छठ से ज्यादा जीवंत, प्रकृति के प्रति विश्वास का कोई दूसरा पर्व नहीं : सीएम नीतीश

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि लोक आस्था के महापर्व छठ से ज्यादा जीवंत और प्रकृति के प्रति विश्वास का कोई दूसरा पर्व नहीं हो सकता. छठ पर्व के दूसरे दिन व्रतधारियों के खरना के तहत दिन भर उपवास रखने के बाद आज देर शाम श्रद्धालुओं के प्रसाद ग्रहण के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 25, 2017 9:16 PM

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि लोक आस्था के महापर्व छठ से ज्यादा जीवंत और प्रकृति के प्रति विश्वास का कोई दूसरा पर्व नहीं हो सकता. छठ पर्व के दूसरे दिन व्रतधारियों के खरना के तहत दिन भर उपवास रखने के बाद आज देर शाम श्रद्धालुओं के प्रसाद ग्रहण के लिए मुख्यमंत्री आवास पर एक सादा समारोह में आयोजित किया गया. इसमें राज्यपाल सत्यपाल मलिक, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह और अपने मंत्रिमंडल के अन्य सहयोगियों सहित अन्य गणमान्य लोगों और श्रद्धालुओं का नीतीश ने स्वागत किया और प्रसाद के रूप में खीर और रोटी का वितरण किया.

छठ पर्व के अवसर पर मुख्यमंत्री के बड़े भाई सतीश कुमार की पत्नी गीता देवी, भतीजी सुनीता कुमारी, भांजे की पत्नी रेखा कुमारी और भांजी विभा कुमारी छठ पर्व मना रही हैं. इस अवसर पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए नीतीश ने कहा, लोक आस्था के महापर्व छठ के अवसर पर समस्त बिहार वासियों और देश वासियों को शुभकामनाएं देता हूं. यह महापर्व है और इस पर्व के दौरान आत्मानुशासन देखने को मिलता है. हर व्यक्ति स्वच्छता पर नजर रखता है.

सीएम ने कहा, जिस तरह का आत्मानुशासन छठ पर्व के अवसर पर देखने को मिलता है और जितनी आस्था होती है, अगर छठ पर्व के बाद भी यह आत्मानुशासन समाज आए तो मैं समझता हूं कि बहुत बड़ा परिवर्तन आयेगा. नीतीश ने कहा, मेरी समझ से यह प्रकृति और सूर्य की पूजा है जिनके चारों ओर पृथ्वी चक्कर काट रही है जिसमें हम सब वास करते हैं. उन्होंने कहा कि इससे ज्यादा जीवंत और प्रकृति के प्रति विश्वास का कोई दूसरा पर्व नहीं हो सकता है.

नीतीश ने कहा कि बिहार में यह पर्व तो सबसे अधिक लोकप्रिय है और अब इसका आयोजन देश के कोने कोने में होने लगा है. खरना के बाद व्रर्तियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू हो जायेगा और गुरुवार की शाम को वे अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य देंगे. शुक्रवार की प्रात: व्रतियों द्वारा उदीयमान सूर्यदेव को दूसरा अर्घ्य देने के साथ चार दिवसीय लोक आस्था का यह पर्व संपन्न हो जायेगा.