नीतीश से मिलने के बाद अब तेजस्वी जा रहे हैं दिल्ली, इन लोगों से कर सकते हैं मुलाकात

पटना : बिहार में सियासी घमसान का तूफान कुछ हद तक थमते हुए नजर आ रहा है. बिहार कैबिनेट की बैठक के बाद बंद कमरे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव से मुलाकात की. उस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं. हालांकि, जदयू के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 19, 2017 11:38 AM

पटना : बिहार में सियासी घमसान का तूफान कुछ हद तक थमते हुए नजर आ रहा है. बिहार कैबिनेट की बैठक के बाद बंद कमरे में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव से मुलाकात की. उस मुलाकात के कई मायने निकाले जा रहे हैं. हालांकि, जदयू के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि मामला इतनी जल्दी शांत होने वाला नहीं है. तेजस्वी को सबूत के साथ सफाई देनी ही होगी. जानकारी के मुताबिक तेजस्वी यादव आज यानी बुधवार की शाम दिल्ली के लिए रवाना हो रहे हैं. बताया जा रहा है कि शाम की फ्लाइट से दिल्ली जायेंगे. सूत्रों की मानें तो इस दिल्ली दौरे को विभागीय मीटिंग बताया जा रहा है, लेकिन सूत्र बताते हैं कि तेजस्वी यादव सीबीआई की ओर से दर्ज प्राथमिकी के मामले में दिल्ली के वरिष्ठ वकीलों से सलाह-मशविरा करेंगे.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तेजस्वी यादव ने कल शाम कैबिनेट की बैठक में भाग लिया. उसके बाद वह प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चौधरी के साथ सीएम के कमरे में गये. उसके चालीस मिनट बाद जब वह कमरे से निकले तो उनके हाव-भाव में काफी बदलाव दिख रहा था. वहीं पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने फोन पर बातचीत में बताया कि लालू का अड़ियल रूख नहीं चलेगा. उन्होंने तेजस्वी को सिखाया कि जाकर नीतीश से मिलें. जदयू के सूत्रों ने कहा कि लालू यादव के पुत्र तेजस्वी यादव संवैधानिक पद पर हैं और लालू को इसमें कुछ बोलने का कोई मतलब नहीं बनता. तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के सामने अपनी संपत्ति के स्रोत रखना ही होगा.

उधर, बीजेपी नेता सुशील मोदी ने ट्वीट कर जदयू पर हमला बोला और कहा कि भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात कर जदयू ने करोड़ों रुपये की बेनामी संपत्ति के मामले में तेजस्वी यादव से बिंदुवार और तथ्यात्मक जवाब पाने के लिए ताबड़तोड़ बयान दिये. अब कहा जा रहा है कि ना मुख्यमंत्री ने तेजस्वी यादव से इस्तीफा मांगा और ना इसके लिए समय-सीमा तय की. जिस पार्टी ने लाठी में तेल पिलावन रैली की, नोटबंदी का विरोध किया, दलित समुदाय के रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने की राह में रोड़े अटकाने की कोशिश की और जिसके मंत्रियों ने हमेशा केंद्र सरकार से टकराव का रुख अपनाया, उसके नेता सकारात्मक राजनीति की बात कर रहे हैं.

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