महापौर के अधिकार में कटौती, सशक्त स्थायी समिति सदस्य अब पार्षदों के वोट से चुने जायेंगे
Members will now be elected by the votes of councillors
::: लोक सभा, विधान सभा सत्र के दौरान भी अब हो सकती है निगम बोर्ड की मीटिंग
मंत्री, विधायक, सांसद एवं एमएलसी की जगह उनके अधिकृत प्रतिनिधि को मीटिंग में उपस्थित रहने की मिली छूट
वरीय संवाददाता, मुजफ्फरपुर
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, राज्य सरकार ने नगर निकायों के संबंध में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. नगर विकास एवं आवास विभाग ने नगरपालिका एक्ट में संशोधन किया है, जिसके परिणामस्वरूप पार्षदों के अधिकार बढ़ गये हैं, जबकि महापौर के अधिकारों में कटौती की गई है. नये नियमों के अनुसार, अब महापौर अपनी कैबिनेट, यानी सशक्त स्थायी समिति, का गठन स्वयं नहीं कर पायेंगे. सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों का चुनाव पार्षदों के मतदान से होगा. यह पूरी प्रक्रिया जिलाधिकारी की निगरानी में संपन्न होगी. सरकार के इस फैसला से नगर निकाय के मुख्य पार्षदों को बड़ा झटका लगा है. विभाग ने यह फैसला नगर पालिका के कामकाज में पारदर्शिता लाने और विकास योजनाओं को तेजी से लागू करने के उद्देश्य से लिया है. इसके अलावा, अब निगम बोर्ड की बैठकों में मंत्री, विधायक और सांसदों के प्रतिनिधि भी मौजूद रह सकते हैं. हालांकि, उन्हें किसी भी मतदान में भाग लेने का अधिकार नहीं होगा. एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि अब विधानसभा या लोकसभा का सत्र चल रहा हो, तब भी नगर निगम बोर्ड की बैठकें हो सकती हैं. इस दौरान सांसद, विधायक, विधान पार्षद या फिर राज्य एवं केंद्रीय मंत्री के अधिकृत प्रतिनिधि मौजूद रह सकते हैं. विभाग ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है. सरकार के इस फैसला का पार्षदों ने स्वागत किया है. कहा है सरकार को यह फैसला पहले ही लेना चाहिए था. नगर निगम में महापौर की मनमानी पर अंकुश लगेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
