मुजफ्फरपुर बाढ़ : मुशहरी से कटे तीन गांव, नाव के सहारे गांव में आ जा रहे हैं ग्रामीण

राजकुमारपीरमहमदपुर, रौशनपुर व रजवाड़ा कार्यालय गांव के लोगों का जीवन हुआ मुश्किलमुजफ्फरपुर : मुशहरी प्रखंड से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित पीरमहमदपुर, रौशनपुर व रजवाड़ा कार्यालय गांव का संपर्क प्रखंड से भंग हो गया. बांध से गांव जाने के लिए लोगों को एक घंटे से अधिक का समय लग रहा है. बूढ़ी गंडक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 23, 2019 8:29 AM

राजकुमार
पीरमहमदपुर, रौशनपुर व रजवाड़ा कार्यालय गांव के लोगों का जीवन हुआ मुश्किल
मुजफ्फरपुर
: मुशहरी प्रखंड से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित पीरमहमदपुर, रौशनपुर व रजवाड़ा कार्यालय गांव का संपर्क प्रखंड से भंग हो गया. बांध से गांव जाने के लिए लोगों को एक घंटे से अधिक का समय लग रहा है. बूढ़ी गंडक के जलस्तर में बढ़ोतरी के कारण निचले इलाकों में नदी का पानी फैल गया है. गांव के 60 प्रतिशत लोगों के घरों में पानी घुसा है. गांव में आवागमन का एक मात्र नाव ही है. प्रशासन से नाव की व्यवस्था नहीं मिलने के कारण गांव के लोग खुद ही नाव रखने लगे हैं. नाव से एक किलोमीटर पानी में जाने के बाद लोग गांव पहुंच रहे हैं.

नाव की कमी से बढ़ी परेशानी : नावों की कमी के कारण पीरमहमदपुर, रौशनपुर व रजवाड़ा गांव के लोगों को कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है. तीनों गांव के पांच हजार से अधिक की आबादी बाढ़ की पानी में घिरा हुआ है. नूनचक गांव होकर तीनों गांवों में जाने का कच्ची रास्ता है. हाल में ही मिट्टी की भराई हुई थी. लेकिन बाढ़ में रास्ता डूब गया है.

मवेशियों को नहीं मिल रहा है चारा : गांव के लोग जीवन यापन के लिए मवेशी पाले हुए हैं. गांव में पानी भर जाने के कारण मवेशियों के समक्ष चारे का घोर संकट पैदा हो गया है. प्रशासन की ओर से किसी भी प्रकार की राहत मुहैया नहीं करायी गयी है. पीर मोहमदपुर के नागेंद्र सहनी, राम सजन सहनी, बालदेव सहनी ने बताया कि सरकारी की ओर से किसी प्रकार का राहत सामग्री का वितरण गांव में नहीं किया गया है. प्रशासनिक उपेक्षा के कारण गांव में अब तक सड़क भी नहीं बन सकी है.

तबीयत बिगड़ी तो नाव पर ही जीये या मरें : चार दिनों से गांव पूरी तरह से ही पानी से डूबा है. गांव में जाने का रास्ता डूबने के कारण आवागमन में काफी परेशानी हो रही है. स्थानीय लोग इलाज के लिए झोला छाप डॉक्टर का सहारा लेते हैं. बाढ़ की मार के बाद प्रशासन की उपेक्षा से लोग परेशान है. गांव की बिजली को काट दिया गया है. ऐसे में लोगों को केरोसिन नहीं मिल रहा है. रामनाथ सहनी, विनोद सहनी ने बताया कि अगर गांव के लोग की तबीयत बिगड़ जाये तो भगवान ही भरोसा है. गांव के झोला छाप डॉक्टर से ठीक नहीं होने पर नाव से बांध पर जाना पड़ता है. आधे से एक घंटे नाव से बांध पर जाने पर लगता है.

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