Bihar Election 2025: गिरिराज सिंह का ‘नमक हराम’ बयान, मुस्लिम वोट पर सियासी तूफान
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले ही केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह का बयान राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा रहा है. उन्होंने मुसलमानों को ‘नमक हराम’ कहा और यह साफ कर दिया कि ऐसे वोट उन्हें नहीं चाहिए. एनडीए और बीजेपी के लिए यह बयान मुस्लिम वोट बैंक पर असर डाल सकता है, वहीं जदयू ने आधिकारिक प्रतिक्रिया देते हुए गिरिराज सिंह को संविधान और पीएम मोदी के मंत्र की याद दिलाई.
Bihar Election 2025: अरवल जिले में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने मुसलमानों को लेकर विवादित बयान दे दिया. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार समाज के हर वर्ग के लिए काम करती है, लेकिन मुस्लिम समुदाय अक्सर इसका उपकार नहीं मानता. गिरिराज सिंह ने अपने भाषण में मुस्लिम मौलवी के हवाले से यह भी कहा कि जो लोग लाभकारी योजनाओं का लाभ नहीं मानते, उन्हें ‘नमक हराम’ कहा जाता है. उनका कहना था कि ऐसे वोट उनकी चुनावी प्राथमिकता में नहीं हैं.
जदयू, एनडीए के सहयोगी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी, ने इस बयान पर सख्त प्रतिक्रिया दी. जेडीयू प्रवक्ता मनीष कुमार ने कहा कि गिरिराज सिंह को पीएम मोदी के ‘सबका साथ, सबका विकास’ मंत्र को याद रखना चाहिए और संविधान की शपथ का पालन करना चाहिए.
गिरिराज सिंह का बयान और विवाद
गिरिराज सिंह ने कहा कि मोदी सरकार ने आयुष्मान योजना और अन्य लाभकारी योजनाओं के जरिए समाज के हर वर्ग को सुविधा दी है, लेकिन मुस्लिम समुदाय ने इसका समर्थन नहीं किया. उन्होंने एक मौलवी के साथ बातचीत का जिक्र किया और कहा कि जब उनसे वोट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने स्वीकार किया कि वोट नहीं दिया. इसी के आधार पर उन्होंने उन्हें ‘नमक हराम’ कहा और यह साफ किया कि ऐसे वोट उन्हें नहीं चाहिए.
साथ ही गिरिराज सिंह ने कहा कि अरवल में ‘मुड़ी कटवा’ की पार्टी को इस बार परास्त करना है. उनका दावा है कि महागठबंधन का कोई वास्तविक नेतृत्व नहीं है और घटक दल आपस में लड़ रहे हैं. वहीं एनडीए में केंद्र में नरेंद्र मोदी और राज्य में नीतीश कुमार नेतृत्व कर रहे हैं. उन्होंने दोनों सरकारों की उपलब्धियों को गिनाते हुए कहा कि महिलाएं और आम नागरिक सुरक्षित महसूस कर रहे हैं और विकास का लाभ उठा रहे हैं.
जदयू की प्रतिक्रिया: सबका साथ, सबका विकास
जेडीयू प्रवक्ता मनीष कुमार ने कहा कि गिरिराज सिंह को चुनावी भाषण देते समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मंत्र ‘सबका साथ, सबका विकास’ को ध्यान रखना चाहिए. उन्होंने बताया कि वोट देना प्रत्येक नागरिक का अधिकार है और किसी वर्ग के खिलाफ बयान देना अनुचित है. जदयू ने स्पष्ट किया कि पार्टी मुस्लिम वोट बैंक को नाराज नहीं करना चाहती और गिरिराज सिंह की टिप्पणी पूरी तरह पार्टी के दृष्टिकोण के खिलाफ है.
जेडीयू के मुताबिक, गिरिराज सिंह को संविधान की शपथ याद रखनी चाहिए. देश की संप्रभुता और एकता को सुरक्षित रखना सभी मंत्रियों और पदाधिकारियों की जिम्मेदारी है. जदयू ने इस बयान को चुनावी माहौल को प्रभावित करने वाला माना है.
विपक्ष ने कहा — ‘भाजपा का असली चेहरा उजागर’
कांग्रेस और राजद सहित विपक्षी दलों ने गिरिराज सिंह पर हमला करते हुए इसे “भाजपा की नफ़रत भरी राजनीति” का उदाहरण बताया है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अकील हाशमी ने कहा कि “बीजेपी चुनाव आते ही समाज को बांटने की कोशिश करती है. मंत्री पद पर रहते हुए भी गिरिराज सिंह संविधान की मर्यादा भूल रहे हैं.”
आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि “एनडीए गठबंधन की अंदरूनी फूट अब सार्वजनिक हो गई है. जब एक सहयोगी पार्टी ही मंत्री के बयान पर नाराज हो रही है, तो समझ लीजिए कि सत्ता में बैठे लोग घबराए हुए हैं.”
विवादित बयानों का पुराना इतिहास
गिरिराज सिंह का यह पहला विवादित बयान नहीं है. इससे पहले वे कई बार अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर उकसाने वाले बयान दे चुके हैं. कभी उन्होंने कहा कि “जो भारत में रहना चाहता है, उसे वंदे मातरम् कहना होगा,” तो कभी यह कहा कि “जो मोदी का विरोध करता है, उसे पाकिस्तान भेज देना चाहिए.”
हालांकि इस बार मामला सीधे वोटिंग से पहले उठने के कारण ज्यादा संवेदनशील हो गया है. चुनाव आयोग और विपक्ष अब इस बयान की जांच और कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.
बीजेपी की रणनीतिक चुप्पी
भाजपा के राज्य नेतृत्व ने इस बयान पर अब तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है. सूत्रों के अनुसार, पार्टी नेतृत्व स्थिति को भांप कर कोई बड़ा कदम उठाने से बच रहा है. चुनावी माहौल में किसी भी तरह के कट्टर बयानों से दूर रहने की रणनीति फिलहाल अपनाई जा रही है. फिर भी, गिरिराज के समर्थक इसे “भावनात्मक बयान” बताकर उनका बचाव कर रहे हैं.
