Bihar Election 2025: कांग्रेस में टिकट बंटवारे पर फूटा गुस्सा, नाराज नेताओं ने प्रभारी पर लगाया ‘गद्दारी’ का आरोप, कहा—पार्टी 10 सीटें भी नहीं जीतेगी
Bihar Election 2025:टिकट वितरण को लेकर बिहार कांग्रेस में बग़ावत की चिंगारी भड़क उठी है। पार्टी विधायक, पूर्व विधायक और पदाधिकारी खुले मंच पर आ गए हैं. आरोप है कि टिकट बंटवारे में ‘गंदी राजनीति’ और ‘भीतरघात’ हुआ है, जिससे चुनावी लड़ाई शुरू होने से पहले ही कांग्रेस घर के अंदर से हिल गई है.
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में टिकट वितरण को लेकर मचा घमासान खुलकर सामने आ गया है. पटना में शनिवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में पार्टी के कई विधायक, पूर्व विधायक और वरिष्ठ पदाधिकारी एक मंच पर जुटे और प्रदेश प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष व विधायक दल के नेता पर खुलकर गंभीर आरोप लगाए.
पार्टी के प्रवक्ता और रिसर्च विभाग के चेयरमैन आनंद माधव ने तो तत्काल प्रभाव से अपने सभी पदों से इस्तीफा तक दे दिया. उन्होंने साफ कहा कि इस टिकट वितरण की शैली के बाद कांग्रेस को दो से दस सीटों के बीच ही संघर्ष करना पड़ेगा.
बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के भीतर टिकट वितरण को लेकर मचा घमासान अब सड़क तक पहुंच गया है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, विधायकों और पूर्व विधायकों का गुस्सा फूट पड़ा है. उन्होंने न केवल प्रदेश प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष पर आरोप लगाए हैं बल्कि सीधे राहुल गांधी तक को निशाने पर लिया है. बगावती सुरों के बीच पार्टी के अंदरूनी असंतोष की लहर ने यह साफ कर दिया है कि टिकट बंटवारे की प्रक्रिया ने कांग्रेस की एकजुटता पर गहरा सवाल खड़ा कर दिया है.
राहुल गांधी को बताया गया ‘धोखे में रखा गया’
पटना के एक होटल में शनिवार को जुटे नाराज नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जमकर हमला बोला. खगड़िया के विधायक छत्रपति यादव ने आरोप लगाया कि प्रदेश प्रभारी ने पिछले छह महीनों से “गंदी राजनीति” की और जानबूझकर राहुल गांधी को गलत जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस बार टिकट वितरण की प्रक्रिया पूरी तरह अपारदर्शी रही — पहले चुनाव चिन्ह (सिंबल) दे दिया गया, फिर उम्मीदवारों की सूची जारी की गई. यह अब तक की सबसे अव्यवस्थित प्रक्रिया है जिसने जमीनी कार्यकर्ताओं का मनोबल तोड़ दिया है.
आनंद माधव ने सभी पदों से दिया इस्तीफा
कांग्रेस के प्रवक्ता और रिसर्च विभाग के चेयरमैन आनंद माधव ने आरोपों की बौछार के बीच अपने सभी पदों से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने यह त्यागपत्र सीधे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को संबोधित किया. माधव ने कहा, “पार्टी को इस चुनाव में दो से दस सीटों के बीच सिमटना पड़ सकता है, यदि भीतरघात की यह स्थिति जारी रही.” उनके इस्तीफे ने असंतोष की आग में घी डालने का काम किया है.
पूर्व विधायक गजानंद शाही ने आरोप लगाया कि टिकट वितरण में खुली बेईमानी हुई है. उनके मुताबिक, जिन उम्मीदवारों को पिछली बार भारी मतों से हार का सामना करना पड़ा था, उन्हें इस बार टिकट दे दिया गया. वहीं बक्सर जिला अध्यक्ष रंजना सिंह ने कहा कि जिलाध्यक्षों को टिकट अनुशंसा का अधिकार देने के बावजूद उनकी राय को नजरअंदाज कर दिया गया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि टिकट वितरण के नाम पर राहुल गांधी के खिलाफ मुहिम चलाई जा रही है.
‘स्लीपर सेल’ सक्रिय होने का दावा
कई नेताओं ने यह दावा किया कि प्रदेश में पार्टी को कमजोर करने के लिए एक “स्लीपर सेल” सक्रिय है. उनका आरोप है कि यह गुट पर्दे के पीछे से कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा रहा ह. पूर्व विधायक मधुरेंद्र सिंह ने प्रदेश प्रभारी पर सवाल उठाते हुए कहा कि “जो खुद कभी चुनाव नहीं लड़ा, वह बिहार जैसी कठिन भूमि का प्रभारी कैसे बना?” उन्होंने टिकट वितरण में “घोटाले” की भी बात कही और मांग की कि उसकी केंद्रीय स्तर पर जांच हो.
वरिष्ठ नेताओं ने खोला मोर्चा
सीनियर कांग्रेस लीडर और अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी के पूर्व सदस्य किशोर कुमार झा ने कहा कि प्रदेश में नेतृत्व बेहद कमजोर है और प्रभारी अनुभवहीन तथा अपरिपक्व हैं. उनके अनुसार, इन्हीं कारणों से कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा है. “प्रदेश नेतृत्व की अक्षमता ने संगठन को जमीन पर गिरा दिया है,” उन्होंने तीखे शब्दों में कहा.
इस मौके पर नागेंद्र प्रसाद, विकल्प रंजन सिंह, बच्चू प्रसाद सिंह, राजकुमार राजन और बंटी चौधरी सहित कई नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस में मौजूद थे. उनका कहना था कि मेहनती और जमीनी कार्यकर्ताओं को पूरी तरह दरकिनार कर धनबल और सिफारिश के आधार पर टिकट बांटे गए.
राज्यभर में कांग्रेस की यह हलचल अब नए सियासी मोड़ पर पहुंचती दिख रही है, क्योंकि असंतुष्ट नेताओं का कहना है कि वे अब “संगठन के भीतर लोकतंत्र बचाने की लड़ाई” लड़ेंगे. कांग्रेस हाईकमान के सामने अब दोहरी चुनौती है. एक तरफ बगावती नेताओं को मनाना, दूसरी तरफ जनसंपर्क अभियान को पटरी पर लाना. राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को बिहार इकाई के भीतर उठे इस असंतोष से निपटने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करना होगा.
