Bihar Election 2025 : विधानसभा चुनाव में जातिगत जनगणना हुआ फेल, संख्या के बल पर किसी दल ने नहीं दी हिस्सेदारी

Bihar Election 2025 : बिहार चुनाव को लेकर एनडीए ने सभी 243 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का एलान कर दिया है. बीजेपी ने 101, चिराग ने 29, हिंदुस्तान आवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी ने छह सीटों पर अपने उम्मीदवारों का एलान किया है. अगर एनडीए के उम्मीदवारों का जातिवार विश्लेषण किया जाए तो पता चलता है कि सभी दलों ने जातिगत सर्वे को नजरअंदाज किया है. हालांकि महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने में इस बार एनडीए के दलों में प्राथमिकता दी गई है. बीजेपी के उम्मीदवारों में 13 महिलाओं को मौका मिला है.

By Ashish Jha | October 21, 2025 10:35 AM

Bihar Election 2025 : पटना. बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले जातिगत सर्वे पर खूब बहस हुई. सर्वे के आधार पर हिस्सेदारी की बात कही गयी, लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान सभी दलों ने उम्मीदवार चुनते समय जातिगत सर्वे को कूड़ेदान में ही रखा. किसी दल ने संख्या के आधार पर उम्मीदवारों का चयन नहीं किया. जनसंख्या के मुकाबले मुस्लिम को जहां सबसे कम हिस्सेदारी मिली है, वहीं संख्या पर के आधार पर देखें तो राजपूतों को सबसे अधिक तवज्जों मिली है. सभी दलों ने राजपूतों को उनकी जनसंख्या के मुकाबले सबसे अधिक हिस्सेदारी दी है. जहां तक बात भाजपा की है तो पार्टी के 101 उम्मीदवारों की सूची में ‘भूरा बाल’ यानी भूमिहार, राजपूत, ब्राहमण और लाला को कुल जनसंख्या प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी दी है.

बिहार में जातिगत वोटरों की संख्या

  • राजपूत – 3.45 %
  • भूमिहार- 2.86%
  • ब्राह्मण- 3.65%
  • वैश्य- 2.31 %
  • दलित-19.65%
  • अतिपिछड़ा-36%
  • यादव- 14.26%
  • कोईरी- 4.2 1%
  • मुस्लिम- 17.70%

भाजपा ने दी किसे कितनी हिस्सेदारी

  • राजपूत- 21%
  • भूमिहार- 15%
  • ब्राह्मण- 11%
  • वैश्य- 17%
  • दलित- 12 %
  • अतिपिछड़ा-7 %
  • यादव- 6%
  • कोईरी-6%
  • मुसलमान-0%

राजपूत को सबसे अधिक, अतिपिछड़ों को सबसे कम

भाजपा ने उम्मीदवारों की सूची बनाने के दौरान ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत और वैश्य को उनके जनसंख्या के अनुपात से अधिक टिकट दिया है, तो दलित और अतिपिछड़ा को उनके जनसंख्या के अनुपात में कम टिकट दिया है. बिहार में कुल वोटरों में राजपूत वोटरों की संख्या महज 3.45 % है, लेकिन भाजपा ने उसे कुल उम्मीदवारों की सूची में 21 प्रतिशत हिस्सेदारी दी है. अगर कम हिस्सेदारी की बात करें तो बिहार में कुल वोटरों में अतिपिछड़ा वोटरों की संख्या 36 % के करीब है, लेकिन भाजपा ने उसे महज 6 फीसदी हिस्सेदारी दी है. कोइरी जाति को जरूर भाजपा ने जनसंख्या के अनुपात में टिकट दिया है. कोइरी जाति से 6 उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं. बिहार में कोइरी जाति की आबादी 4.2 1% है.

