Bihar Election 2025: यूपी के नेताओं ने बिहार में डाला डेरा, बंगाल और झारखंड के बिहारी सांसद भी सीन से गायब

Bihar Election 2025: बिहार भौगोलिक रूप से तीन राज्यों बंगाल, झारखंड और यूपी से घिरा है. बंगाल और झारखंड से कभी राजनीति, सांस्कृतिक रूप से जुड़े रहने के बावजूद इस चुनाव में इन दोनों राज्यों की भागीदारी कहीं दिख नहीं रही है, जबकि उत्तरप्रदेश जैसे पड़ोसी राज्य से विभिन्न दलों के बड़े नेता बिहार में डेरा डाले हुए हैं.

By Ashish Jha | October 30, 2025 10:29 AM

Bihar Election 2025: पटना. बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 6 नवंबर को होना है. पहले चरण के चुनाव को लेकर प्रचार अभियान चरम पर है. प्रधानमंत्री से लेकर विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों की जनसभाएं हो रही हैं. बिहार भौगोलिक रूप से तीन राज्यों बंगाल, झारखंड और यूपी से घिरा है. बंगाल और झारखंड से कभी राजनीति, सांस्कृतिक रूप से जुड़े रहने के बावजूद इस चुनाव में इन दोनों राज्यों की भागीदारी कहीं दिख नहीं रही है, जबकि उत्तरप्रदेश जैसे पड़ोसी राज्य से विभिन्न दलों के बड़े नेता बिहार में डेरा डाले हुए हैं. भाजपा भी यूपी की तरह इन दो पड़ोसी राज्यों के बड़े नेताओं को बिहार में सभाएं नहीं करा रही है, जबकि बिहार के बाद बंगाल में ही विधानसभा के चुनाव होने हैं और बंगाल में काफी संख्या में प्रवासी बिहारी वोटर हैं.

पड़ोसी राज्यों में अकेले उत्तर प्रदेश की दिलचस्पी

बिहार चुनाव में अगर पड़ोसी राज्यों की बात करें तो अकेले उत्तर प्रदेश ही दिलचस्पी लेता दिख रहा है. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत प्रमुख विपक्षी दल के नेता अखिलेश यादव भी बिहार में चुनाव प्रचार करने आ रहे हैं. आजाद समाज पार्टी, बसपा और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी समेत यूपी के कई क्षेत्रीय दल के सुप्रीमो भी बिहार में जनसभाएं कर रहे हैं. योगी कैबिनेट के कई मंत्रियों ने बिहार में डेरा जमा रखा है. यूपी की तरह बंगाल और झारखंड की क्षेत्रीय पार्टियां बिहार में सीमावर्ती जिलों में सक्रिय नहीं दिख रही हैं. इस बार गठबंधन में जगह नहीं मिलने के बाद झामुमो सुप्रीमो हेमंत सोरेन का भी बिहार में प्रचार करने की संभावना कम ही है. झारखंड की अन्य क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं का भी बिहार दौरा अब तक तय नहीं है.

सीन से गायब हैं बिहार के प्रवासी सांसद

भाजपा ने अपने कई राज्यों के मुख्यमंत्री के साथ-साथ झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी और रघुवर दास को बिहार में प्रचार के लिए बुलाया है, लेकिन झारखंड के गोड्डा से बिहारी सांसद निशिकांत दुबे की सक्रियता नहीं दिख रही है. इसी प्रकार बंगाल से तृणमूल सांसद शत्रुघ्न सिन्हा और कीर्ति झा आजाद भी बिहारी होने के बादजूद पूरे सीन से गायब है. शत्रुघ्न सिन्हा खुद पटना से सांसद रह चुके हैं, जबकि उनका बेटा बांकीपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुका है. कीर्ति झा आजाद भी दरभंगा से सांसद रह चुके हैं, जबकि उनके पिता बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. निशिकांत दुबे भी मूल रूप से भागलपुर के रहनेवाले हैं, लेकिन ये तमाम बंगाल और झारखंड के बिहारी सांसद बिहार के इस चुनावी समर में कहीं दिखाई नहीं दे रहे हैं.

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