मुजफ्फरपुर में इमरजेंसी कॉल बॉक्स बना शोपीस. शहरवासियों को नहीं भरोसा

Emergency call box becomes a showpiece in Muzaffarpur.

By CHANDAN | August 26, 2025 7:39 PM

फ्लैग हेडिंग: स्मार्ट सिटी में ”पैनिक बटन” बेकार, ढाई साल में 200 बार भी नहीं हुआ इस्तेमाल

स्मार्ट सिटी योजना के तहत सुरक्षा के लिए लगाए गए कॉल बॉक्स. प्रचार के अभाव में बेकार

हाइलाइट्स

शहर के 31 प्रमुख चौराहों पर लगे हैं इमरजेंसी कॉल बॉक्स. मकसद था त्वरित सुरक्षा. 30 महीनों में केवल 200 लोग ही पहुंचे मदद मांगने. जागरूकता की कमी बड़ा कारण. स्मार्ट सिटी के कमांड एंड कंट्रोल रूम से जुड़े हैं बॉक्स. फिर भी नहीं हो रहा उपयोग. सिटी एसपी ने जागरूकता अभियान शुरू करने का किया ऐलान. खराब बॉक्स की होगी मरम्मत. छेड़खानी, चेन स्नैचिंग, सड़क हादसों में तुरंत मदद का था वादा. पर नाकाम रही योजना.

संवाददाता, मुजफ्फरपुर

स्मार्ट सिटी योजना के तहत मुजफ्फरपुर में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए 31 प्रमुख चौराहों पर नीले रंग के इमरजेंसी कॉल बॉक्स (पैनिक बटन) लगाए गए थे. लेकिन ढाई साल बाद भी ये बॉक्स शहरवासियों के लिए महज एक शोपीस बनकर रह गए हैं. 2022 के अंत से जुलाई 2025 तक इन बॉक्स के जरिए मदद मांगने वालों की संख्या महज 200 के आसपास है. स्मार्ट सिटी प्रबंधन की ओर से प्रचार-प्रसार की कमी और शहरवासियों की उदासीनता ने इस महत्वाकांक्षी योजना को फीका कर दिया है. लाखों रुपये की लागत से स्थापित ये कॉल बॉक्स छेड़खानी, चेन स्नैचिंग, सड़क हादसे या अन्य आपात स्थितियों में त्वरित मदद का वादा करते थे. लेकिन हकीकत यह है कि लोग इनके उपयोग से अनजान हैं या इन्हें नजरअंदाज कर रहे हैं. स्मार्ट सिटी के कमांड एंड कंट्रोल रूम से जुड़े ये बॉक्स जीपीएस और दो-तरफा संचार तकनीक से लैस हैं. फिर भी इनका उपयोग न के बराबर हो रहा है.

इन चौराहों पर हैं कॉल बॉक्स

शहर के प्रमुख चौराहों जैसे भगवानपुर चौक, अघोरिया बाजार, कलमबाग चौक, मोतीझील, जीरोमाइल, गोबरसही चौक, आमगोला चौक, कंपनीबाग, सरैयागंज टावर और बनारस बैंक चौक पर ये कॉल बॉक्स रणनीतिक रूप से लगाए गए हैं. इनका मकसद था भीड़-भाड़ वाले इलाकों में तुरंत पुलिस या मेडिकल मदद पहुंचाना. लेकिन जागरूकता की कमी और कुछ बॉक्स के खराब होने से यह योजना प्रभावी नहीं हो पाई़

सिटी एसपी का जागरूकता अभियान

सिटी एसपी कोटा किरण कुमार ने इस स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि जल्द ही इमरजेंसी कॉल बॉक्स के उपयोग को लेकर व्यापक जागरूकता अभियान चलाया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन दो घंटे ट्रैफिक कंट्रोल के लिए जागरूकता कार्यक्रम चल रहा है. और अब कॉल बॉक्स के महत्व को भी लोगों तक पहुंचाया जाएगा. साथ ही, खराब पड़े बॉक्स की मरम्मत का काम भी शुरू होगा ताकि ये पूरी तरह कार्यशील हो सकें.

कैसे काम करता है इमरजेंसी कॉल बॉक्स?

बटन दबाएं, मदद पाएं:

कॉल बॉक्स में एक बड़ा एसओएस बटन है. जिसे दबाने पर माइक्रोफोन और स्पीकर सक्रिय हो जाते हैं.

कंट्रोल रूम से त्वरित संपर्क:

बटन दबाते ही सिग्नल स्मार्ट सिटी के कमांड एंड कंट्रोल रूम या पुलिस कंट्रोल रूम तक पहुंचता है.

जीपीएस से सटीक लोकेशन:

जीपीएस तकनीक के जरिए कॉल बॉक्स का सटीक स्थान कंट्रोल रूम को मिल जाता है. जिससे मदद तुरंत पहुंचती है.

दो-तरफा संचार:

कंट्रोल रूम का ऑपरेटर व्यक्ति से सीधे बात कर स्थिति का आकलन करता है. और पुलिस, एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड भेजता है.स्मार्ट सिटी की यह पहल शहरवासियों की सुरक्षा के लिए क्रांतिकारी हो सकती थी. लेकिन प्रचार की कमी और रखरखाव में लापरवाही ने इसे बेकार बना दिया. अब सिटी एसपी के जागरूकता अभियान से उम्मीद जगी है कि लोग इन कॉल बॉक्स का उपयोग करेंगे. और यह योजना अपनी मंशा में कामयाब होगी.

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