ईश्वर की भक्ति में मन रमाने से ही कष्टों से मुक्ति संभव : ऋचा मिश्रा
ईश्वर की कथा अमृत के समान है और इससे श्रवण से मनुष्य के ज्ञान चक्षु खुलते हैं. इसलिए हर इंसान को ईश्वर की भक्ति में मन रमाना चाहिए.
दिघवारा. ईश्वर की कथा अमृत के समान है और इससे श्रवण से मनुष्य के ज्ञान चक्षु खुलते हैं. इसलिए हर इंसान को ईश्वर की भक्ति में मन रमाना चाहिए. ईश्वर के शरणागत होने से ही कष्ट से मुक्ति संभव है. उक्त बातें नगर पंचायत के माल गोदाम के सामने गीता जयंती समारोह समिति द्वारा आयोजित हो रहे गीता जयंती साप्ताहिक समारोह के 31 वें वार्षिकोत्सव के दूसरे दिन बुधवार को श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए अयोध्या से पधारी देवी ऋचा मिश्रा ने कहीं. कृष्ण गोपाल हरे भजन से अपने प्रवचन की शुरुआत करते हुए उन्होंने कहा कि इंसान के पास तन,मन और धन होता है मगर भगवान को इंसान के तन और मन की जगह उनके भाव पसंद है. वे भाव के ही भूखे होते हैं.ईश्वर को सब पता है और वे लीला रचकर भक्त की परीक्षा लेते हैं. ऋचा मिश्रा ने कहा कि गीता का हर शब्द अमृत के समान है और इसके हर शब्द संपूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए लाभकारी हैं. उन्होंने कहा कि कोई मानव स्वतंत्र नहीं है,केवल परमात्मा ही पूर्णरूपेण स्वतंत्र हैं.जीव तो कई बंधनों में बंधा हुआ है और बंधनों से मुक्त होने की सोच के साथ ही वह दुनिया को अलविदा कह जाता है. परमात्मा के स्वरूपों की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि ईश्वर के लिए यह संसार खिलौना है. उन्होंने ईश्वर के विभिन्न रूपों की चर्चा करते हुए उनके रूपों की विस्तार से व्याख्या की. उन्होंने कहा कि आज का मानव ईश्वर के स्वरूपों को मानने को तैयार नहीं है. केवल कष्ट में भी लोगों को भगवान याद आते हैं.एक प्रसंग की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि भौतिक सुख सुविधाओं का लाभ दिलवाने वाले लोगों की स्तुति होती है मगर मानव शरीर की रचना करने वाले ईश्वर के लिए इंसान के पास समय नहीं है. उन्होंने कहा कि सनातनियों को एक जुट होने की आवश्यकता है और हर धार्मिक आयोजनों में सनातनियों को एकजुट होकर सहयोग देने की जरूरत है. प्रवचन के दौरान तूने गजब रचा भगवान, खिलौना माटी का, मुक्ति का कोई जतन कर लें, रोज थोड़ा थोड़ा हरि का भजन कर लें आदि कई भजनों के सहारे श्रोताओं को भक्तिरस में सराबोर करने की हरसंभव कोशिश की. दूसरे दिन के प्रवचन में सीताराम प्रसाद, राधेश्याम प्रसाद, डॉ अरविंद कुमार, अधिवक्ता मुनिलाल, रंगकर्मी मोहनशंकर प्रसाद, मोहन शंकर प्रसाद, रमेश वैश्य, सूर्यनारायण प्रसाद, कमलेश दुबे, गजेंद्र उपाध्याय, अरुण कुमार, प्रो सुनील कुमार सिंह, अरुण सिंह, अमरेंद्र चौरसिया, रत्नेश कुमार सरीखे सैकड़ों श्रद्धालु प्रवचन की अमृतवर्षा में गोते लगाते देखे गए.
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