भाजपा ने किसे कितना टिकट

  • राजपूत जाति- 21
  • भूमिहार जाति- 15
  • ब्राह्मण- 11
  • वैश्य- 17
  • दलित- 12
  • अतिपिछड़ा-7
  • यादव- 6
  • कोईरी-6
  • मुसलमान-0

यादव और मुस्लिम संख्या के मुकाबले नदारद

भाजपा की सूची में अगर जातिगत उम्मीदवारी देखें तो बिहार के दो सबसे बड़े जातिगत समूह यादव और मुस्लिम में यादव की हिस्सेदारी जहां बेहद कम है, वहीं मुस्लिम की तो सूची में नाम तक नहीं है. बिहार में मुसलमान की आबादी 17.70% है और भाजपा ने उन्हें एक भी सीट पर उम्मीदवार नहीं बनाया है. बिहार में यादवों की जनसंख्या 14.26% है, लेकिन भाजपा ने यादव जाति के 7 नेताओं को विधानसभा की टिकट दिया है. ऐसे में कहा जा सकता है कि भाजपा ने सवर्ण को छोड़कर केवल कोईरी जाति को ही उसके जनसंख्या के अनुपात में अधिक हिस्सेदारी देने का काम किया है.

सर्वे करानेवाले जदयू ने भी नहीं रखा संख्या का ख्याल

जदयू के उम्मीदवारों की बात करें तो इस बार उसने चार मुस्लिम चेहरों को मौका दिया है. 2020 के विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा अधिक था. जदयू की लिस्ट में 13 महिलाएं भी दिखाई दे रही हैं, जिनमें से कुछ विधायकों को फिर से मौका मिला है. जदयू के 101 उम्मीदवारों में से 59 ईबीसी और ओबीसी हैं. ईबीसी को 22 टिकट मिले हैं. वहीं, नीतीश कुमार की जाति कुर्मी पर एक बार फिर खास ध्यान दिया गया है और 12 प्रत्याशी इसी जाति से घोषित किए गए हैं. इसके अलावा, आठ यादव और चार अन्य जातियों को भी जदयू की उम्मीदवारी लिस्ट में शामिल किया गया है. पार्टी की तरफ से पांच प्रत्याशी मुसहर और रविदासी समुदाय से भी रखे गए हैं.

राजद ने भी जनसंख्या को नहीं बनाया आधार

जातिगत जनगणना की सबसे ज्यादा मांग करनेवाली पार्टी राजद ने भी उम्मीदवार चयन करते वक्त ने जनसंख्या के आधार पर केवल मुस्लिम समाज को ही हिस्सेदारी देने का काम किया है. राजद ने जनसंख्या के मुकाबले यादवों को काफी ज्यादा हिस्सेदारी दी है. लालू यादव ने आरजेडी के 143 उम्मीदवारों में से 51 यादव उम्मीदवार उतारे हैं. जो कुल उम्मीदवारों का सबसे बड़ा हिस्सा है. इसके अलावा 19 मुस्लिम प्रत्याशी मैदान में हैं. वहीं, 14 सवर्ण उम्मीदवारों को भी पार्टी ने मौका दिया है. कुशवाहा समाज पर भी पार्टी का विशेष ध्यान रहा है. 11 उम्मीदवार इसी वर्ग से आते हैं. आरजेडी का यह जातीय समीकरण उसके पारंपरिक गठजोड़ “MY” (मुस्लिम-यादव) से आगे बढ़ती नहीं दिख रही है.

वीआईपी ने राजपूत को दो तो लोजपा ने 5 सीटों पर उतारा

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी (VIP) ने 15 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. पार्टी ने मुकेश सहनी के छोटे भाई संतोष सहनी गौड़ाबौराम से मैदान में उतरा है. पार्टी ने सबसे ज्यादा निषाद जाति के 7 लोगों को टिकट दिया है. इनके अलावा 3 यादव, 2 राजपूत और मुशहर, कुर्मी, अग्रहरी वैश्य से एक-एक उम्मीदवार को मैदान में उतारा गया है. इसी प्रकार लोजपा-आर ने सबसे ज्यादा राजपूत और यादव जाति के 5-5 उम्मीदवारों को टिकट दिया है. पासवान एवं भूमिहार से 4-4, जबकि ब्राह्मण, तेली, पासी, सूढ़ी, रौनियार, कानू, रजवार, धोबी, कुशवाहा, रविदास और मुस्लिम समाज से एक-एक कैंडिडेट उतारा गया है.

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