पटना : टीबी मरीजों पर बीजिंग बैक्टीरिया के प्रभाव पर होगा शोध
पटना : बिहार के टीबी मरीज चीन के खतरनाक बीजिंग बैक्टीरिया की चपेट में आ सकते हैं. यह बैक्टीरिया टीबी के खास मरीजों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है. नतीजा ऐसे मरीजों पर पहले चरण की दवाएं कारगर नहीं हो रही हैं. इलाज के दौरान वे एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस) चपेट में आ रहेहैं. […]
पटना : बिहार के टीबी मरीज चीन के खतरनाक बीजिंग बैक्टीरिया की चपेट में आ सकते हैं. यह बैक्टीरिया टीबी के खास मरीजों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है. नतीजा ऐसे मरीजों पर पहले चरण की दवाएं कारगर नहीं हो रही हैं. इलाज के दौरान वे एमडीआर (मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस) चपेट में आ रहेहैं. यह खुलासा इंदिरा गांधी आयुर्वज्ञिान संस्थान के पल्मोनरी मेडिसिनविभाग व सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट में आये मरीजों की जांच में हुआ है. डॉक्टर इस पर काबू पाने खास रणनीति बना रहे हैं.आईजीआईएमएस करेगा बैक्टीरिया पर शोध : आईजीआईएमएस के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के ओपीडी में ऐसे तीन मरीज की जांच में पुष्टि हुई है, जो इस बैक्टीरिया की चपेट में आ चुके हैं. हालांकि ये तीनों मरीज बिहार में नहीं, बल्कि दूसरे प्रदेश में रहते हैं .
इनमें एक मरीज असम तो बाकी दो मरीज दिल्ली में रहते हैं. डॉक्टरों की माने तो इनकी बीमारी शुरुआती समय में पकड़ में आ गयी. इनको टीबी रोग की पांच दवाएं व इंजेक्शन देकर बीमारी कंट्रोल में कर लिया गया. नये बैक्टीरिया की पहचान के बाद आईजीआईएमएस का पल्मोनरी मेडिसिन विभाग शोध करने का निर्णय लिया है.
25 से 60 साल के मरीज पर होगा शोध : आईजीआईएमएस के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के डॉक्टर ओपीडी में आने वाले 25 से 60 साल के मरीजों पर शोध करेंगे. ये वह मरीज होंगे जो जन्हिें एमडीआर टीबी की बीमारी है. डॉक्टरों की माने तो शोध में उन मरीजों को रखा जायेगा जिनको लगातार दो हफ्ते से ज्यादा खांसी हो और उनके मुंह में खून आने समस्या बनी हो.
क्या है बीजिंग बैक्टीरिया
आईजीआईएमएस के टीबी रोग विशेषज्ञ डॉ मनीष ने बताया कि बीजिंग बैक्टीरिया सबसे अधिक चीन में पाया जाता है. यह बैक्टीरिया फेफड़े की टीबी से पीड़ित मरीजों को अपने जद में ले लेता है. दरअसल फेफड़े के टीबी से पीड़ित मरीजों में रोगों से लड़ने की ताकत कम हो जाती है.
सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट के शोध में बीजिंग बैक्टीरिया के मामले सामने आ चुके हैं. चीन का बैक्टीरिया भारत में तेजी से प्रवेश कर रहा है. बिहार के जो लोग असम, गुवाहाटी, दिल्ली, मुंबई आदि शहरों में रहते हैं, उनमें यह बीमारी होने का खतरा है. हालांकि बिहार में इस बैक्टीरिया से लोग पीड़ित हैं या नहीं यह शोध का विषय है. आईजीआईएमएस का पल्मोनरी मेडिसिन विभाग इस पर शोध करेगा.डॉ मनीष संकर, विभागाध्यक्ष, पल्मोनरी मेडिसिन विभाग, आईजीआईएमएस.