इस स्थल को पर्यटन स्थल के रूप में घोषित करने की मांग की है. वहीं, ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि यह स्थल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकता है और इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था में भी सुधार हो सकता है. पुजारी मुसाफिर सहनी ने बताया कि श्रद्धालु सच्चे मन से मन्नत मांगते हैं और बाबा उनकी इच्छाओं को पूरा करते हैं. हर साल चैत माह की दशमी तिथि को इस स्थल पर पूजा-अर्चना के साथ एक विशाल मेला आयोजित होता है, जिसमें श्रद्धालु पूरे श्रद्धा भाव से शामिल होते हैं. पूजा के बाद श्रद्धालु घोड़े चढ़ाने और लूटने की परंपरा निभाते हैं, जो इस मेले की खासियत है.

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