पटना में आइवीएफ के लिए पहुंच रहे हर 100 में पांच दंपती खोज रहे किराये की कोख, ये हैं सरोगेसी के नये नियम

आनंद तिवारी पटना : महानगरों की तरह धीरे-धीरे राजधानी पटना सहित बिहार के शहरों में सरोगेसी यानी किराये की कोख का चलन बढ़ा है. राजधानी में करीब दस बड़े निजी आइवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) केंद्र संचालित हैं. इनके संचालकों की मानें तो स्पर्म फर्टिलाइजेशन के लिए पहुंचने वाले 100 दंपतियों में पांच फीसदी दंपती किराये […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2018 8:16 AM
आनंद तिवारी
पटना : महानगरों की तरह धीरे-धीरे राजधानी पटना सहित बिहार के शहरों में सरोगेसी यानी किराये की कोख का चलन बढ़ा है. राजधानी में करीब दस बड़े निजी आइवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) केंद्र संचालित हैं.
इनके संचालकों की मानें तो स्पर्म फर्टिलाइजेशन के लिए पहुंचने वाले 100 दंपतियों में पांच फीसदी दंपती किराये की कोख की मांग करते हैं. काफी समय से देश में सरोगेसी पर लंबी बहस चल रही थी. बुधवार को लोकसभा ने सरोगेसी बिल पास कर इसको लेकर होने वाली कानूनी पेचीदगियों को साफ कर दिया है.
पीएमसीएच में भी पहुंच रहे सरोगेसी के केस
पटना ऑब्सटेक एंड गायनी सोसाइटी से जुड़ी महिला डॉक्टरों की मानें, तो पीएमसीएच, एनएमसीएच, आइजीआइएमएस सहित प्राइवेट अस्पतालों में आने वाले ऐसे पांच प्रतिशत दंपती हैं, जो सरोगेसी की मांग करते हैं. डॉक्टरों की मानें, तो पटना सहित पूरे बिहार में भी सरोगेसी की मांग बढ़ती जा रही है. लेकिन अन्य बड़े शहरों की तुलना में यहां संख्या अभी कम है. अकेले पीएमसीएच में हर तीन महीने में एक दो सरोगेसी के केस आ जाते हैं.
तीन करोड़ का होता है कारोबार
आइजीआइएमएस की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ कल्पना सिंह ने बताया कि बिहार में भी आइवीएफ तकनीक की जरूरत एक बड़े आबादी को विभिन्न कारणों से पड़ने लगी है. यही वजह है कि आइजीआइएमएस में भी आइवीएफ सेंटर खोला जा रहा है. हालांकि नये कानून में इसे और आसान बना दिया गया है.
यह कानून जरूरतमंदों की मदद व गलत उपयोग करने वाले लोगों के हित में रख कर बनाया गया है. वहीं, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ पूनम ने बताया कि सरोगेट मदर के लिए पूरी प्रक्रिया में करीब पांच से छह लाख रुपये खर्च आते हैं. एक अनुमान के मुताबिक पूरे पटना जिले में हर महीने करीब तीन करोड़ रुपये का कारोबार इस माध्यम से होता है.
ये हैं सरोगेसी के नये नियम
– महिला अब अपनी कोख किराये पर नहीं दे सकेंगी
– कोई भी महिला जीवन में बस एक बार बन पायेगी सरोगेट मदर
– सिंगल, अविवाहित जोड़े व होमोसेक्सुअल को इजाजत नहीं है
– सरोगेट महिला की उम्र 25 से 35 साल के बीच हो और खुद का बच्चा हो
– शादीशुदा दंपती को ही सरोगेसी की मिल सकती है इजाजत
– सरोगेट बनने वाली महिला दंपती की करीबी रिश्तेदार होनी चाहिए
क्या है सरोगेसी
एनएमसीएच की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ अमृता सिन्हा ने बताया कि सरोगेसी में आइवीएफ टेक्नोलॉजी के जरिये पति के स्पर्म व पत्नी के एग्स से बना एंब्रियो एक दूसरी महिला की कोख में इंजेक्ट किया जाता है और वही महिला उस बच्चे को जन्म देती है. इससे जो बच्चा जन्म लेता है, उसका डीएनए सरोगेसी करनेवाले दंपती का ही होता है. सरोगेसी सिर्फ वैसे दंपती ही करा पायेंगे, जो किसी कारणवश माता-पिता नहीं बन पाते.
क्या है आइवीएफ डॉ अमृता ने बताया
कि आइवीएफ कृत्रिम तकनीक से गर्भधारण की प्रक्रिया है. इस तकनीक में एग और स्पर्म को ओरिजनल मां के गर्भ में विकसित करने की बजाय तीन दिन तक लेबोरेटरी में विकसित किया जाता है. आइवीएफ में महिला के एग को पुरुष के स्पर्म से मिलाना और फिर गर्भ में स्थापित करना, सबकुछ नेचुरल तरीके से किया जाता है. इसमें न तो किसी तरह के ऑपरेशन की जरूरत होती है और न ही अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत होती है.