Expressway In Bihar: 1.18 लाख करोड़ के 5 बड़े एक्सप्रेसवे प्रोजेक्ट पर सुपरफास्ट काम शुरू, 2027 तक बदल जाएगा बिहार का ट्रैवल मैप
Expressway In Bihar: बिहार में अगले दो–तीन साल सड़क संरचना के लिहाज से ऐतिहासिक साबित हो सकते हैं. अब वाराणसी–कोलकाता से लेकर बक्सर–भागलपुर तक, प्रत्येक एक्सप्रेसवे राज्य की कनेक्टिविटी, व्यापार और यात्राओं के स्वरूप को पूरी तरह बदल जाएगा.
Expressway In Bihar: बिहार में सफर का भविष्य अब सुपरफास्ट होने वाला है. उन दिनों को भूल जाइए जब एक जिले से दूसरे जिले जाने में घंटों बर्बाद होते थे. ₹1.18 लाख करोड़ की 5 बड़ी एक्सप्रेसवे परियोजनाएं अब निर्णायक चरण में हैं, जिनका जमीन अधिग्रहण का काम पूरा हो चुका है .इन हाई-स्पीड कॉरिडोर के बनने से यात्रा का समय आधा रह जाएगा और बिहार की गतिशीलता (Mobility) में एक बड़ा बदलाव आएगा.
अधिग्रहण लगभग पूरा, काम में फिर रफ्तार
पांच एक्सप्रेसवे की सूची में सबसे आगे वाराणसी–कोलकाता एक्सप्रेसवे है, जहां जमीन अधिग्रहण की अधिकांश प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. निर्माण कार्य पहले रोहतास और कैमूर जिलों में अटक गया था, लेकिन अब यह फिर पटरी पर लौट आया है. यह एक्सप्रेसवे बिहार और पूर्वी भारत के बीच व्यापारिक और औद्योगिक संपर्क को नई ऊंचाई देगा.
245 किलोमीटर लंबे इस एक्सप्रेसवे की लागत 28,415 करोड़ रुपये आंकी गई है. पटना से पूर्वी बिहार के जिलों तक हाईस्पीड कनेक्टिविटी बनाने वाली यह परियोजना राज्य के अंदर यात्रा समय को बड़े पैमाने पर कम करेगी. अधिग्रहण की प्रक्रिया कई जिलों में तेज गति से चल रही है और अलाइनमेंट पहले ही तय किया जा चुका है.
बिहार को मिलेगा समुद्री बंदरगाह से सीधा संपर्क
रक्सौल ड्राइ पोर्ट से हल्दिया पोर्ट को जोड़ने वाला यह एक्सप्रेसवे 407 किलोमीटर लंबा और 26,407 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत वाला है. इसके बन जाने के बाद बिहार में निर्मित सामान सीधे भारत के पूर्वी समुद्री तट तक पहुंचाया जा सकेगा. यह परियोजना बिहार को एक बड़े एक्सपोर्ट–लॉजिस्टिक केंद्र के रूप में स्थापित करेगी.
उत्तर–पूर्वी बिहार में कनेक्टिविटी का नया युग
मंत्रालय की मंजूरी के बाद इस परियोजना के शुरुआती काम जोर–शोर से चल रहे हैं. एक्सप्रेसवे गोरखपुर से शुरू होकर बिहार के कई जिलों दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, शिवहर, अररिया और कटिहार से गुजरता हुआ सिलीगुड़ी पहुंचेगा. इससे उत्तर बिहार के विभिन्न शहरों और बाजारों के बीच यात्रा बेहद सहज और तेज हो जाएगी.
आधी होगी पश्चिम से पूर्व बिहार की दूरी
बक्सर से भागलपुर की मौजूदा दूरी तय करने में लगभग 9 घंटे लगते हैं. लेकिन एक्सप्रेसवे बनने के बाद यह सफर सिर्फ 4 घंटे में पूरा हो जाएगा. यह परियोजना बिहार के पश्चिमी और पूर्वी हिस्सों के बीच सीधा, तेज और सुविधाजनक सड़क संपर्क बनाएगी. मोकामा–मुंगेर खंड पर ही 4,447 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना है.
1626 किलोमीटर लंबा नेटवर्क
पांचों एक्सप्रेसवे मिलकर 1626.37 किलोमीटर का हाईस्पीड नेटवर्क तैयार करेंगे. इन सभी परियोजनाओं को 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों इन परियोजनाओं को शीर्ष प्राथमिकता दे रहे हैं.
हाईस्पीड कॉरिडोर से बदलेगा व्यापार
इन एक्सप्रेसवे के बन जाने के बाद बिहार एक बड़े लॉजिस्टिक कॉरिडोर के रूप में उभरेगा. कृषि उत्पादन, औद्योगिक सामान और स्थानीय बाजारों को हाईस्पीड मार्ग मिलेंगे, जिससे व्यापारिक गतिविधियों में अभूतपूर्व तेजी आएगी. रक्सौल–हल्दिया मार्ग विशेष रूप से निर्यात आयात कारोबार के लिए नए अवसर खोलेगा.
बाजारों और शहरों से सीधा फायदा
उत्तर बिहार, सीमांचल और पूर्वी बिहार के कई इलाके अब तक पटना और अन्य बड़े शहरों से जुड़ने में समय लेते थे. लेकिन गोरखपुर–सिलीगुड़ी और पटना–पूर्णिया जैसे एक्सप्रेसवे इन जिलों के आर्थिक भूगोल को बदल देंगे. यात्रा समय कम होगा, परिवहन सस्ता होगा और रोजगार संभावनाएं बढ़ेंगी.
बिहार को मिलेगा नया रोड–मैप
सरकार का इरादा है कि अगले दो सालों में इन सभी पांच परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाकर पूरा कर लिया जाए. यह केवल सड़क निर्माण नहीं है बल्कि बिहार के विकास का नया रोडमैप है, जो आने वाले दशकों की आर्थिक संरचना तय करेगा.
