मृत मान चुके पति को जब पत्नी ने छह वर्षों बाद देखा, तो फूट पड़ी अश्रुधारा, ….जानें क्या है मामला ?

छपरा : पानापुर थाना क्षेत्र के मोरिया गांव निवासी देवांती देवी की खुशी का ठिकाना नहीं है. उसे शुक्रवार को वह खुशी मिली, जिसकी आस वह छोड़ चुकी थी. छह साल पहले उसका पति रामबालक (45 वर्षीय)बच्चों के भविष्य को संवारने का सपना लिये कमाने परदेश गया था. वह अपने जान-पहचानवालों के साथ पंजाब कमाने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 24, 2017 10:24 PM

छपरा : पानापुर थाना क्षेत्र के मोरिया गांव निवासी देवांती देवी की खुशी का ठिकाना नहीं है. उसे शुक्रवार को वह खुशी मिली, जिसकी आस वह छोड़ चुकी थी. छह साल पहले उसका पति रामबालक (45 वर्षीय)बच्चों के भविष्य को संवारने का सपना लिये कमाने परदेश गया था. वह अपने जान-पहचानवालों के साथ पंजाब कमाने के लिए गया था. लेकिन, वहां जाने के बाद से उसका कोई समाचार नहीं आया. उसकी पत्नी छह वर्षों से उसकी खोज-खबर के लिए तरसती रही. अंत में हार थक कर रामबालक की पत्नी ने देवांती देवी ने पति को मृत मानते हुएउसकी हत्या कर दिये जाने अदालत में परिवाद दायर कर दिया. उसने अपने पड़ोसियों पर ही हत्या कर शव गायब कर देने का आरोप लगाया.

आज करीब छह वर्षों बाद शुक्रवार को पति के इंतजार में पथरा गयीं देवांती देवी की नजरों ने जब रामबालक को देखा, तो आंखों से अश्रुधारा फूट पड़ी. यह खुशी के आंसू थे. आधा युग बीतने के बाद परिजनों से मिल कर रामबालक भी भाव-विह्वल हो गया. उसकी जुबां से भी कोई शब्द प्रस्फुटित नहीं हो रहे थे. दोनों की आंखें उनके प्रेम की गहरायी बयां कर रही थी. रामबालक को उसे अपने बच्चों का भविष्य संवारने का सपना पूरा नहीं कर पाने का मलाल भी कचोट रहा था.

पानापुर थाना क्षेत्र के मोरिया गांव निवासी 45 वर्षीय रामबालक आज से करीब छह साल पहले गांव के ही कुछ लोगों के साथ कमाने के लिए पंजाब गया था. रामबालक के मुताबिक, वहां काम करने के दौरान कुछ गलत व्यक्तियों के चंगुल में फंस गया. उसे वहां कैद कर मजदूरी कराया जाता था. अपनी आपबीती सुनाते हुए उसने बताया कि उसे सिर्फ खाना मिलता था और किसी से बात भी नहीं करने दिया जाता था. इधर, जब रामबालक की कोई खोज खबर परिजनों को नहीं मिली, तो उसकी पत्नी देवांती देवी ने अदालत में परिवाद दायर कर पड़ोसियों पर ही हत्या कर शव गायब कर देने का आरोप लगाया.

न्याय के लिए पत्नी देवांती पुलिस पदाधिकारियों का चक्कर लगाते-लगाते थक चुकी थी. गरीबी और मुफलिसी का जीवन जीने को मजबूर देवांती ने किसी तरह अपनी पांच बेटियों में से दो के हाथ भी पीले कर दिये. इसी बीच पंजाब में खेत में काम करते रामबालक पर गांव के ही एक व्यक्ति की नजर पड़ी और उसने किसी तरह रामबालक को मुक्त कराया. करीब छह साल से गायब रामबालक को देख परिजनों में खुशी की लहर दौड़ गयी है.

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