बिहार में बाढ़ मसले पर सियासत तेज, नीतीश-मोदी आमने-सामने

पटना : नीतीश ने आज कहा कि प्रदेश में बाढ़ की स्थिति की 24 घंटे नजर रखी जा रही है तथा राहत एवं बचाव कार्य की सतत निगरानी की जा रही है. नीतीश ने पटना में आज पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने राहत शिविरों में शरण लिए हुए लोगों के बीच भोजन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 24, 2016 10:40 PM

पटना : नीतीश ने आज कहा कि प्रदेश में बाढ़ की स्थिति की 24 घंटे नजर रखी जा रही है तथा राहत एवं बचाव कार्य की सतत निगरानी की जा रही है. नीतीश ने पटना में आज पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्होंने राहत शिविरों में शरण लिए हुए लोगों के बीच भोजन वितरण के साथ मुख्यमंत्री राहत कोष से उन्हें बर्तन सहित अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराए जाने का निर्देश दिया है. इस बीच भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया है कि बाढ़ पीडितों के बीच राहत वितरण में अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार फरक्का बराज और गाद प्रबंधन नीति का मुद्दा उठा रहे हैं.

सुशील मोदी ने किया हमला

सुशील ने आज एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मुख्यमंत्री पर भ्रम पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने नई दिल्ली में जल संसाधन मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत के बाद बताया कि फरक्का बराज की वजह से बिहार में बाढ़ आई है, इसका वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री का यह बयान भी बेबुनियाद है कि बिहार सरकार के आग्रह पर फरक्का बराज के गेट खोले गए, हकीकत है कि मॉनसून के मौसम में बराज के सभी गेट हमेशा खुले रहते हैं.

मोदी ने फरक्का मामले पर घेरा

बिहार विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता सुशील ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री स्वयं अभियंता हैं उन्हें भ्रामक बयान देने के बजाय भारत सरकार की संस्था की अध्ययन रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए जिसे बिहार सरकार ने ही फरक्का बराज के प्रभाव और गंगा के प्रवाह व गाद आदि के अध्ययन के लिए अधिकृत किया गया है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने भी अप्रैल 2016 में सेंट्रल वाटर पावर रिसर्च स्टेशन के निदेशक डा0 एम के सिन्हा की अध्यक्षता में गंगा व ब्रहमपुत्र में कटाव व गाद के अध्ययन के लिए एक समिति का गठन किया है.

ममता से बात करें नीतीश-मोदी

सुशील ने कहा कि नीतीश कुमार को फरक्का बराज को तोड़ने का तर्क देने से पहले नीतीश कुमार को एक बार ममता बनर्जी से पूछ लेना चाहिए. फरक्का बराज का निर्माण 1975 में 38 किमी लंबी फीडर कैनाल के जरिये हुगली में पानी डायवर्ट करने के लिए किया गया था ताकि कलकत्ता बंदरगाह पर आवागमन की सुगमता बनी रहे. दरअसल बराज कोई भंडारण निर्माण नहीं है बल्कि इसके जरिये पानी के प्रवाह को डायवर्ट किया जाता है. ऐसे में इस बराज की वजह से बाढ़ आने का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. उन्होंने आरोप लगाया कि दरअसल बिहार में बाढ़ से बचाव व राहत कार्य की पूर्व से कोई तैयारी नहीं थी इसलिए मुख्यमंत्री भ्रामक बयानों के जरिये लोगों का ध्यान भटका रहे हैं जबकि उन्हें लाखों बाढ़ पीड़ितों को त्वरित राहत व उनके बचाव पर ध्यान देना चाहिए.

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