एंबुलेंस के अंदर की सेवाओं की स्थिति चिंताजनक व खतरनाक

सरकार द्वारा शुरू की गयी 102 और 108 एंबुलेंस सेवाओं का उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों में मरीजों को त्वरित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है.

By Dipankar Shriwastaw | August 27, 2025 7:07 PM

एंबुलेंस में तैनात नहीं हैं इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन

सहरसा. सरकार द्वारा शुरू की गयी 102 और 108 एंबुलेंस सेवाओं का उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों में मरीजों को त्वरित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराना है. इन सेवाओं को जीवन रक्षक माना जाता है. लेकिन जिले के सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में शामिल एंबुलेंस की हकीकत इससे बिल्कुल अलग है. एंबुलेंस के अंदर की सेवाओं की स्थिति चिंताजनक और खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है. कहा जाता है कि एंबुलेंस में तैनात ईएमटी (इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन) कर्मियों की भूमिका मरीज की जान बचाने में बेहद महत्वपूर्ण होती है, लेकिन जिले में बड़ी संख्या में ऐसे कर्मी तैनात हैं, जिन्हें न तो ऑक्सीजन सिलिंडर का सही इस्तेमाल करना आता है और न ही प्राथमिक चिकित्सा प्रक्रियाओं की जानकारी है. कई बार देखा गया है कि जब मरीज की सांसें तेज चल रही होती हैं या उसे ऑक्सीजन की तुरंत जरूरत होती है, तब ईएमटी कर्मी सिलिंडर का रेगुलेशन नहीं कर पाते. यहां तक कि कई कर्मी यह भी नहीं पहचान पाते कि सिलिंडर भरा हुआ है या खाली. स्थिति इतनी गंभीर है कि एंबुलेंस में उपलब्ध दवाओं के नाम और उनके उपयोग तक की जानकारी भी कई ईएमटी को नहीं है. जबकि एंबुलेंस में रेफरल मरीजों को संतुलित रखने के लिए लगभग सभी आवश्यक दवाएं और उपकरण मौजूद रहते हैं. जानकारी के अभाव में ये दवाएं सही समय पर मरीज तक नहीं पहुंच पाती और कई गंभीर मरीज जान गंवा देते हैं.

ईएमटी को होना चाहिए दक्ष

चिकित्सकों का मानना है कि किसी भी प्रशिक्षित ईएमटी को ऑक्सीजन थैरेपी, बीपी जांच, प्राथमिक सीपीआर, ड्रिप चढ़ाना और अन्य आपात चिकित्सा प्रक्रियाओं में दक्ष होना चाहिए. लेकिन जिले के सरकारी अस्पतालों में तैनात कई ईएमटी या तो अधूरे प्रशिक्षण वाले हैं या व्यावहारिक अनुभव से वंचित हैं. सूत्रों की मानें तो इन ईएमटी कर्मियों की भर्ती प्रक्रिया भी सवालों के घेरे में है. एजेंसियों ने अपना हित साधने या उनके लोगों ने अपने व्यक्तिगत लाभ के लिए जल्दबाजी में कागजी योग्यताओं के आधार पर ही कई लोगों की नियुक्ति कर दी है. लेकिन प्रशिक्षण और व्यावहारिक ज्ञान महज औपचारिकताओं तक सीमित रह गया. इसका खामियाजा आज आम लोगों को अपनी जान देकर उठाना पड़ रहा है. ऐसे मामलों में कई बार मरीजों और उनके परिजनों में गहरी नाराजगी भी देखी गयी है. कई बार लोगों की दबी जुबां यह कहने से भी पीछे नहीं रहती कि यदि जीवन रक्षक कही जाने वाली एंबुलेंस ही लापरवाही का शिकार हो जाए तो यह पूरे स्वास्थ्य तंत्र पर सवाल खड़ा करता है.

ईएमटी कर्मियों की योग्यता की जांच की मांग

लोगों की मांग है कि जिले में तैनात सभी ईएमटी कर्मियों की योग्यता की फिर से जांच कराई जाये. अयोग्य पाये जाने वालों को तत्काल हटाकर योग्य कर्मियों को आवश्यक व्यावहारिक प्रशिक्षण उपलब्ध कराया जाये. इसके साथ ही एंबुलेंस में नियमित रूप से उपकरणों और दवाओं की जांच की व्यवस्था सुनिश्चित होनी चाहिए. ऑक्सीजन सिलेंडर, बीपी मशीन, दवाओं और जीवन रक्षक उपकरणों की उपलब्धता का रिकॉर्ड भी पारदर्शी तरीके से सार्वजनिक किया जाना चाहिए. लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि कोसी का पीएमसीएच कहे जाने वाले सदर अस्पताल सहित प्रखंड अस्पतालों में ऐसा कुछ भी नहीं किया जाता. जिससे एंबुलेंस सेवा लेने के बाद मरीजों की जान खतरे में ना पड़े. यदि प्रशासन ने इस पर तत्काल कार्रवाई नहीं की तो कभी भी कोई बड़ी त्रासदी सामने आ सकती है. सरकार की महत्वाकांक्षी एंबुलेंस सेवा तभी सार्थक होगी जब यह वास्तव में मरीजों की जान बचाने में सक्षम हो, न कि लापरवाही और कुप्रबंधन की वजह से मौत का कारण बने.

एंबुलेंस सेवा राज्य स्वास्थ्य समिति से चयनित एजेंसी है. इस पर कार्यरत ईएमटी कर्मी प्रशिक्षित होता है. लेकिन ईएमटी को लेकर जो जानकारी मिली है, उस पर एजेंसी से बात कर जांच करते हैं.

विनय रंजन, डीपीएम, जिला स्वास्थ्य समितिB

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