सरकार के नये नियम के कारण हर कंपनी बदलेगी वेतन ढ़ांचा, हाथ में मिलेगी कम सैलरी, रिटायरमेंट के बाद मिलेगा फायदा, जानें अन्य बातें…

सरकार ने 29 केंद्रीय लेबर कानूनों को मिलाकर चार नये कोड बनाये हैं. इनमें वेज (मजदूरी) और सोशल सिक्योरिटी (सामाजिक सुरक्षा ) के कोड भी शामिल हैं. लेबर कोड्स में8 कुछ नये कॉन्सेप्ट लाये गये हैं, लेकिन सबसे बड़ा बदलाव यह है कि वेज की परिभाषा का विस्तार किया गया है. इसका कर्मचारी और नियोक्ता पर व्यापक असर होगा. इससे कर्मचारी के हाथ में आने वाली सैलरी पर भारी असर हो सकता है. इन हैंड सैलरी में कमी हो जायेगी. लेकिन कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद बढ़ी दर पर ग्रेच्युटी के रूप में इसका फायदा मिलेगा.

By Prabhat Khabar | February 17, 2021 7:32 AM

सरकार ने 29 केंद्रीय लेबर कानूनों को मिलाकर चार नये कोड बनाये हैं. इनमें वेज (मजदूरी) और सोशल सिक्योरिटी (सामाजिक सुरक्षा ) के कोड भी शामिल हैं. लेबर कोड्स में8 कुछ नये कॉन्सेप्ट लाये गये हैं, लेकिन सबसे बड़ा बदलाव यह है कि वेज की परिभाषा का विस्तार किया गया है. इसका कर्मचारी और नियोक्ता पर व्यापक असर होगा. इससे कर्मचारी के हाथ में आने वाली सैलरी पर भारी असर हो सकता है. इन हैंड सैलरी में कमी हो जायेगी. लेकिन कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद बढ़ी दर पर ग्रेच्युटी के रूप में इसका फायदा मिलेगा.

लेबर कोड में हुए बदलाव को लेकर प्रभात खबर ने मंगलवार को कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (इपीएफओ) के अपर केंद्रीय आयुक्त (बिहार एवं झारखंड) राजीव भट्टाचार्य से बातचीत की. उन्होंने बताया कि केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने चार लेबर कोड के तहत नियमों को अंतिम रूप दे दिया है. लेकिन इन्हें कार्यरूप में परिणत करने के लिए नियमों को भी अधिसूचित किये जाने की जरूरत है. अगर सरकार मजदूरी की नयी परिभाषा को लागू करती है तो भविष्य निधि का अंशदान बढ़ जायेगा.

भट्टाचार्य ने बताया कि अभी केवल बेसिक सैलरी व डीए पर पीएफ की गणना की जाती है. नये नियम के तहत तमाम तरह भत्ते कुल वेतन के 50 फीसदी से अधिक नहीं हो सकते हैं. यह नया नियम लागू होने के बाद वेतन के ढांचे में बड़ा बदलाव नजर आयेगा. नये नियम के मुताबिक हर कंपनी को सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव करना होगा, ताकि बेसिक सैलरी सीटीसी का 50% हो जाये. ऐसे में कर्मचारी का पीएफ योगदान बढ़ जायेगा. इसकी वजह से नियोक्ता का भी पीएफ में योगदान बढ़ेगा, जिसकी वजह से इन हैंड सैलरी में कमी हो जायेगी. लेकिन, कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद बढ़ी दर पर ग्रेच्युटी के रूप में इसका फायदा मिलेगा.

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हालांकि, इससे कंपनी का वेतन बिल चार फीसदी तक बढ़ने की संभावना है. उन्होंने बताया कि अगर इन नये नियमों को लागू कर दिया जाता है, तो कंपनियों पर दोगुना आर्थिक बोझ पड़ सकता है. साथ ही फिक्स्ड टर्म वाले कर्मचारियों को ग्रेच्युटी देनी होगी. चाहे वह पांच वर्ष की नौकरी पूरी करें या नहीं. नये कोड से कर्मचारी हर साल के अंत में लीव एनकैशमेंट की सुविधा ले सकता है. इससे कंपनी का खर्च 25 से 30% बढ़ जायेगा.

Posted By: Thakur Shaktilochan

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