Chhath Puja 2025: बिहार के गंगा घाटों पर उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब, नहाय-खाय के साथ शुरू हुआ छठ महापर्व

Chhath Puja 2025: बिहार में आस्था का महापर्व छठ आज नहाय-खाय के साथ श्रद्धा और उत्साह से शुरू हो गया है. सुबह से ही गंगा, गंडक और सोन नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. महिलाएं परंपरागत रीति से स्नान कर सूर्य उपासना में लीन रहीं, वहीं प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए हैं.

By Abhinandan Pandey | October 25, 2025 2:57 PM

Chhath Puja 2025: बिहार में लोक आस्था का सबसे बड़ा पर्व छठ महापर्व आज नहाय-खाय के साथ पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव से शुरू हो गया है. सुबह से ही राज्यभर के घाटों पर श्रद्धालुओं की अपार भीड़ देखने को मिली. महिलाएं परंपरागत रीति-रिवाजों के साथ स्नान कर सूर्य देवता की उपासना में लीन रहीं. पटना के कंगन घाट, जनार्दन घाट, एलसीटी घाट और काली घाट सहित सभी बड़े घाटों पर भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा.

राज्य के इन घाटों पर भी उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

राज्य के अन्य जिलों में भी छठ की धूम देखी जा रही है. हाजीपुर के कौनहारा घाट, मुंगेर के नमामि गंगे घाट, छपरा के सीढ़ी घाट और क्लब घाट सहित दरभंगा, भागलपुर और गया में भी सुबह से श्रद्धालु पूजा-पाठ में जुटे रहे. सूर्य नगरी देव, औरंगाबाद में भी 50 हजार से अधिक श्रद्धालु पहुंचे थे. गंगा, गंडक और सोन नदी के तटों पर “छठी मइया” के जयकारे गूंजते रहे. महिलाओं ने स्नान के बाद साफ-सफेद वस्त्र धारण कर पूजा सामग्री तैयार की और सूर्य देव के प्रति आभार व्यक्त किया.

सड़कों पर घंटों तक वाहनों की लगी रहीं कतारें

हालांकि, घाटों की ओर जाने वाली सड़कों पर भारी जाम ने श्रद्धालुओं की परीक्षा भी ली. विशेषकर हाजीपुर के कौनहारा घाट, सीढ़ी घाट और पुल घाट की ओर जाने वाली सड़कों पर पांच घंटे तक वाहनों की लंबी कतारें लगी रहीं. गांधी चौक, नखास चौक और कौनहारा बाईपास जैसे इलाकों में लोग पैदल ही घाटों तक पहुंचे.

भीड़ नियंत्रण के लिए अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती

प्रशासन ने भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा व्यवस्था के लिए विशेष तैयारी की है. पटना, हाजीपुर, छपरा और मुंगेर में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है. एनडीआरएफ और गोताखोरों की टीमों को भी सतर्क रखा गया है ताकि किसी तरह की दुर्घटना से बचा जा सके.

श्रद्धा में डूबा पूरा बिहार

चार दिनों तक चलने वाले इस महापर्व का आज पहला दिन नहाय-खाय है. दूसरे दिन व्रती खरना करेंगे, तीसरे दिन डूबते सूर्य को संध्या अर्घ्य देंगे और चौथे दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का समापन करेंगे. आस्था, अनुशासन और शुद्धता के इस पर्व ने पूरे बिहार को श्रद्धा में डुबो दिया है.

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