Bihar Election Express: रूपौली में महंगाई से त्रस्त दिखी जनता, चौपाल में इन मुद्दों पर नेताओं को घेरा
Bihar Election Express: पूर्णिया के रुपौली विधानसभा क्षेत्र में लगी चौपाल में निर्दलीय विधायक शंकर सिंह के प्रतिनिधि विजय महतो, जनसुराज के नेता कुमार नरेंद्र, भाजपा नेता संजय जायसवाल और जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष कलाधर मंडल मुख्य रूप से मौजूद थे और जनता के सवालों का जवाब दिया.
Bihar Election Express: अखिलेश चंद्रा/सत्येंद्र सिन्हा, रुपौली. प्रभात खबर का इलेक्शन एक्सप्रेस गुरुवार को पूर्णिया के रुपौली विधानसभा क्षेत्र में पहुंचा. विधानसभा क्षेत्र के टीकापट्टी हाईस्कूल में आयोजित प्रभात खबर चौपाल के दौरान हर साल तबाही मचानेवाली बाढ़ की तबाही के साथ पलायन और रोजगार के मुद्दे हावी रहे. विधानसभा क्षेत्र से पलायन रोकने, युवाओं को रोजगार दिलाने, जलजमाव और कई इलाकों में सैलाब के संकट के स्थायी निदान के साथ खाद-बीज की महंगाई और भ्रष्टाचार पर भी लोग मुखर रहे. जनता के सवालों का जब दौर शुरू हुआ, तब सरकार के साथ नेताजी को भी घेरे में लिया गया. बाढ़ से फसलों की बर्बादी और फसल नुकसान की कोई भरपाई नहीं होने का मुद्दा भी लोगों ने प्रमुखता से रखा.
सवाल-जवाब के दौरान कई बार माहौल हुआ गर्म
चौपाल में सवाल-जवाब के दौरान कई बार लोग उत्तेजित होते दिखे. लोगों ने कहा कि इस क्षेत्र में इस साल लगातार तीन चरणों में बाढ़ आयी. फसलें बर्बाद हो गयीं, पर उसका मुआवजा नहीं मिला, जबकि लोग गुहार लगाते रह गये. यह बात भी उठायी गयी कि अब जब बाढ़ का पानी खत्म हो गया है, तो बीमारियां पनप रही हैं. अहम यह रहा कि चौपाल में कुर्सियों पर महिलाएं भी जमी थीं, जिन्होंने कई सवाल उठाए. कई महिलाओं ने लोकल स्तर पर सुविधाओं के अभाव की बात की, तो कई ने शिक्षक नियुक्ति पर तीखे सवाल किये.
उपज का वास्तविक मूल्य नहीं मिलता
रुपौली विधानसभा क्षेत्र के औद्योगिक विकास का मुद्दा लोगों ने उठाया. लोगों ने कहा कि यहां मक्का और धान का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है, पर किसानों को उनकी कृषि उपज का वास्तविक मूल्य नहीं मिलता. लोगों ने कहा कि बाहर सरकार क्या कर रही है, यह अलग बात है, पर अपने क्षेत्र में कृषि आधारित उद्योग लगाने की पहल होनी चाहिए थी, जो आज तक नहीं हो सकी. नागरिकों ने नेता जी पर एक तरफ जनता की उपेक्षा का आरोप लगाया, तो दूसरी तरफ मौजूदा दौर के बाढ़ से हुए नुकसान की भरपाई के लिए सार्थक पहल की जरूरत भी बतायी. कई लोगों ने सरकार को यह संदेश देने की कोशिश की कि मुफ्त सरकारी योजनाओं की जगह उन्हें सिर्फ रोजगार दिया जाये.
