नगर निगम : 30 फीसदी कम दर पर सड़क-नाला का टेंडर, गुणवत्ता हो रही प्रभावित

Tender for road and drain at 30% less rate

By Devesh Kumar | September 4, 2025 8:32 PM

::: 20 फीसदी राशि ऑफिस के ऊपर होती है खर्च, 10 फीसदी मुनाफा पर भी काम करने के बाद महज 40 प्रतिशत राशि ही योजना पर हो पा रही है खर्च

वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर

मुजफ्फरपुर नगर निगम और बुडको द्वारा चलायी जा रही विभिन्न विकास परियोजनाओं, जैसे सड़क और नाला निर्माण में इन दिनों ठेकेदारों और एजेंसियों के बीच भयंकर प्रतिस्पर्धा देखने को मिल रही है. यह प्रतिस्पर्धा इतनी बढ़ गई है कि निर्माण एजेंसियां अनुमानित लागत (एस्टीमेट) से 30 फीसदी तक कम दरों पर टेंडर भर रही हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि यह चलन नगर निगम के कार्यों की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है. जब कोई ठेकेदार अनुमानित लागत से लगभग 30 प्रतिशत कम दर पर काम लेता है, तो गुणवत्ता से समझौता होना स्वाभाविक है. ठेकेदारों को अपने ऑफिस के खर्च, कर्मचारियों का वेतन और अन्य परिचालन लागतों को भी पूरा करना होता है. इन खर्चों में लगभग 20 फीसदी तक की राशि लग जाती है. अगर ठेकेदार 10 प्रतिशत का मुनाफा भी जोड़ता है, तो निर्माण कार्य पर खर्च होने वाली वास्तविक राशि 40-50 प्रतिशत से भी कम रह जाती है. इस तरह के बिलो रेट पर काम मिलने के कारण, निर्माण सामग्री की गुणवत्ता में कटौती की जाती है और काम को जल्दबाजी में निपटाया जाता है.

समय से पहले टूट जाती हैं सड़कें

इसका नतीजा है कि नई बनी सड़कें और नाले कुछ ही समय में टूट-फूट जाते हैं. यह स्थिति न केवल जनता के पैसे का दुरुपयोग है, बल्कि शहर के बुनियादी ढांचे के लिए भी एक बड़ा खतरा है. नगर निगम को इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है और यह सुनिश्चित करना होगा कि विकास कार्यों में गुणवत्ता से कोई समझौता न हो. कम दरों पर टेंडर भरने के बजाय, गुणवत्ता और कार्यक्षमता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए. ताकि, शहर का विकास टिकाऊ और मजबूत हो सके.

कोट ::

कम रेट पर टेंडर अलॉट होने से सरकारी राशि की बचत हो जाती है. लेकिन, कही ना कहीं गुणवत्ता प्रभावित हो रहा है. कार्य की गुणवत्ता बरकरार रहे. इसके लिए नगर आयुक्त को जल्द ही निगम में काम करने वाले ठेकेदारों की मीटिंग बुलाने को बोलेंगे. एक बार मैं भी निर्माण एजेंसियों के साथ इस मसले पर बात करना चाहूंगी.

निर्मला साहू, महापौरB

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