Bihar Makhana Industry: मखाना और चावल से बदलेगी बिहार की तस्वीर, स्थानीय उद्यमियों ने थामी कमान

Bihar Makhana Industry: बिहार की अर्थव्यवस्था में अब सिर्फ खेती ही नहीं, बल्कि उससे जुड़े उद्योग भी नई रफ्तार देने वाले हैं. मखाना और चावल जैसे उत्पादों पर आधारित छोटे-बड़े निवेश प्रस्ताव तेजी से आ रहे है. खास बात यह है कि इन प्रस्तावों में बड़ी कंपनियां ही नहीं, बल्कि स्थानीय उद्यमी भी आगे आ रहे हैं.

By Pratyush Prashant | August 25, 2025 8:51 AM

Bihar Makhana Industry: छोटे-छोटे निवेश और बड़े सपनों के साथ बिहार के उद्यमी अब नई इबारत लिखने लिखने वाला है. मखाना को कुकीज, स्नैक्स और बेबी फूड जैसे आधुनिक उत्पादों में ढालने की तैयारी है, तो दूसरी ओर चावल मिलों में करोड़ों का निवेश हो रहा है. बिहार के गांव-गांव से उठ रही ये कारोबारी पहल इस बात का संकेत है कि आने वाले दिनों में बिहार सिर्फ कृषि राज्य नहीं, बल्कि कृषि-आधारित उद्योगों का हब बनकर उभरेगा.

मखाना उद्योग: छोटे व्यापारियों की बड़ी छलांग

बिहार के लिए मखाना अब सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि बड़ा कारोबारी अवसर बन चुका है. साल 2025 में अब तक 10 स्थानीय व्यापारियों ने करीब दो-दो करोड़ रुपये की लागत से मखाना उत्पादन प्लांट लगाने का प्रस्ताव राज्य निवेश प्रोत्साहन पर्षद (SIPB) को दिया है, जिन्हें प्रथम मंजूरी भी मिल चुकी है.

इनमें मधुबनी और पूर्णिया जिले से तीन-तीन, दरभंगा से दो तथा सहरसा और मुजफ्फरपुर से एक-एक प्रस्ताव शामिल हैं.

दरभंगा में मखाना कुकीज और बेबी फूड

नई सोच और इनोवेशन से भरे इन प्रस्तावों में मखाना को सिर्फ भुना हुआ खाने तक सीमित नहीं रखा गया है. उदाहरण के लिए, दरभंगा में मखाना से बेबी फूड और कुकीज बनाने की योजना है, जबकि मुजफ्फरपुर के मुसहरी क्षेत्र में स्नैक और लावा उत्पादन पर जोर दिया जा रहा है. इस तरह मखाना से बनने वाले उत्पाद अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी पहचान बनाने की ओर बढ़ रहे हैं.

स्टार्टअप से भी मिल रहा सहारा

राज्य में स्टार्टअप कल्चर ने भी मखाना उद्योग को पंख दिए हैं. कई नये स्टार्टअप इस क्षेत्र में निवेश कर रहे हैं, जिससे रोजगार और आय के नए रास्ते खुल रहे हैं.

चावल उद्योग में 150 करोड़ से अधिक के प्रस्ताव

मखाना के साथ-साथ बिहार की सबसे बड़ी पैदावार चावल को लेकर भी उद्योग जगत उत्साहित है. इस साल SIPB की बैठकों में 150 करोड़ रुपये से अधिक निवेश वाले 18 से ज्यादा राइस मिल लगाने के प्रस्ताव मिले हैं.
ये प्रस्ताव सीतामढ़ी, भोजपुर, मुजफ्फरपुर, किशनगंज, औरंगाबाद, मधुबनी, अरवल, पूर्णिया, रोहतास और जहानाबाद जैसे जिलों से आए हैं.

इन छोटे-बड़े निवेश प्रस्तावों से यह साफ है कि बिहार में स्थानीय व्यापारी अब सिर्फ खेती तक सीमित नहीं रहना चाहते, बल्कि कृषि-आधारित उद्योग को भी गति देने लगे हैं. आने वाले सालों में मखाना और चावल उद्योग न केवल राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे, बल्कि हजारों युवाओं को रोजगार भी देंगे.

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