मूर्ति विसर्जन के लिए शहर में बने तीन कृत्रिम घाट, बूढ़ी गंडक में सीधे विसर्जन पर रोक
Three artificial ghats have been built in the city for idol immersion
::: पहली बार शहर के बीचों-बीच आमगोला ओरिएंट क्लब मैदान में बना है कृत्रिम घाट, बूढ़ी गंडक नदी किनारे लकड़ी ढाई एवं जगन्नाथ मिश्र कॉलेज के समीप भी कृत्रिम घाट का निर्माण
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
इस वर्ष दुर्गा पूजा के बाद मूर्ति विसर्जन सीधे बूढ़ी गंडक नदी में नहीं किया जायेगा. बिहार राज्य प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड की सख्ती और नदी को प्रदूषण से बचाने के लिए जिला एवं नगर निगम प्रशासन ने शहर में तीन बड़े कृत्रिम घाट तैयार कराये हैं. यह फैसला पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. प्रशासन द्वारा बनाये गये ये कृत्रिम घाट, पूजा समितियों को विसर्जन का सुरक्षित और पर्यावरण-हितैषी विकल्प प्रदान करेंगे. कृत्रिम घाटों का निर्माण बूढ़ी गंडक नदी किनारे लकड़ी ढाई और जगन्नाथ मिश्रा कॉलेज के समीप किया गया है. इनके अतिरिक्त, शहर के मध्य में स्थित आमगोला ओरिएंट क्लब मैदान में भी नगर निगम ने एक विशाल कृत्रिम घाट तैयार किया है. पहली बार पूजा समितियों की सुविधा का ख्याल रखते हुए शहर के बीचों-बीच ओरिएंट क्लब मैदान में कृत्रिम घाट का निर्माण किया गया है. इस घाट की खुदाई के बाद जल भरने का कार्य जोरों पर है. यह केंद्रीय स्थान पर होने के कारण शहरी क्षेत्र की पूजा समितियों के लिए विसर्जन का एक सुविधाजनक केंद्र बन सकता है. प्रशासन ने स्पष्ट रूप से सभी पूजा समितियों को इन कृत्रिम घाटों के उपयोग के बारे में सूचित कर दिया है. इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विसर्जन शांतिपूर्ण, व्यवस्थित और पर्यावरण के नियमों के अनुरूप हो. समितियों से अनुरोध किया गया है कि वे नदी के प्राकृतिक जल को प्रदूषित होने से बचाने के लिए केवल इन निर्दिष्ट कृत्रिम घाटों का ही प्रयोग करें. इस पहल से उम्मीद है कि धार्मिक आस्था के साथ-साथ नदी के स्वास्थ्य को भी सुरक्षित रखा जा सकेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
