Bihar Bhumi: बिहार में चल रहे फार्मर रजिस्ट्री के बीच ज्वाइंट ओनरशिप वाली जमीन को लेकर बड़ा आदेश, अब करना होगा ऐसा

Bihar Bhumi: बिहार में इन दिनों फार्मर रजिस्ट्री का काम किया जा रहा है. इस बीच ज्वाइंट ओनरशिप वाली जमीन को लेकर बड़ा आदेश आ गया है. दरअसल, ज्वाइंट जमीन में किसका कितना हिस्सा है, इसे भी अब दर्ज किया जायेगा. क्या कुछ मामले सामने आए, आइये जानते हैं...

By Preeti Dayal | December 1, 2025 10:09 AM

Bihar Bhumi: बिहार में फार्मर रजिस्ट्री का काम जारी है. इस दौरान कई पेंच सामने आये हैं. जिसे देखते हुए कृषि विभाग की ओर से समस्याओं के समाधान की मांग की गयी थी. इस पर अब राजस्व विभाग, एनआईसी, सीपीएमयू (सेंट्रल प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट) की बैठक हुई. इसमें कई सुधारों के प्रस्ताव दिये गये. जमाबंदी का डेटा एकड़ में उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया गया है.

डेटा में ये सब करना होगा मेंशन

जानकारी के मुताबिक, डेटा में संपूर्ण दशमलव अंक को भी लिखा जायेगा. डिसमिल का उपयोग नहीं किया जायेगा. संयुक्त स्वामित्व (ज्वाइंट ओनरशिप) के अंश या सीमा के निर्धारण का सुझाव दिया गया है. बिहार में 40 प्रतिशत से अधिक ज्वाइंट ओनरशिप के मामले परिभाषित या विभाजित नहीं हैं. जमाबंदी में टोटल एरिया की जानकारी है. इस प्रकार के मामलों में उनके अंश को दर्ज करने का प्रस्ताव दिया गया है.

रैयतों को बताना होगा पूर्वजों से संबंध

दरअसल, रैयत के पूर्वजों से उनका संबंध स्पष्ट रूप से दर्ज किया जायेगा. आरओआर (रिकॉर्ड ऑफ राइट्स) में जमीन का प्रकार दर्ज किया जायेगा. जमीन कृषि की है या गैर कृषि, इसे मेंशन किया जायेगा. मृत किसानों के नाम जमाबंदी से हटाने का सुझाव दिया गया. साथ ही रैयत किसानों के खाता, खेसरा और रकवा को उनकी जमाबंदी में अपडेट कराया जायेगा.

क्या कुछ मामला आया था सामने?

फिलहाल, आरओआर (रिकॉर्ड ऑफ राइट्स) में जमाबंदी के प्रकार दर्ज नहीं हैं. कृषि और गैर कृषि जमीन परिभाषित नहीं है. जमाबंदी सिंगल है या ज्वाइंट ये स्पष्ट रूप से दर्ज नहीं है. रैयत किसानों के खाता खेसरा अपडेट नहीं रहने के कारण बकेटिंग का काम पूरा नहीं हुआ है. इसके अलावा राजस्व विभाग ने भी कई मांगें रखी हैं.

जानकारी के मुताबिक, ई-केवाईसी और बकेट क्लेम की प्रक्रिया को सीएससी के माध्यम से कराने का अनुरोध किया गया है. 70 प्रतिशत से कम नाम के मिलान वाले मामलों में राजस्व कर्मी से जांच का प्रस्ताव दिया गया है. इसके अलावा गलत तरीके से प्रदर्शित हो रहे लैंड डिटेल्स में सुधार की मांग की गयी है.

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