Bihar Election 2025: मोकामा में गरजेगी बाहुबलियों की जंग,अनंत सिंह बनाम वीणा देवी की टक्कर से बढ़ सकता है सियासी तापमान

Bihar Election 2025: मोकामा की राजनीति में इस बार मुकाबला सिर्फ वोटों का नहीं, बल्कि परिवारों और राजनीतिक वजन का है. जदयू के बाहुबली अनंत सिंह और राजद की संभावित उम्मीदवार वीणा देवी के बीच चुनावी जंग पूरे क्षेत्र की है.

By Pratyush Prashant | October 16, 2025 11:46 AM

Bihar Election 2025: पटना का मोकामा विधानसभा क्षेत्र इस बार बाहुबली राजनेताओं का अखाड़ा बनने जा रहा है. सूरजभान की पत्नी वीणा देवी  और जदयू के बाहुबली अनंत कुमार सिंह के बीच मुकाबला दिलचस्प होने की संभावना है. मोकामा की सियासत का इतिहास बताता है कि यहां जीत सिर्फ संगठन या पार्टी के बूते नहीं मिलती, बल्कि जनाधार, प्रभाव और स्थानीय समीकरणों का संतुलन तय करता है कि कौन बाजी मारेगा.

इस बार भी यहां का मुकाबला बेहद दिलचस्प और हाई-प्रोफाइल होने जा रहा है. राजनीतिक समीकरण, पुरानी अदावत और नए गठबंधन इस चुनाव को न सिर्फ स्थानीय स्तर पर बल्कि राज्य राजनीति में भी अहम बना रहे हैं.

अनंत सिंह: जदयू का मजबूत दांव

अनंत कुमार सिंह ने 2005 से 2020 तक मोकामा से विधायक के रूप में क्षेत्र की राजनीति में अपनी पहचान बनाई है. यहां की जनता अनंत सिंह को पसंद करती रही है. 2020 में यहां से अनंत सिंह आरजेडी के टिकट पर जीते थे. बाद में एक केस में दोषी होने पर यहां से उनकी पत्नी नीलम देवी यहां से 2022 में उपचुनाव में विजयी हुईं. इस बार अनंत सिंह ने दल बदल लिया है. 

सूरजभान का वर्चस्व

एक दौर ऐसा भी था जब रेलवे का कोई ठेका सूरजभान सिंह की ‘मंजूरी’ के बिना पास ही नहीं होता था. पटना से लेकर गोरखपुर तक उनका नाम पहचान का पर्याय बन चुका था. 2004 में वे रामविलास पासवान की लोजपा से सांसद बने और संसद तक पहुंचे. बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में दोषी करार दिए जाने के बाद चुनावी राजनीति से उन्हें किनारा करना पड़ा. इसके बाद सत्ता और प्रभाव की कमान उनकी पत्नी वीणा देवी और भाई चंदन सिंह के हाथों में आ गई. दोनों ने सांसद बनकर सूरजभान फैक्टर को जिंदा रखा. एक बार फिर मोकामा की सियासत उसी सूरजभान फैक्टर को लेकर सुर्खियों में है.

सूरजभान और वीणा देवी: राजद में वापसी का दांव

चिराग पासवान के चाचा पशुपति पारस की राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी से इस्तीफा देने के बाद बाहुबली सूरजभान सिंह ने आरजेडी का दामन थाम लिया है. सूरजभान को तेजस्वी यादव ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराई. सूरजभान की पत्नी वीणा देवी पहले से ही आरजेडी में हैं. वीणा देवी गुरुवार को आरजेडी के सिंबल पर अपना नामांकन भी कर सकती है.

वीणा देवी के मैदान में उतरने से मोकामा की लड़ाई अब केवल बाहुबल की नहीं बल्कि संगठनात्मक रणनीति और नेतृत्व की परीक्षा भी बन गई है. एक ओर अनंत सिंह अपने पुराने जनाधार और प्रभाव के सहारे मैदान में हैं, वहीं दूसरी ओर सूरजभान सिंह का राजनीतिक नेटवर्क और अनुभव वीणा देवी के लिए बड़ा समर्थन साबित हो सकता है.

25 साल पुरानी राजनीतिक अदावत की नई जंग

मोकामा की राजनीति में अनंत सिंह और सूरजभान परिवार के बीच पुरानी अदावत रही है. 25 साल पहले इसी सीट पर अनंत सिंह के बड़े भाई दिलीप सिंह को हराकर सूरजभान सिंह विधायक बने थे. उस चुनाव ने मोकामा की राजनीति की दिशा बदल दी थी. अब वही परिदृश्य एक बार फिर बनता दिख रहा है.अनंत के बड़े भाई दिलीप सिंह ने 1990 और 1995 में मोकामा से जनता दल के टिकट पर विधायक का कार्य किया. 2000 में सूरजभान की राजनीति में प्रवेश हुआ और वे निर्दलीय उम्मीदवार बने. बाद में दिलीप सिंह राजद में शामिल हो गए. 2005 में अनंत सिंह ने निर्दलीय उम्मीदवार सूरजभान को भारी मतों से हराया. 25 साल बाद अब दोनों परिवारों की राजनीतिक टक्कर फिर से देखने को मिल रही है.

राजनीतिक समीकरण और रणनीति

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में मोकामा की सीट को अब “हाई-वोल्टेज कॉन्टेस्ट” कहा जा रहा है. दोनों परिवारों की रणनीति और चुनावी गतिविधियों पर नजर रखने वाले राजनीतिक विश्लेषक इसे क्षेत्रीय राजनीति का सबसे रोमांचक मुकाबला बता रहे हैं.

अनंत सिंह के मजबूत आधार और वीणा देवी की संभावित राजद टिकट की खबर ने मोकामा को राज्य राजनीति का सेंटर ऑफ अट्रैक्शन बना दिया है. सूरजभान ने इस्तीफे के वक्त कहा कि वे दुखी मन से पार्टी छोड़ रहे हैं, यह कदम क्षेत्र में सियासी हलचल को और तेज कर रहा है.

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