200 वर्ष पुराने सदर अस्पताल के भवन अब होंगे जमींदोज, बनेगी नयी बिल्डिंग
लगभग दो शताब्दी पुराने अंग्रेजो के समय में बने सदर अस्पताल का खंडहरनुमा भवन अब इतिहास बनने जा रहा है.
छपरा. लगभग दो शताब्दी पुराने अंग्रेजो के समय में बने सदर अस्पताल का खंडहरनुमा भवन अब इतिहास बनने जा रहा है. इसके स्थान पर नये आधुनिक भवन का निर्माण कराया जायेगा. शनिवार को ठेकेदारों की टीम ने पुराने भवन को गिराने का कार्य प्रारंभ कर दिया. बताया जाता है कि करीब 200 वर्ष पूर्व अंग्रेजों ने चूना और सुरखी के मिश्रण से इस भवन का निर्माण कराया था. निर्माण की गुणवत्ता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 20 इंच मोटी दीवारों वाले इस भवन पर वर्षों से पीपल, बड़-पाकड़ सहित दर्जनभर विशालकाय पेड़ जमे हुए हैं. इतना बोझ सहने के बावजूद भवन की दीवारों में केवल दरारें आयी, लेकिन संरचना आज भी मजबूती से खड़ी है. स्थानीय लोगों ने बताया कि इतने पुराने साल के बाद भी इसमें उपयोग की जाने वाली सामग्री बिल्कुल ही अच्छी ढंग में है. वही इसका मजबूत ढांचा आज भी इंजीनियरिंग का उत्कृष्ट उदाहरण देता है. स्वास्थ्य विभाग में नए भवन निर्माण की स्वीकृति मिलने के बाद अब इस ऐतिहासिक इमारत को हटाया जा रहा है ताकि आधुनिक स्वास्थ्य सुविधाओं से लैस अस्पताल जल्द तैयार हो सके.अब बनेगा 50 बेड का आधुनिक सीसीयू विभागइस पुराने सदर अस्पताल के जर्जर भवन को गिराने का कार्य शुरू होते ही कई विषैले सांप निकल आये हैं. अब तक आधा दर्जन से अधिक सांप पकड़े गये हैं, जबकि भवन के अंदर और भी बड़े सर्प छिपे होने की आशंका है. इस खंडहर को गिराना भी एक चुनौती बन गया है. इस भवन की जगह अब 50 बेड क्षमता वाला अत्याधुनिक सीसीयू (हृदय चिकित्सा इकाई) बनाया जा रहा है. इसके निर्माण से हार्ट अटैक और गंभीर हृदय रोगियों को यहीं पर तत्ककाल इलाज मिल सकेगा. अब मरीजों को बाहर रेफर करने की जरूरत काफी हद तक कम हो जायेगी.
साह बनवारी लाल ने दी थी जमीन
जानकारी के अनुसार सदर अस्पताल के पुराने भवनों का निर्माण सन 1856 ईस्वी में हुआ था. अस्पताल निर्माण के लिए शहर के एक प्रसिद्ध व्यवसायी व समाजसेवी साह बनवारी लाल ने जमीन दान में दी थी. जिसके बाद अंग्रेजों ने यहां पर अस्पताल का निर्माण कराया था. उस समय सदर अस्पताल में ओपीडी व इमरजेंसी का भी संचालन हुआ करता था. आज भी कई लोग सदर अस्पताल के पुराने बिल्डिंग को देखने आते हैं. लेकिन अब कुछ दिनों में यह बिल्डिंग इतिहास बनकर रह जायेगी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
