जेईई-एडवांस: अभाव में भी कदम चूमती है सफलता, बिहार के गुदड़ी के लालों की जानें सक्सेस स्टोरी…

जेइइ एडवांस की परीक्षा में इस बार बिहार के कई छात्र-छात्राओं ने बाजी मारी है. वहीं इस बार कुछ ऐसे उदाहरण भी परिणामों के माध्यम से सामने आए हैं जो ये साबित करते हैं कि किसी भी मंजिल को पाने के लिए मजबूत इच्छाशक्ति होनी चाहिए. बिहार के दो चेहरों के बारे में यहां हम आपको बता रहे हैं...

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2021 4:17 PM

मोतिहारी के मेहसी प्रखंड के परतापुर पंचायत के मझौलिया गांव के बासुदेव साह के पुत्र पवन कुमार ने पहले ही प्रयास में जेईई एडवांस परीक्षा में ऑल इंडिया में 2586 वां रैंक व ओबीसी में 390 वां रैंक लाया है. पवन राजकीय उत्क्रमित हाई स्कूल मझौलिया से वर्ष 2019 में मैट्रिक में 434 अंक लॉ प्रखंड टॉपर बना था. तो इंटर महात्मा गांधी कॉलेज से वर्ष 2021 में 434 अंक लाकर किया. पवन ने इसी वर्ष जे ई ई एडवांस का परीक्षा पास कर लिया और यह साबित कर दिया है की प्रतिभा सिर्फ शहर के बड़े स्कूल व महाविद्यालय से ही नही निकलती.

सब्जी बेचते हैं पवन के पिता, बचपन में गुजर गयीं मां

आज जिस पवन ने पूरे इलाके का नाम रौशन किया है उस पवन के पिता नागालैंड के डिमापुर शहर में रह सब्जी बेचने का कार्य करते है तो मां बचपन में ही गुजर चुकी है. अपने सफलता का श्रेय पवन ने अपने शिक्षक संजीव कुमार मिश्रा का मार्गदर्शन, मां का आशीर्वाद, पिता का स्नेह ,चाचा चाची, भाई बहनों का प्यार व मित्र मोहन, चंदन व अरविंद के हौसला अफजाई को दिया है. पवन का सपना इसरो में साइंटिस्ट बन राष्ट्र सेवा करना है.

घर-घर जाकर पूजा कराते हैं दूधनाथ तिवारी के पिता

वहीं एक और उदाहरण बिहार के मुजफ्फरपुर से है. जो साबित करती है कि सफलता किसी की मोहताज नहीं होती है. अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो तो कोई भी बाधा आपको रोक नहीं सकती है. मुजफ्फरपुर में जेपी कॉलोनी चंदवारा निवासी दूधनाथ तिवारी ने देश की कठिनतम और प्रतिष्ठित परीक्षाओं में से एक जेईई एडवांस की परीक्षा पास कर देश में 2333वां रैंक प्राप्त किया है. इनका सामान्य इडब्ल्यूएस रैंक 200 है.

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मंंदिर में बैठकर पढ़ाई करता रहा दूधनाथ

दूधनाथ के पिता अशोक तिवारी घर घर जाकर पूजा पाठ कराते हैं. साथ ही सरैयागंज टावर के समीप एक मंदिर है. उसके वे पूजारी हैं. जब तक उसके पिता पूजा करते, तब तक वह मंदिर में ही बैठ पढ़ाई करता था. बाद में दूधनाथ के पिता ने चंदवारा में एक घर किराया पर लिया, जहां जमीन पर बैठ दूधनाथ तिवारी ने अपनी पढ़ाई की है.

मिट्टी पर बैठ पढ़ाई करता दूधनाथ

दूधनाथ के पिता बताते हैं कि काफी गरीबी में रहकर उन्होंने अपने बेटे की पढ़ाई करा रहे हैं. उनका बेटा इतना ज्यादा मेहनती है कि जब वह पढ़ने बैठता है, तब हमको बोलना पड़ता है कि बेटा अब तुम पढ़ाई छोड़ आराम करो. उन्होंने अपने बेटे पर गर्व करते हुए कहा कि वह आज भी मिट्टी पर बैठ पढ़ाई करता है. हमें पूरा विश्वास है कि मेरा बेटा एक दिन मेरा नाम रोशन करेगा.

आर्थिक तंगी में भी पिता ने नहीं छोड़ी हिम्मत

इधर, सफलता से गदगद दूधनाथ तिवारी बताते हैं कि कोरोना काल में आर्थिक तंगी तो हुई पर ऐसी स्थिति में भी मेरे पिता ने हमेशा मेरा सपोर्ट और प्रोत्साहित किया है. मेरे पिता काफी मेहनत करके पैसा कमाते हैं, जिससे घर भी चलता है और मेरा पढ़ाई भी. आज मैं जिस मुकाम पर पहुंचा हूं. इसका सारा श्रेय पिता जी को जाता है. दूधनाथ मूल रूप से पूर्वी चंपारण के परसौनी कपूर गांव का है.

Published By: Thakur Shaktilochan

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