‘सर, हम जिंदा हैं लेकिन सिस्टम हमें मृत बता रहा है’, तकनीकी गड़बड़ी में फंसी बुजुर्गों की पेंशन, हजारों परेशान

Nalanda News: नालंदा जिले में ई-केवाईसी पोर्टल की तकनीकी खामियों ने वृद्धा पेंशनधारियों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. कई बुजुर्गों की पेंशन गलत तरीके से बंद हो गई है और उन्हें कागजों में मृत दिखाया जा रहा है. इस वजह से वे महीनों से परेशान हो रहे हैं.

By Paritosh Shahi | December 13, 2025 4:56 PM

Nalanda News: नालंदा जिले में वृद्धा पेंशनधारियों के लिए शुरू किया गया ई-केवाईसी अभियान खुद उनके लिए बड़ी परेशानी बन गया है. एक दिसंबर से ई-केवाईसी अपडेट की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन छह दिसंबर को केवल एक दिन पोर्टल ठीक से चला और फिर तकनीकी खराबी के कारण बंद हो गया. इसका सबसे ज्यादा असर उन बुजुर्गों पर पड़ा है, जिनकी पेंशन पहले से ही रुकी हुई है.

जीवित हैं लेकिन पेंशन नहीं मिल रहा

बिहारशरीफ और आसपास के प्रखंडों में रोज ऐसे कई बुजुर्ग सामाजिक सुरक्षा कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं. इनके नाम सरकारी रिकॉर्ड में गलती से मृत दर्ज हो गए हैं. रहुई प्रखंड की वृद्धा उर्मीला देवी ने अधिकारियों से कहा कि वे जीवित हैं, लेकिन महीनों से उनकी पेंशन नहीं मिली. प्रखंड कार्यालय में उन्हें बताया गया कि पोर्टल पर उनका नाम मृत दिख रहा है, इसी कारण भुगतान रोक दिया गया है.

ऐसी ही स्थिति बेन एकसारा गांव की 82 वर्षीय दाखो देवी की भी है. पेंशन न मिलने की शिकायत लेकर जब वह बेन प्रखंड कार्यालय पहुंचीं, तो वहां उन्हें भी यही जवाब मिला कि वेबसाइट पर उनका नाम मृत दर्ज है. कर्मचारियों ने आवेदन में सुधार कर जिला कार्यालय भेज दिया, लेकिन पेंशन कब शुरू होगी, इसका कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला.

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बिहारशरीफ में बढ़ रहा मामला

बिहारशरीफ में यह समस्या किसी एक-दो मामलों तक सीमित नहीं है. रोजाना करीब 15 से 20 वृद्ध पेंशनधारी या उनके परिजन अलग-अलग कार्यालयों में शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं. कई बुजुर्ग चलने-फिरने में असमर्थ हैं, इसलिए उनके बेटे-बेटियां या रिश्तेदार मजबूरी में सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं.

नालंदा जिले में कुल 417160 वृद्धा पेंशनधारी रजिस्टर्ड हैं. इनमें से 7311 की पेंशन पूरी तरह बंद है. फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इनमें से कितने लाभुक वास्तव में मृत हैं और कितनों को कागजों में गलत तरीके से मृत घोषित कर दिया गया है. लाभुकों का आरोप है कि बिना किसी ठोस जांच के बड़ी संख्या में नाम पोर्टल पर मृत दिखा दिए गए, जिससे उनकी पेंशन रोक दी गई.

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