Success Story: हौसलों से रोशन किया सपनों का आसमान, पढ़िए बिहार की पहली वर्ल्ड कप खिलाड़ी अन्नू कुमारी की कहानी
Success Story: बक्सर की बेटी अन्नू कुमारी ने दृष्टिबाधित होते हुए भी भारतीय बालिका क्रिकेट टीम में जगह बनाई है. अब वह दृष्टिबाधित बालिका क्रिकेट विश्वकप 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी और बिहार का नाम रोशन करेंगी.
Success Story: “जहां इरादे बुलंद हों, वहां मंजिलें खुद-ब-खुद रास्ता दिखा देती हैं…’ इस कथन को सच कर दिखाया है बिहार की बेटी अन्नू कुमारी ने. बक्सर जिले के छोटे से गांव मुकुंदपुर की यह प्रतिभाशाली बालिका दृष्टिबाधित होने के बावजूद भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह बनाने में सफल हुई हैं. अब अन्नू आगामी दृष्टिबाधित बालिका क्रिकेट विश्वकप 2025 में देश का प्रतिनिधित्व करेंगी, जो 11 से 24 नवंबर तक चलेगा.
भारतीय टीम में बिहार की गौरव गाथा
बिहार नेत्रहीन परिषद के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. आर. एन. सिंह और पूर्व सचिव रमेश प्रसाद सिंह ने बताया कि अन्नू कुमारी को भारतीय टीम की 14 सदस्यीय सूची में शामिल किया गया है. उन्होंने इसे बिहार और विद्यालय के लिए गर्व का क्षण बताया. अन्नू की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार और विद्यालय के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए प्रेरणा का स्रोत है.
बिहार की पहली दृष्टिबाधित छात्रा जो विश्वकप में खेलेंगी
अन्नू कुमारी इस उपलब्धि के साथ पूरे बिहार में प्रेरणा का प्रतीक बन गई हैं. वह राज्य की पहली दृष्टिबाधित छात्रा हैं जिन्हें विश्वकप खेलने का अवसर मिला है. यही नहीं, भविष्य में यह टीम पैरालंपिक खेलों में भी भारत का प्रतिनिधित्व करेगी. अन्नू की मेहनत और हौसले ने दिखा दिया कि कोई भी सीमा शरीर की नहीं, बल्कि सोच की होती है.
विद्यालय का गौरव और शिक्षक-छात्राओं की खुशियां
अन्नू ने अपनी पढ़ाई पटना स्थित अंतर्ज्योति बालिका विद्यालय से पूरी की है. विद्यालय की शिक्षिका अनुषा कुमारी ने कहा, “अन्नू शुरू से ही बेहद प्रतिभावान रही हैं. हमने सिर्फ उनके सपनों को उड़ान दी है. आज यह सफलता पूरे विद्यालय और बिहार के लिए गर्व की घड़ी है.” विद्यालय के सभी शिक्षक, छात्राएं और कर्मचारी अन्नू की इस उपलब्धि पर गर्व महसूस कर रहे हैं और उन्हें उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दे रहे हैं.
समाज और शुभचिंतकों की सराहना
अन्नू की इस सफलता से परिवार, समाज और परिषद के सभी सदस्य गर्व से सराबोर हैं. पद्मश्री डॉ. सिंह ने कहा, “यह उपलब्धि उन सभी प्रयासों की जीत है, जो दृष्टिबाधित छात्राओं को शिक्षा और खेल के माध्यम से आगे बढ़ाने में लगे हैं.” परिषद ने अपने दानदाताओं और शुभचिंतकों का आभार व्यक्त किया, खासकर श्रीमती कविता वर्मा और अनीता विजय हिंगोरानी (USA) का, जिन्होंने विद्यालय और छात्राओं को अवसर दिलाने में महत्वपूर्ण सहयोग दिया.
आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा
अन्नू की यह उपलब्धि केवल व्यक्तिगत सफलता नहीं है, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणा है. यह साबित करती है कि अगर हौसला और विश्वास बुलंद हो, तो कोई भी चुनौती बाधा नहीं बन सकती. बक्सर की इस बेटी ने यह संदेश दिया है कि सपनों की उड़ान के लिए शरीर की सीमाएं कभी रोड़ा नहीं बन सकतीं.
11 से 24 नवंबर 2025 तक, जब अन्नू भारतीय टीम की जर्सी पहनकर मैदान पर उतरेंगी, तो यह केवल उनकी बल्लेबाजी और गेंदबाजी नहीं होगी, बल्कि हौसले और मेहनत से लिखा गया एक नया इतिहास भी होगा. उनकी यह उपलब्धि भविष्य में आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा और विश्वास का स्रोत बनेगी.
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