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कोरोना का असर : फर्नीचर उद्योग को अब तक 500 करोड़ का नुकसान, 20 हजार कारीगरों पर संकट

सुबोध कुमार नंदन, पटना : लॉकडाउन की वजह से पटना जिले का फर्नीचर उद्योग पूरी तरह ठप हो गया है. कारखानों में सन्नाटा है. ऐसे में इस उद्योग को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ रहा है. कारोबारियों की मानें, तो पटना जिले में 400 से अधिक ब्रांडेड व गैर ब्रांडेड फर्नीचर के शोरूम है. इसके […]

सुबोध कुमार नंदन, पटना : लॉकडाउन की वजह से पटना जिले का फर्नीचर उद्योग पूरी तरह ठप हो गया है. कारखानों में सन्नाटा है. ऐसे में इस उद्योग को करोड़ों का नुकसान झेलना पड़ रहा है. कारोबारियों की मानें, तो पटना जिले में 400 से अधिक ब्रांडेड व गैर ब्रांडेड फर्नीचर के शोरूम है. इसके अलावा 500 से अधिक कारखाने हैं. इस कारोबार से लगभग 30 हजार से अधिक कारीगर व मजदूर जुड़े हुए हैं. एक अनुमान के अनुसार पटना जिले में हर साल लगभग दो हजार करोड़ रुपये का कारोबार होता है. कारोबारियों की मानें, तो लाॅकडाउन की वजह से लग्न में लगभग 400 से 500 करोड़ का नुकसान इस उद्योग को उठाना पड़ा है. पटना का फर्नीचर कारोबार बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, नेपाल व झारखंड तक फैला हुआ है.

फर्नीचर उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि कोरोना पर अगर जल्दी नियंत्रण नहीं किया गया, तो उद्योग जगत को बहुत नुकसान होगा. इसका सीधा असर आम लोगों के साथ-साथ उद्यमियों पर पड़ेगा. कारोबारियों ने घाटे से उबरने के लिए सरकार से सब्सिडी की मांग की हैं.बातचीत महामारी के कारण इस उद्योग की कमर टूट रही है. सरकार को इसके उत्थान में प्रमुख भूमिका निभानी होगी. लॉकडालन के बाद उद्योग को पूरी तरह से रि-स्टार्ट करना पड़ेगा. बैंकों का कर्ज बढ़ता ही जा रहा है. उद्योग को पूरी तरह से पटरी पर आने में कम-से-कम 6 माह से अधिक समय लगेगा.

उमेश कुमार सोनी, वरीय सदस्य, बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशनफर्नीचर व्यवसाय पर 100 प्रतिशत असर पड़ा हैं. इस वक्त फर्नीचर कारोबार का सबसे अहम समय मार्च से अप्रैल का होता है. इस उद्योग को इस संकट से निकलाने के लिए सरकार से आशा है कि कुछ विशेष पैकेज दें. जिसमें बिजली बिल में कटौती, कर्मचारी के वेतन में सहयोग, दुकान-गोदाम के भाड़े में सरकार एक राइडर लगाये. साथ ही कर में रियायत मिले.अमित सुल्तानिया, निदेशक, बनवारी लालस वुड क्राफ्ट प्राइवेट लिमिटेडफर्नीचर उद्योग के लिए यह वक्त साल का सबसे अच्छा होता है.

इसके लिए विशेष तैयारी भी करनी पड़ती है. लेकिन, इस बार कोरोना के कारण सारी तैयारियां रखी ही रह गयी. साथ ही पूंजी भी फंस गया. अगर सेल नहीं होगा, तो कर्मचारियों को आगे वेतन देना भी मुश्किल हो जायेगा. इस सेक्टर को संभालने में लगभग छह माह से अधिक लगेगा.रत्नेश तिवारी, प्रबंधक, डूरियन फर्नीचरलॉकडाउन से फर्नीचर सेक्टर को अब तक करोड़ों का नुकसान हो चुका है.

स्टाॅक गोदाम में पड़ा हुआ है. पूंजी फंस चुका है. यह सेक्टर गैर जरूरी सेक्टर में आता है. एडवांस फंस गया है. उनका भी माल अब नहीं उठ पायेगा. इस उद्योग को संकट से उबारने के लिए जल्द-से-जल्द राहत पैकेज की घोषणा राज्य व केंद्र सरकार को संयुक्त रूप से करनी चाहिए. ताकि, कारोबारी को सहारा मिल सके.संजय कुमार सिंह, प्रमुख, मेकर्स\\B

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