सहरसा : साल भर में कैंसर से 11 मरे, चार जीवन के लिए कर रहे संघर्ष

अधिकतर लोगों ने लिवर कैंसर से तोड़ा दम, तो कई की माउथ कैंसर से हुई है मौत, भय के साये में जी रहे लोग पानी में आंशिक आयरन, मरने वालों को नहीं थी किसी नशे की आदत सत्तरकटैया (सहरसा) : सहरसा जिले के सत्तरकटैया प्रखंड का सहरबा और उसके आसपास का गांव कैंसर जैसी गंभीर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 10, 2020 5:56 AM
अधिकतर लोगों ने लिवर कैंसर से तोड़ा दम, तो कई की माउथ कैंसर से हुई है मौत, भय के साये में जी रहे लोग
पानी में आंशिक आयरन, मरने वालों को नहीं थी किसी नशे की आदत
सत्तरकटैया (सहरसा) : सहरसा जिले के सत्तरकटैया प्रखंड का सहरबा और उसके आसपास का गांव कैंसर जैसी गंभीर व लाइलाज बीमारी से आक्रांत है. बीते साल भर के भीतर इन गांवों के लगभग दर्जन भर लोगों की मौत कैंसर से हो चुकी है.
जबकि, अभी लगभग इतने ही लोग इस बीमारी से पीड़ित हो अपने आखिरी सांस का इंतजार कर रहे हैं. मरने वालों में अधिकतर लीवर सिरोसिस से पीड़ित थे. कुछ माउथ कैंसर तो कुछ ब्लड कैंसर से भी मरे हैं. जबकि ब्रेस्ट कैंसर ने भी महिलाओं को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर दिया है. कैंसर से लगातार हो रही मौत के कारण पूरे गांव में दहशत का माहौल है. तबीयत थोड़ी सी भी बिगड़ने पर लोगों में भय समा जाता है और वे स्थानीय स्तर पर डॉक्टर से दिखाने के बाद बाहर की दौड़ लगाना शुरू कर देते हैं. इधर, सहरसा के सीएस डॉ ललन प्रसाद सिंह ने कहा कि यह मामला एचडब्ल्यूसी के जिम्मे आता है. आपके माध्यम से जानकारी मिली है, तो अतिशीघ्र इस अतिसंवेदनशील मामले की जांच कराता हूं.
बुखार हुआ और हो गये कैंसर से पीड़ित
सहरबा गांव के धर्मी यादव को बुखार हुआ. परिजनों ने सहरसा के चिकित्सकों से दिखाया. यहां जांच हुई. कुछ दिन दवा खिलाया. फिर पटना रेफर कर दिया. वहां हुई जांच में चौथे स्टेज का लिवर सिरोसिस बता दिया.
महीने भर के अंदर उनकी मौत हो गयी. इसी गांव के अवध यादव के मुंह में छाला हुआ. छाला घाव में परिणत हो गया. घाव विकराल होने पर पीएमसीएच रेफर हुए, जहां जांच में माउथ कैंसर बता डॉक्टर ने जवाब दे दिया. यहां आने के सप्ताह दिन के बाद उन्होंने भी दम तोड़ दिया. गांव के महावीर यादव भी लिवर सिरोसिस से पीड़ित हो मौत के मुंह में चले गये. हीरा यादव के जांघ में घाव हुआ. फिर यह घाव पेट से होता छाती व फिर मुंह में विस्तार होता गया.
पटना के बाद हरिद्वार से आयुर्वेद का इलाज कराया. लेकिन, लगभग छह महीने पूर्व मौत हो गयी. गांव की यशोदा देवी व तेजनारायण यादव की मौत भी लिवर कैंसर से हो गयी. जबकि, छेदी यादव की मौत प्रोस्टेट कैंसर से हो गयी. अभी हाल ही में दो फुटबॉलर मुकेश स्वर्णकार व कुमार गौतम की मौत का कारण भी लिवर सिरोसिस ही बना. ब्लड कैंसर से पीड़ित ललन यादव की भी असमय मौत हो गयी.
छह माह पूर्व मेनहा के उपेंद्र यादव की भी मौत लिवर कैंसर से हो गयी थी. गांव के रामनंदन यादव लिवर सिरोसिस से पीड़ित हैं व अभी पटना में इलाजरत हैं. इसी तरह मेनहा के दिलीप यादव माउथ कैंसर से पीड़ित हो मुंबई में इलाज करा रहे हैं. पुनीता देवी लिवर तो रूबी देवी ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं. आश्चर्य तो यह भी है कि मरने वाले या बीमार लोगों में से 99 प्रतिशत लोग किसी तरह के नशा की गिरफ्त में नहीं रहे हैं.
70 परिवारों के इस गांव की आबादी है करीब 650
सत्तरकटैया प्रखंड के सहरबा गांव की आबोहवा बहुत अच्छी है. लगभग 70 परिवार के इस गांव की आबादी करीब 650 है. यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती और मजदूरी है. लगभग 90 से 95 प्रतिशत लोगों की आजीविका यही है. यहां के लोग अनाज से लेकर दाल और साग-सब्जी तक खुद उपजाकर खाते हैं. लगभग सभी दरवाजे पर गाय अथवा भैंस भी है. लिहाजा दूध-दही की कमी नहीं होती है. गांव के लोग पानी के लिए चापाकल पर निर्भर हैं और पानी में आंशिक रूप से आयरन की मात्रा है. फिर भी कैंसर से लोगों के लगातार पीड़ित होने व मरने से पूरे गांव में भय का माहौल है.