कांग्रेस की राष्ट्रीय कार्यसमिति में बिहारी लॉबी मजबूत नहीं, राहुल-तेजस्वी संवाद पर ही सीटों का होगा फैसला

पटना : प्रदेश कांग्रेस में आलाकमान से साझा सीटों की पैरवी करने वाला कोई मजबूत नेता नहीं है. आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस के नेताओं से अलग-अलग राय जरूर ली है. पर सभी नेताओं की राय को शामिल करते हुए एक वैसी रिपोर्ट आलाकमान को अब तक नहीं सौंपी गयी है, जिससे ऊपर यह दबाव बने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 22, 2019 7:52 AM
पटना : प्रदेश कांग्रेस में आलाकमान से साझा सीटों की पैरवी करने वाला कोई मजबूत नेता नहीं है. आलाकमान ने प्रदेश कांग्रेस के नेताओं से अलग-अलग राय जरूर ली है.
पर सभी नेताओं की राय को शामिल करते हुए एक वैसी रिपोर्ट आलाकमान को अब तक नहीं सौंपी गयी है, जिससे ऊपर यह दबाव बने कि कौन-कौन सीटें कांग्रेस को हर हाल में रखनी है. दो दिन पहले राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की थी. अब प्रदेश नेताओं को अपने सुझावों से अधिक राहुल-तेजस्वी के बातचीत के फलाफल का इंतजार है.
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में बिहार के एक भी नेता शामिल नहीं हैं. कार्यकारिणी में बिहार से विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में मीरा कुमार एकमात्र सदस्य हैं. राष्ट्रीय कार्यसमिति में प्रदेश कांग्रेस को हासिये पर रखा गया है. कांग्रेस में वैसा कोई कद्दावर भी नहीं है, जो केंद्रीय नेतृत्व पर राज्य की सीटों का दबाव बना सके.
सेकुलर मतों के बिखराव को रोकने के लिए लालू-राबड़ी शासनकाल में कांग्रेस खुद ही बिखरती चली गयी. भाजपा की सरकार रहते हुए मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में कांग्रेस नेता केंद्र में अपनी शक्ति दिखाते रहे. मध्यप्रदेश में चाहे वह कमलनाथ हों, ज्योतिरादित्य सिंघिया या राजस्थान में अशोक गहलौत या सचिन पायलट हों. इनकी आलाकमान के पास अपनी पकड़ है.
कांग्रेस के सामाजिक आधार वाले मतदाता खासकर क्षेत्रीय दलों के पास जुटते चले गये. इधर, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद कांग्रेस को अपने साथ रखे रहे, पर अपनी शर्त पर ही सीटों का बंटवारा करते रहे. चाहे वह विधानसभा चुनाव हो या लोकसभा चुनाव. इस बार तेजस्वी भी सीधे राहुल गांधी के संपर्क में हैं.

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