आज 11 अगस्त के दिन पटना में घटी थी ऐतिहासिक घटना, युवाओं ने इस तरह अंग्रेजों को दिखाई थी अपनी ताकत
Quit India Movement: भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत 9 अगस्त को करीब 83 साल पहले हुई थी. इस आंदोलन में बिहार की महत्वपूर्ण भूमिका थी. खासकर पटना के युवाओं ने अंग्रेजों को अपनी ताकत दिखा दी थी. दरअसल, 11 अगस्त को ऐसी घटना घटी, जिसने अंग्रेजों की रीढ़ तोड़ दी.
Quit India Movement: 9 अगस्त को करीब 83 साल पहले भारत छोड़ो आंदोलन की शुरूआत हुई थी. इसी आंदोलन में महात्मा गांधी की तरफ से ‘करो या मरो’ का नारा दिया गया था. भारत छोड़ो आंदोलन में बिहार की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है. खासकर पटना के युवाओं ने अंग्रेजों को अपनी ताकत दिखा दी थी.
द्वितीय विश्व युद्ध में भारत शामिल
भारत छोड़ो आंदोलन उस समय शुरू हुआ जब भारत को द्वितीय विश्व युद्ध में जबरदस्ती शामिल करवाया गया. ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ जापान आक्रामक हो चुका था और पूर्वी सीमाओं से भारत में खतरा बढ़ गया था. जिसके बाद भारत को ब्रिटेन ने युद्ध में शामिल करा लिया. लेकिन, भारतीय नेताओं को विश्वास नहीं था कि ब्रिटेन भारत की रक्षा कर पाएगा. ऐसे में कांग्रेस नेताओं ने तय किया कि अब समय आ गया है जब अंग्रेजों को भारत छोड़ना ही होगा.
8 अगस्त 1942 को कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक
मुंबई के ग्वालिया टैंक मैदान में 8 अगस्त 1942 को कांग्रेस कार्यसमिति की ऐतिहासिक हुई थी, जिसमें ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ का प्रस्ताव पारित किया गया. महात्मा गांधी ने ‘करो या मरो’ का नारा दिया और अंग्रेजों से भारत तुरंत खाली करने की मांग की. जैसे ही आंदोलन का ऐलान हुआ, अंग्रेजी हुकूमत हरकत में आ गई और 9 अगस्त की सुबह से ही देशभर में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया.
पटना रहा राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र
ऐसे में पटना, जो तब से ही राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र रहा है, उस दौर में पटना यूनिवर्सिटी रेजिडेंशियल यूनिवर्सिटी होने के कारण युवा नेतृत्व और विचारधारा का गढ़ बन चुका था. पटना यूनिवर्सिटी के स्टूडेंट सिर्फ पढ़ने में ही नहीं बल्कि राजनीति में बेहद एक्टिव रहते थे. देश में हो रही किसी भी राजनीतिक गतिविधि को लेकर पटना के युवा बैठक जरूर ही करते थे.
11 अगस्त को ऐतिहासिक घटना
इसी कड़ी में 9 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन की घोषणा के बाद 11 अगस्त को पटना की धरती पर ऐसी ऐतिहासिक घटना घटी, जिसने अंग्रेजों की रीढ़ तोड़ दी. विधानसभा के सामने आज जहां सात शहीद स्मारक है, वहां उस समय ब्रिटिश हुकूमत का सचिवालय था. सात युवा एक साथ हाथों में तिरंगा लेकर उसी भवन पर फहराने के लिए आगे बढ़े.
इस तरह सचिवालय पर फहराया झंडा…
कहा जाता है कि, सातों युवा जैसे ही तिरंगा फहरने के लिए आगे बढ़े, उसके बाद अंग्रेजों ने गोलियां बरसानी शुरू कर दी. सबसे आगे चल रहे युवक के सीने में गोली लगी लेकिन उसने झंडा को गिरने नहीं दिया. दरअसल, झंडे को गिरने से पहले ही दूसरे युवक ने उसे थाम लिया. इसी तरह एक के बाद एक युवा गोली खाते गए. लेकिन, किसी भी हाल में झंडे को गिरने नहीं दिया. जिसके बाद आखिर में पटना यूनिवर्सिटी के बीए थर्ड ईयर के छात्र रामानुज सिंह, जो कि मसौढ़ी के रहने वाले थे, उन्होंने अपनी जेब से तिरंगा निकाला और सचिवालय पर फहरा दिया.
