अतिक्रमण के आगे बेबस ग्रामीण, मूकदर्शक बना है प्रशासन
अतिक्रमण के आगे बेबस ग्रामीण, मूकदर्शक बना है प्रशासन
नहरों के दोनों ओर की जमीन पर हो चुका है अवैध कब्जा रैयतों की जमीन पर भी नजर, होने लगा है हिंसक टकराव सीओ ने कहा, जल्द होगी सख्त कार्रवाई पतरघट. नयी सरकार गठन के बाद सरकार द्वारा अवैध अतिक्रमणकारियों के खिलाफ सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटाने को लेकर सख्त तथा ठोस कदम उठाया जा रहा है. लेकिन यहां पर प्रशासनिक अधिकारियों की लापरवाही व उदासीनता के कारण क्षेत्र के भू माफियाओं तथा अवैध अतिक्रमणकारियों द्वारा इन दिनों क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों में बिहार सरकार की जमीन का अवैध तरीकें से कब्जा कर दुकान और मकान बनाये जाने का सिलसिला लगातार जारी है. जबकि प्रशासन अब तक मूकदर्शक बना हुआ है. अवैध अतिक्रमणकारियों के दुस्साहस का आलम यह है कि इधर हाल के दिनों में क्षेत्र के सभी बड़ी व छोटी मुख्य सरकारी नहरों का अतिक्रमणकारियों के द्वारा अवैध तरीकें से कब्जा कर घर बसाये जाने की होड़-सी मच गयी है. मिली जानकारी के अनुसार अतिक्रमण किए गये नहरों में शामिल पस्तपार-जीरवा-पामा मुख्य नहर, कपसिया-कमलजडी-विशनपुर मुख्य नहर, पतरघट-लक्ष्मीपुर-तिलाठी मुख्य नहर, घोघनपट्टी मुख्य नहर सहित अन्य जगहों पर बड़ी संख्या में स्थानीय ग्रामीणों के द्वारा जबरन कब्जा जमाकर कच्चे-पक्के मकान, शौचालय, पशु शेड का निर्माण कार्य पूर्ण कर माल मवेशी को बांधे जाने के साथ-साथ सब्जी की खेती भी प्रमुखता से की जा रही है. आलम यह है कि नहर के दोनों हिस्सों में बनाए गये घर व आंगन को समतल बनानें के लिए नहर पर पूर्व में वन विभाग के द्वारा लगाये गये हरे भरे वृक्षों को काटकर जलावन के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है. जल संसाधन विभाग ने नहरों की साफ-सफाई, मरम्मत व मजबूती के लिए कुछ साल पूर्व करोड़ों की लागत से नहरों के ऊंचीकरण, चौड़ीकरण व मजबूतीकरण के नाम पर खानापूर्ति कर मामले का इतिश्री कर ली गयी. जबकि विभाग के द्वारा एक साल पूर्व नहरों पर अतिक्रमण कारियों के द्वारा किए गये कब्जे को अंचल प्रशासन व स्थानीय पुलिस के सहयोग से कपसिया बस्ती के समीप मुक्त कराया गया था. लेकिन वह पूरी तरह से कामयाब नहीं हो सका. अभी वर्तमान में पूर्व की ही तरह स्थिति कायम है. नहरों पर अतिक्रमणकारियों का फिर से कब्जा कायम हो गया है. विभागीय अधिकारियों की उदासीनता के कारण अतिक्रमणकारियों के द्वारा नहर के अगल-बगल स्थानीय भू स्वामियों की रैयती जमीन पर भी कब्जा करने का हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. जिसके कारण इधर हाल के दिनों में कई जगहों पर भू-स्वामी व अतिक्रमणकारियों के बीच हिंसक टकराव का दौर शुरू हो गया है. जल संसाधन विभाग की चुप्पी बनी चिंता का विषय भू स्वामियों ने अतिक्रमणकारियों के द्वारा किए गये कब्जा का जब विरोध किया जाता है तो सभी अतिक्रमणकारी सामूहिक रूप से एकत्रित होकर भू स्वामियों से मारपीट कर लड़ाई झगड़ा पर उतारू हो जाते हैं. नहर पर बसे अतिक्रमणकारियों के द्वारा रैयती जमीन पर अवैध कब्जा के कारण इधर हाल के दिनों में विशनपुर, कहरा, कमलजडी, कपसिया, पतरघट, लक्ष्मीपुर सहित अन्य जगहों पर तकरीबन एक साल पूर्व में हिंसक टकराव की घटना घटित हो चुकी है. टकराव की सूचना पाकर स्थानीय पुलिस के द्वारा हस्तक्षेप कर माहौल को तत्काल शांत तो कर दिया गया है. लेकिन यह कब विस्फोटक रूप धारण कर लेगा, यह कहना मुश्किल है. ऐसे में जल संसाधन विभाग की चुप्पी भू स्वामियों के लिए चिंता का सबब बना हुआ है. जबकि पूर्व में इस क्षेत्र में भू माफियाओं के द्वारा निजी रैयती जमीन का बिचौलियों की मिलीभगत से फर्जी कागजात बनाकर निरक्षर लोगों के हाथों मोटी रकम लेकर बेचे जाने से टकराव की स्थिति कायम है. नहरों की जमीन के साथ–साथ इधर पतरघट बाजार पस्तपार बाजार, गोलमा बैंक चौक सहित ग्रामीण क्षेत्र के सभी चौक चौराहों पर भी अतिक्रमणकारियों का बोलबाला कायम है. जबकि अंचल प्रशासन को इन अतिक्रमणकारियों के खिलाफ सख्त तथा कड़ी कार्रवाई की शुरुआत कर अतिक्रमण मुक्त करवाए जाने की दिशा में पहल किए जाने की सख्त जरूरत है. इस बाबत अंचल अधिकारी प्रिंस प्रकाश ने बताया कि अवैध अतिक्रमण के खिलाफ प्रशासन द्वारा बहुत जल्द ही सख्त तथा ठोस कार्रवाई की शुरूआत की जायेगी. जिसके लिए प्रशासनिक स्तर से अतिक्रमणकारियों को चिन्हित कर नोटिस भेजा जायेगा. अगर दिए गये नोटिस की अनदेखी की गयी तो प्रशासनिक स्तर से अतिक्रमणकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई बहुत जल्द देखने को मिलेगा.
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