Patna: छूआछूत से नहीं फैलता अस्थमा, इनहेलर ही इसका इलाज, डॉ. विनय कृष्णा की मरीजों को सलाह
Patna: विश्व अस्थमा दिवस पर फोर्ड हॉस्पिटल में मंगलवार को एक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. इस दौरान 50 से अधिक मरीजों की जांच की गई. कार्यक्रम के दौरान डॉ. विनय कृष्णा ने मौजूद लोगों को बताया कि अस्थमा कोई छूआछूत या संक्रामक बीमारी नहीं है.
Patna: अस्थमा को लेकर समाज में कई तरह की गलत धारणाएं फैली हुई हैं, जैसे कि “अस्थमा छूने से फैलता है” या “इनहेलर का इस्तेमाल करने से आदत पड़ जाती है”. हमें ऐसी धारणाओं से बचना चाहिए. डॉक्टर द्वारा दी गई इनहेलर और दवाएं जरूरी हैं, इसे किसी के कहने से बंद नहीं करें. याद रखें अस्थमा के लिए इनहेलर ही समुचित इलाज है. ये बातें रेस्पिरेटरी मेडिसिन के एचओडी डॉ. विनय कृष्णा ने विश्व अस्थमा दिवस पर कहीं.
ये दिक्कत है तो हो सकता है अस्थमा
विश्व अस्थमा दिवस पर फोर्ड हॉस्पिटल में मंगलवार को एक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. जिसमें 50 से अधिक मरीजों की जांच की गई जबकि कई मरीज संदिग्ध मिले. शिविर में आने वाले मरीजों में सांस लेने में दिक्कत, आवाज में घरघराहट, सूखी खांसी, छाती में जकड़न की शिकायत सबसे अधिक पाई गई, जो कि अस्थमा के लक्षण हैं. इस दौरान पीएफटी (पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट), चेस्ट एक्स-रे, थायरॉइड, विटामिन डी3, शुगर टेस्ट, लंग्स फंक्शन टेस्ट, सीबीसी, आइजीई (एलर्जी टेस्ट), ब्रॉंकोस्कोपी आदि जांच की गई, जिनमें मरीजों को काफी छूट दी गई.
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अस्थमा छूआछूत या संक्रामक बीमारी नहीं: डॉ. कृष्णा
2025 के लिए विश्व अस्थमा दिवस की थीम है “मेक इनहेल्ड ट्रीटमेंट्स एक्सेसिबल फॉर ऑल” (Make Inhaled Treatments Accessible for ALL). इसका मतलब है कि सभी लोगों तक सांस से जुड़ी दवाएं आसानी से पहुंचनी चाहिए. अस्थमा कोई छूआछूत या संक्रामक बीमारी नहीं है. 20-25 प्रतिशत मरीज ऐसे आते हैं, जिन्हें इस बीमारी के होने का पता ही नहीं चलता. इसलिए समय-समय पर क्लिनिकल टेस्ट करवाते रहना चाहिए. शिविर में विभाग के सभी डॉक्टर और चिकित्सीय कर्मी मौजूद रहे.
