बिहार की सांस्कृतिक धरोहर को मिलेगा नया आयाम, इस तरह सुरक्षित होंगे दुर्लभ ग्रंथ
Bihar News: शिक्षा का गौरवशाली केंद्र नालंदा विश्वविद्यालय और बिहार संग्रहालय के बीच एक महत्वपूर्ण करार किया गया है. इस करार के तहत राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और आधुनिक शैक्षणिक अनुसंधान के साथ जोड़ने की दिशा में एक नया अध्याय शुरू करेगा.
Bihar News: शिक्षा का गौरवशाली केंद्र नालंदा विश्वविद्यालय और बिहार संग्रहालय के बीच एक महत्वपूर्ण करार किया गया है. इस करार के तहत राज्य की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और आधुनिक शैक्षणिक अनुसंधान के साथ जोड़ने की दिशा में एक नया अध्याय शुरू करेगा.
करार का मुख्य लक्ष्य
मिली जानकारी के अनुसार इस ऐतिहासिक समझौते पर नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी और बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने हस्ताक्षर किया है. इस साझेदारी का मुख्य लक्ष्य सांस्कृतिक और शैक्षणिक सहयोग को मजबूती प्रदान करना है.
डिजिटल संरक्षण की दिशा में नया कदम
बता दें कि समझौते के तहत दोनों संस्थाएं संयुक्त रूप से अमूल्य पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण का काम करेंगी. यह कदम न सिर्फ इन दुर्लभ ग्रंथों के संरक्षण में सहायक साबित होगा, बल्कि दुनियाभर के शोधकर्ताओं के लिए इन्हें सुलभ भी बनाएगा. डिजिटल युग में यह पहल बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पारंपरिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ने का बहुत ही प्रभावी माध्यम है.
विकसित होंगे संयुक्त कार्यक्रम
शैक्षणिक गतिविधियों के तहत संयुक्त पाठ्यक्रम विकसित किए जाएंगे, जो छात्रों को बिहार के इतिहास और संस्कृति की गहरी समझ प्रदान करेंगे. दोनों संस्थानों के विशेषज्ञ मिलकर विभिन्न शोध परियोजनाओं पर काम करेंगे. इससे नए ऐतिहासिक तथ्यों की खोज हो सकेगी.
जन-जन तक पहुंचेगी बिहार की समृद्ध परंपरा
इसके तहत प्रदर्शनियां, सम्मेलन और संगोष्ठियां आयोजित की जाएंगी, जो बिहार की समृद्ध परंपरा को जन-जन तक पहुंचाएंगी. समझौते में शैक्षणिक और सांस्कृतिक क्षेत्र के विशेषज्ञों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलाए जाएंगे. ये कार्यक्रम संग्रहालय विज्ञान, पुरातत्व और इतिहास के क्षेत्र में कुशल जनशक्ति तैयार करने में मददगार होंगे.
बिहार की ताजा खबरों के लिए यहां क्लिक करें
नालंदा की विरासत को नया आयाम
यह समझौता विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पुराना नालंदा की शिक्षा परंपरा को आधुनिक संग्रहालय विज्ञान के साथ जोड़ती है. नालंदा विश्वविद्यालय, जो पुराने जमाने में विश्व का सबसे बड़ा शैक्षणिक केंद्र था, अब बिहार संग्रहालय के साथ मिलकर राज्य की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने की दिशा में काम करेगा.
इसे भी पढ़ें: बदल गया दानापुर-सिकंदराबाद स्पेशल ट्रेन का रूट, अब बिहार के इस स्टेशन से शुरू होगी यात्रा
