Bharat Rang Mahotsav: भारत रंग महोत्सव के लिए मैथिली नाटक ‘जनकनंदिनी’का चयन, असम के नौगॉव में होगा मंचन
Bharat Rang Mahotsav: भारत रंग महोत्सव विश्व का सबसे प्रतिष्ठित एवं सबसे बड़ा नाट्य महोत्सव है. इसमें नाटकों के चयन की प्रक्रिया कई मापदंडों से गुजरती है. वर्ष 2026 में इस आयोजन का 25 वाँ वर्ष है.
मुख्य बातें
Bharat Rang Mahotsav: पटना. विश्व के सबसे बड़े नाट्य महोत्सव 25वें ‘भारत रंग महोत्सव’, 2026 के लिए मैथिली नाटक ‘जनकनंदिनी’ का चयनकिया गया है. नाटक ‘जनकनंदिनी’ का लेखन, परिकल्पना एवं निर्देशन मैथिली भाषा के वरिष्ठ रंग निर्देशक डॉ. प्रकाश झा ने किया है. 25वें ‘भारत रंग महोत्सव’, 2026 में यह प्रस्तुति 30 जनवरी, 2026 को असम राज्य के नौगॉव में होगा. मैथिली रंगमंच के लिए प्रतिबद्ध संस्था ‘मैलोरंग’की ओर से इस नाटक का मंचन किया जायेगा. इससे पूर्व भी इस संस्था की ओर ‘आब मानि जाऊ’और‘धूर्तसमागम’ जैसे नाटकों का मंचन भारत रंग महोत्सव में किया जा चुका है. निर्देशक प्रकाश झा कहते हैं कि 25वें ‘भारत रंग महोत्सव’में मैथिली नाटक ‘जनकनंदिनी’का चयन होना, सचमुच मिथिला समाज के लिए गौरव का क्षण है.
नाटक के सभी संवाद कविता शैली में
निर्देशक प्रकाश झा कहते हैं कि जनकनंदिनी ‘सीता’का चरित्र विश्वन के संवेदनशील समाज को रहस्यममय नारी चरित्र के रूप में आकर्षित करती रही है. मिथिला के लोगों के लिए तो वह उनकी बहन है, बेटी है. उनके अनुजों के मन में हजारों प्रश्नन घर कर बैठा है, जिसे वह अपनी बहन जनकनंदिनी से पूछना चाहता है. यह प्रश्न ही अपनी बहन के प्रति मिथिला के भाइयों का प्रेम है, गुस्सा है, अपनापन है. इसे ही ‘जनकनंदिनी’ के रूप में व्यक्त करने की एक कोशिश है. ‘जनकनंदिनी’ के बहाने ही अपने समाज से भी मुखातिब होने का मौका हासिल किया है. इस नाट्य प्रस्तुति की विशेषता है कि मंच पर सभी पात्र स्त्रियाँ ही हैं, जो बारी बारी से सीता यानी जनकनंदिनी का रूप धारण करती है. सभी संवाद ‘गेय’(गीत के रूप में) रूप में तथा मिथिला के पारम्परिक लोकधुनों से सजा हुआ है, जो बार बार दर्शकों को आह्लादित करता है.
सीता के किरदार में सभी कलाकार
मैलोरंग के संस्थापक और मैथिली रंगमंच के सबसे बड़े निर्देशक प्रकाश झा ने बताया कि
नाट्यालेख ‘जनकनंदिनी’में सीता अपनी सखियों के बीच लौट आयी हैं. सखियाँ सीता को देख कर कभी भावुक होती हैं, तो कभी उस पर तंज भी कसती है. सुनी सुनाई वाद-अपवाद को सखी सीता से पूछ कर उसे सत्यापित करना चहती है. जनकलली भी अपनी सहेलियों के संग निर्भिक हो, वह सब कुछ बोलतीं हैं, जिसे वह आज तक कहीं बोल नहीं सकी थी. अपने जीवन की खट्ठी-मीठी सभी परतों को खोलती चली जाती है, पर वह क्षण के लिए भी अपने राघव से दूर नहीं होती है. वह अपने प्राणप्रिय राघव से नाराज तो है, पर प्रेम की डोर से बंधी हुई है. निर्देशक प्रकाश झा कहते हैं कि ‘जनकनंदिनी’ नाट्य प्रस्तुति सीता के बहाने वर्तमान बेटियों की संयमित मौन गथा भी है. दिल्ली में आयोजित ‘त्रिवेणी नाट्य समारोह’में इस नाटक की दो प्रस्तुतियां 21 जनवरी, 2026 को त्रिवेणी कला संगम सभागार, मण्डी हाउस, दिल्ली में होना है.
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