बिगड़ गई पटना की हवा, 48 शहरों के सर्वेक्षण रिपोर्ट में मिला यह स्थान
Clean Air Survey 2025: पटना शहर के लिए स्वच्छ वायु सर्वेक्षण रिपोर्ट बहुत ही निराशाजनक है. यानी इसकी रैंकिंग में गिरावट आई है. रिपोर्ट के अनुसार 10 लाख से अधिक आबादी वाले 48 शहरों की श्रेणी में पटना 27वें स्थान पर है. पिछले साल यह रैंकिंग में 10वें स्थान पर था.
Clean Air Survey 2025: पटना शहर के लिए स्वच्छ वायु सर्वेक्षण रिपोर्ट बहुत ही निराशाजनक है. यानी इसकी रैंकिंग में गिरावट आई है. रिपोर्ट के अनुसार 10 लाख से अधिक आबादी वाले 48 शहरों की श्रेणी में पटना 27वें स्थान पर है. पिछले साल यह रैंकिंग में 10वें स्थान पर था.
गया के रैंक में भी गिरावट
वहीं, तीन से 10 लाख की दूसरी श्रेणी की रिपोर्ट में गया के रैंक में भी गिरावट आई है. गया आठवें से 11 वें स्थान पर चला गया है, हालांकि मुजफ्फरपुर की आबोहवा पहले से बेहतर हुई है. साल 2024 की रिपोर्ट में यह शहर 32वें स्थान पर था, जो कि अब 30वें पर पहुंच गया है. राजधानी की बात करें तो पिछली रिपोर्ट में अंतिम रूप से 176 अंक प्राप्त हुआ था, जबकि इस वर्ष यह 164.5 अंक पर है. इस संबंध में विशेषज्ञों का मानना है कि सिर्फ यह नहीं कह सकते कि पटना की हवा ज्यादा दूषित हुई है, यह भी तो हो सकता है कि अन्य शहरों ने हवा को स्वच्छ बनाने के लिए ज्यादा प्रयास किया हो.
तीन श्रेणियों में होती है शहरों की रैंकिंग
मिली जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय स्वच्छ वायु मिशन के तहत पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय तीन श्रेणी में शीर्ष तीन प्रदर्शन करने वाले शहरों को नकद पुरस्कार, एक ट्राफी और “राष्ट्रीय स्वच्छ वायु शहर” शीर्षक से एक प्रमाण पत्र प्रदान करता है. इसके तहत पहली श्रेणी में 10 लाख से ऊपर, दूसरी श्रेणी में तीन से 10 लाख और तीसरी श्रेणी में तीन लाख से कम आबादी वाले शहरों की रैंकिंग की जाती है. अंतरराष्ट्रीय स्वच्छ वायु दिवस पर यह पुरस्कार प्रदान किया जाता है.
ऐसे होता है शहरों का मूल्यांकन
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, सड़क की धूल, निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट, वाहन और औद्योगिक उत्सर्जन, नवीकरणीय ऊर्जा, पौधारोपण, स्वच्छ इंधन के उपयोग और जन जागरुकता जैसे मानकों पर शहरी स्थानीय निकाय मूल्यांकन रिपोर्ट देते हैं. इस रिपोर्ट और सहायक दस्तावेजों की जांच वायु गुणवत्ता निगरानी समिति द्वारा किया जाता है. मंत्रालय के दिशानिर्देशों में दिए गए मूल्यांकन ढांचे के आधार पर ही जांच कर रैंकिंग जारी होती है.
जागरुकता फैलाना है लक्ष्य
इस रैंकिंग का उद्देश्य समाज के सभी वर्गों में जागरूकता पैदा करना, नागरिकों को प्रदूषण के कारण होने वाले स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में बताना, विभिन्न शहरों की वायु गुणवत्ता स्थिति की तुलना एवं सभी के लिए स्वच्छ वायु का लक्ष्य प्राप्त करना है.
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इस तरह बेहतर होती है रैंकिंग
रैंकिंग में बेहतर करने वाले शहरों ने मुख्य रूप से पक्की सड़क, यांत्रिक सफाई को बढ़ावा, पुराने कचरे का जैविक उपचार, निर्माण एवं विध्वंस सामग्री तथा ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, हरित पट्टी विकास, बेहतर यातायात प्रबंधन, पौधारोपण के क्षेत्रों में बेहतर काम किया है.
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