सहरसा विधानसभा 2025 : हमें अपनों ने लूटा, गैरों में कहा दम था…

सहरसा विधानसभा 2025 : हमें अपनों ने लूटा, गैरों में कहा दम था...

By Dipankar Shriwastaw | October 31, 2025 7:00 PM

आंतरिक गुटबाजी ने राजनीतिक गर्मी चरम पर पहुंचा सहरसा . बिहार में बेमौसम बारिश ने जहां एक ओर ठिठुरन बढ़ा दी है, वहीं सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र में आंतरिक गुटबाज़ी ने राजनीतिक गर्मी को चरम पर पहुंचा दिया है. विधानसभा चुनाव की दस्तक के साथ ही यहां अपनों की नाराज़गी अब खुलकर सतह पर आने लगी है. हालात ऐसे हैं कि महागठबंधन हो या एनडीए, दोनों ही खेमों में घर के भेदी अपने ही किले को भीतर से कमजोर करने में जुटे हैं. महागठबंधन में असंतोष का उबाल महागठबंधन में शामिल प्रमुख पार्टी राजद के कई पुराने नेता इस बार के प्रत्याशी यूसुफ सलाउद्दीन को टिकट मिलने से खासे नाराज़ हैं. सूत्र बताते हैं कि टिकट घोषणा से पहले ही इन नेताओं ने सिमरी बख्तियारपुर में एक बैठक भी की थी और आलाकमान से सलाउद्दीन का टिकट काटने की अपील भी की थी. लेकिन आलाकमान ने तमाम विरोधों के बावजूद यूसुफ सलाउद्दीन पर भरोसा जताया और उन्हें पार्टी सिंबल थमा दिया. नतीजा यह हुआ कि कई स्थानीय दिग्गज अब प्रचार-प्रसार से दूरी बनाकर बैठे हैं. इसी तरह महागठबंधन की सहयोगी वीआईपी पार्टी में भी असंतोष खुलकर सामने है. सिमरी बख्तियारपुर सीट से वीआईपी के दावेदार को टिकट न मिलने का मलाल अब तक नहीं उतरा है. हालांकि बीते दिनों सलखुआ में जनसभा के दौरान वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी ने मंच से सब कुछ ठीक है का संदेश देने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय नेता के चेहरे कुछ और कहानी बयान कर रहे थे. एनडीए खेमे में भी सब कुछ ठीक नहीं उधर एनडीए में भी हालात बेहतर नहीं दिख रही. सिमरी बख्तियारपुर से लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने संजय सिंह को उम्मीदवार घोषित किया है. इस निर्णय से जदयू और भाजपा के कुछ स्थानीय नेता नाराज़ हैं. ऐसे नेता जो टिकट की उम्मीद लगाए बैठे थे, अब चुनावी मैदान से दूरी बना रहे हैं. पार्टी समर्थकों के लाख मनाने के बावजूद ये प्रचार में उतरने को तैयार नहीं. एक तरफ भाजपा का एक स्थानीय नेता सहरसा और परबत्ता क्षेत्र में प्रचार में व्यस्त है, वहीं दूसरे तबीयत खराब होने का बहाना कर घर पर ही आराम कर रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अपनों को सबक सिखाने के लिए यह खामोश बगावत जारी है. पिछली बार भी आंतरिक कलह ने डुबोई थी नाव यह पहली बार नहीं है जब सिमरी बख्तियारपुर की राजनीति में गुटबाज़ी ने किसी गठबंधन की राह कठिन की हो. पिछले विधानसभा चुनाव में भी एनडीए के अंदर विरोधी गुटों की खींचतान ने तब के उम्मीदवार मुकेश सहनी को भारी नुकसान पहुंचाया था. अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार संजय सिंह क्या जनता जनार्दन के दम पर यह बिखरी हुई नैया पार लगा पाते हैं या फिर आंतरिक कलह एक बार फिर एनडीए के अरमानों पर पानी फेर देती है.

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