हीट स्ट्रोक, अब तक पांच की जान ली

बिहारशरीफ : पारा के चढ़ने से लोगों की जिंदगी के लिए आफत बन गया है. इन दिनों गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखा रही है. सूरज आसमान से आग बरसा रहा है. इसके साथ ही हीट स्ट्रोक का कहर भी शुरू हो गया है. जिले में अब तक हीट स्ट्रोक (लू) की कहर से पांच लोगों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 18, 2019 6:16 AM

बिहारशरीफ : पारा के चढ़ने से लोगों की जिंदगी के लिए आफत बन गया है. इन दिनों गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखा रही है. सूरज आसमान से आग बरसा रहा है. इसके साथ ही हीट स्ट्रोक का कहर भी शुरू हो गया है. जिले में अब तक हीट स्ट्रोक (लू) की कहर से पांच लोगों की जान जा चुकी है. सिलाव बाजार स्थित संगत कुआं निवासी किशोरी चौधरी एवं बाजार निवासी दिलीप राम की लू लगने से सोमवार को मौत हो गयी.

वहीं वर्धमान मेडिकल कॉलेज में भर्ती एक लू से पीड़ित मरीज की मौत हो गयी. इसके पूर्व दो अन्य लोगों की मौत लू लगने से हो गयी थी. गर्मी के कारण बीमार पड़ने वाले मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है. जिला पदाधिकारी ने भीषण गर्मी को देखते हुए अस्पतालों में एलर्ट मोड पर रहने का आदेश दिया है. सभी पीएचसी में लू लगने वाले मरीजों की देखभाल के लिये जरूरी मेडिकल सुविधाएं प्रदान की जा रही है.
क्या है हीट स्ट्रोक
हीट स्ट्रोक को लू व उष्माघात भी कहा जाता है. हीट स्ट्रोक में पीड़ित के शरीर का तापमान अत्यधिक धूप व गर्मी की वजह से बढ़ने लगता है. हीट स्ट्रोक में शरीर में पानी की कमी हो जाती है और बेहोशी आने लगती है. लू लगने का प्रमुख कारण शरीर में नमक और पानी की कमी होना है. गरमी में पसीने के रूप में नमक और पानी का बड़ा हिस्सा शरीर से निकलकर खून की गरमी को बढ़ा देता है.
सिर में भारीपन महसूस होने लगता है, नाड़ी की गति बढ़ने लगती है. खून की गति भी तेज हो जाती है. सांस की गति भी ठीक नहीं रहती है तथा शरीर में ऐंठन महसूस होने लगती है. बुखार काफी बढ़ जाता है. हाथ व पैर के तलुओं में जलन सी होने लगती है.
क्या कहते हैं चिकित्सक
लू (हीट स्ट्रोक) लगने पर शरीर का तापमान बहुत बढ़ जाता है. गरमी की वजह से शरीर में पानी व नमक की कमी हो जाती है. तेज धूप व गरमी में नंगे बदन रहने वालों, बिना छाता या सिर को ढके बिना धूप में घूमने वालों, खुली धूप में आने-जाने वालों, शारीरिक रूप से कमजोर बच्चों, बुजुर्गों, कम पानी पीने वालों को अक्सर लू लग जाती है.
डॉ के.के. मणि, चिकित्सक, वर्द्धमान मेडिकल कॉलेज, पावापुरी