मांगा दहेज तो लड़की ने शादी से किया इन्कार

बिहारशरीफ/पटना : शराबबंदी की प्रशंसक व दहेज विरोधी अभियान की सारथी बनी एक दुल्हन ने हिम्मत दिखाते हुए मंडप में ही सिंदूरदान से पहले शादी से इन्कार कर दिया. भले ही बरात बगैर दुल्हन के पटना लौट गयी, लेकिन नालंदा के लोग इस बिटिया की हिम्मत की वाहवाही कर रहे हैं. लड़की के पिता समेत […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 16, 2019 5:08 AM

बिहारशरीफ/पटना : शराबबंदी की प्रशंसक व दहेज विरोधी अभियान की सारथी बनी एक दुल्हन ने हिम्मत दिखाते हुए मंडप में ही सिंदूरदान से पहले शादी से इन्कार कर दिया. भले ही बरात बगैर दुल्हन के पटना लौट गयी, लेकिन नालंदा के लोग इस बिटिया की हिम्मत की वाहवाही कर रहे हैं.

लड़की के पिता समेत उसके परिजन भी इससे काफी खुश हैं. लड़की ने मंडप में ही दो टूक शब्दों में कह दिया कि जो व्यक्ति उसके पिता की इज्जत व मान-मर्यादा का ख्याल नहीं रख सकता, उसकी पत्नी बनना मंजूर नहीं है. ऐसे दहेज लोभियों के घर की बहू बनना उसकी अंतरात्मा को कभी गवारा नहीं है.
एक नजर में समझें पूरा वाकया : नगर थाने के कागजी मुहल्ला निवासी सुनील कुमार की पुत्री निशा की शादी पटना के इंदिरा नगर कंकड़बाग निवासी मुरारी प्रसाद के पुत्र मोनू कुमार के साथ तय हुई थी. बरात आगमन व शादी के लिए 14 मार्च की तिथि तय हुई.
गुरुवार को पटना से बरात कागजी मुहल्ला पहुंची, लेकिन मंडप में ज्यादातर बराती नशे में धुत थे. लड़की को रस्म अदायगी के लिए मंडप में लाया गया. इसी दौरान दूल्हे के कुछ परिजन लड़की के पिता से बदतमीजी पर उतर आये और दहेज के लिए बार-बार पिता पर दबाव बनाने लगे.
इधर, मंडप में बैठी लड़की इस बात से काफी नाराज हुई. फिर क्या था, लड़की ने सिंदूरदान से पहले ही शादी से इन्कार कर दिया. इसके बाद बरात बगैर दुल्हन लिये पटना लौट गयी.
शादी से इन्कार पर भिड़े बराती व सराती : लड़के पक्ष के लोग शादी को तैयार थे, लेकिन दुल्हन के शादी करने से इन्कार करने पर बराती आक्रोशित हो गये. इसके बाद दोनों के बीच पहले तू-तू, मैं-मैं हुई. फिर गाली-गलौज होने लगी, जो देखते ही देखते कुछ देर के लिए मंडप रणक्षेत्र में बदल गया.
करीब एक घंटे तक वहां अफरातफरी मची रही. लोग पिटाई से बचने के लिए इधर-उधर भागने लगे. दो-तीन बरातियों के चोटिल होने की सूचना मिली है, लेकिन कोई इलाज कराने सदर अस्पताल नहीं पहुंचा. विवाद ज्यादा होने वार दोनों पक्ष थाने पहुंच गये, लेकिन बुद्धिजीवियों के हस्तक्षेप के बाद मामला दर्ज कराये बिना दोनों पक्ष लौट आये.

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