Saran News : कभी बैलगाड़ी से तय होती थी मतदान केंद्र की दूरी, रास्ते में गूंजते थे लोकगीत

अस्सी नब्बे के दशक तक मतदान केंद्र तक जाने का कुछ अलग ही उत्साह होता था. तब बूथों की संख्या भी कम होती थी और घर से मतदान केंद्र दूर होने के कारण आने-जाने में समय भी लगता था.

By ALOK KUMAR | October 21, 2025 9:55 PM

छपरा. अस्सी नब्बे के दशक तक मतदान केंद्र तक जाने का कुछ अलग ही उत्साह होता था. तब बूथों की संख्या भी कम होती थी और घर से मतदान केंद्र दूर होने के कारण आने-जाने में समय भी लगता था. लिहाज घर के मुखिया चुनाव के एक दिन पहले ही शाम में अपनी बैलगाड़ी को ठीक-ठाक कर लेते थे.

बांस की कमाची और तिरपाल से बैलगाड़ी को छत दी जाती थी जिससे घर की महिलाएं आराम से उसमें बैठकर मतदान केंद्र तक पहुंच सकें. घर से आधा या एक किलोमीटर दूर मतदान केंद्र तक जाने के लिये महिलाएं सज-संवर के बैलगाड़ी में बैठती थीं. गांव के कच्चे रास्ते और मतदान केंद्र बैलों की घंटियों से निकल रहे स्वर के साथ गुलजार हो जाते थे. आज भी सारण के कई गांवों में ऐसी झलक देखने को मिल जाती है.

मतदान के दिन ही होती थी नइकी बहुरिया की मुंह दिखायी

वोटिंग वाले दिन घूंघट ओढ़े माहिलाएं मतदान केंद्रों तक पहुंचती थीं. शहर के सरकारी बाजार निवासी 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला शारदा सहाय बताती हैं कि गांव की बुजुर्ग महिला वोट देने के बाद घर वापस लौटते क्रम में ही वोट देने जा रही नयी बहुरानियों की मुंह दिखाई करती थीं. वोट देने के बहाने महिलाओं का एक दूसरे से मिलना-जुलना भी हो जाता था और वोट देकर अपने अधिकारों का अहसास भी हो जाता था.

लोकगीतों को भी मिलता था स्वर

बैलगाड़ी या अन्य साधनों से मतदान केंद्रों तक पहुंचने वाली माहिलायएं आने-जाने के क्रम में अपना मनोरंजन भी अपने तरीके से करती थीं. पारंपरिक लोकगीतों को एक साथ स्वर देती थीं. जो मतदान के दिन अन्य लोगों को भी जागरूक करने का एक माध्यम होता था. सारण जिला के जलालपुर की मुन्नी देवी बताती हैं कि जब उनकी शादी हुई थी उस समय घर से बाहर निकलना बहुत कम होता था. शादी के बाद पहली बार गांव की अन्य महिलाओं के साथ बैलगाड़ी में बैठ कर मतदान केंद्र पहुंची. तब गांव की कुछ बुजुर्ग माहिलायएं लोकगीत गाते हुए मतदान केंद्र तक पहुंची थी.

क्या कहते हैं लोग

पहले गांव की महिलाएं बैलगाड़ी में बैठकर वोट देने जाती थीं. आज बहुत कुछ बदल गया है. हालांकि मतदान के दिन बूथ तक जाने का उत्साह आज भी बरकरार है. आज संसाधन और सुविधाएं बढ़ी हैं. ज्यादा से ज्यादा महिलाओं को अपने मताधिकार का प्रयोग करना चाहिये.मुन्नी देवी, गृहणीअस्सी के दशक में गांव का चंवर पार कर वोट देने जाना पड़ता था. आज मतदान केंद्र काफी नजदीक है. तब लोकगीतों के साथ मतदान केंद्र तक पहुंचने का अलग ही उत्साह रहता था. नयी दुल्हनों की तो उस दिन मुंहदिखाई भी हो जाती थी.शशि देवी, गृहणी

लोकतंत्र के इस महापर्व में महिलाओं की भागीदारी पहले से अधिक हुई है. पहले महिलाएं बहुत कम संख्या में घरों से निकलती थीं. लेकिन अब माहौल बदला है. प्रशासन द्वारा भी समुचित सुविधा उपलब्ध करायी जा रही है. ऐसे में महिलाओं को अपने मताधिकार का प्रयोग जरूर करना चाहिए.प्रीति सिंह, शिक्षाविद

लोकतंत्र के इस महापर्व में अपने मताधिकार का प्रयोग करने के लिए मैं अभी से उत्साहित हूं. जब छोटी थी तब गांव के लोगों को एकजुट होकर बूथ तक वोट देने जाते देखती थी. अब हमें भी यह अवसर मिल रहा है. इस बात का गर्व है. शादी के बाद मैं पहली बार वोट देंगे जाऊंगी.

खुशी कुमारी, नवविवाहित

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