सदर अस्पताल . इलाज कराने की जगह ओटीपी और पर्ची ऑनलाइन कराने में ही मरीज परेशान
मरीजों को इन मुसीबतों से छुटकारा दिलाने में सरकारी योजनाएं ही अस्पताल प्रबंधन के हाथों को बांध रही है.
– ओटीपी और पर्ची ऑनलाइन कराने के चक्कर में घंटों मरीज रहते हैं परेशान
समय पर निकल जाते हैं चिकित्सक, वाइटल जांच व पर्ची काउंटर पर ही रह जाते हैं अधिकांश मरीजमुंगेर
डेढ़ साल पहले सरकार ने मरीजों के लिए आभा और भव्या एप इसलिये लॉच किया, ताकि मरीजों को बार-बार पर्ची कटाने और लंबी लाइनों में लगने से छुटकारा मिल सके, लेकिन मुंगेर सदर अस्पताल में सरकारी की ये मंशा अब मरीजों के लिए मुसीबत बनती जा रही है. हाल यह है कि सदर अस्पताल के ओपीडी में इलाज कराने आने वाले मरीज अपना इलाज कराने की जगह ओटीपी और पर्ची को ऑनलाइन कराने में ही परेशान रहते हैं. जबकि समय होने पर चिकित्सक ओपीडी से चले जाते हैं और मरीज वाइटल जांच केंद्र और रजिस्ट्रेशन काउंटर के बीच ही उलझे रह जाते हैं. जबकि मरीजों को इन मुसीबतों से छुटकारा दिलाने में सरकारी योजनाएं ही अस्पताल प्रबंधन के हाथों को बांध रही है. जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है.मरीजों के लिये अपना पर्ची कटवाना जंग लड़ने के बराबर
बता दें कि साल 2024 के आरंभ में ही स्वास्थ्य विभाग ने मरीजों को रजिस्ट्रेशन के लिए लंबी लाइनों से छुटकारा दिलाने के लिए आभा एप लांच किया. वही मरीजों के सभी मेडिकल हिस्ट्री को पूरी तरह ऑनलाइन करने के लिए भव्या एप शुरू किया गया, लेकिन इस आभा एप के माध्यम से सदर अस्पताल के ओपीडी में मरीजों के लिये रजिस्ट्रेशन कराना जंग लड़ने के जैसा हो गया हैं. सदर अस्पताल के ओपीडी में मरीज अपना इलाज कराने सुबह 9 से 10 बजे के बीच जाते हैं. जिसके बाद शुरू होता है मोबाइल नेटवर्क और ओटीपी की परेशानी, क्योंकि आभा एप के लिए अब मरीजों को पर्ची कटाने को लेकर मोबाइल होना जरूरी है, क्योंकि बिना मोबाइल के मरीज अब अपना पर्ची नहीं कटा सकते हैं, लेकिन अस्पताल के ओपीडी में पहले से ही नेटवर्क की परेशानी है. जिससे मरीजों को आभा एप पर ओटीपी पाने के लिए रजिस्ट्रेशन काउंटर से बाहर निकल कर काफी देर इंतजार कराना पड़ता है. हलांकि ओटीपी आ गया तो ठीक, नहीं आया तो मरीजों के लिये बिना इलाज कराये जाना ही विकल्प बचता है, क्योंकि आभा एप के बिना अस्पताल में अब पर्ची ही नहीं कटती है.पर्ची ऑनलाइन कराना भी बड़ी मुसीबत
सदर अस्पताल में केवल पर्ची कटाना ही मरीजों के लिए जंग लड़ने जैसा नही है, बल्कि इसके बाद पर्ची पर वाइटल जांच या अन्य जांच को ऑनलाइन कराना भी जंग लड़ने से कम नहीं है. ओपीडी में आभा एप के जरीये यदि मरीज काफी मशक्कत कर पर्ची कटा भी लेते हैं तो उन्हें पहले अपना वाइटल जांच कराना होता है. वही वाइटल जांच को भी ऑनलाइन कराना होता है. जिसके बाद ही चिकित्सक मरीज का इलाज करते हैं. इसमें सबसे बड़ी मुसीबत इमरजेंसी में आने वाले मरीजों के लिए है. जिनका इलाज के दौरान यदि चिकित्सक किसी प्रकार का जांच लिखते हैं तो मरीजों को पहले अपना जांच को ऑनलाइन कराना होता है. जिसके बाद ही उनका एक्स-रे, अल्ट्रासाउंड या पैथोलॉजी जांच होता है.वाइटल जांच व पर्ची काउंटर पर ही उलझे रहते हैं अधिकांश मरीज
सदर अस्पताल में मरीजों के लिए खुद का इलाज कराना अब काफी मुश्किल हो गया है. आभा आईडी और भव्या एप के कारण हाल यह हो गया है सुबह 9 से अपराह्न 2 बजे तक चलने वाले ओपीडी में समय होने पर चिकित्सक तो चले जाते हैं, लेकिन अधिकांश मरीज पर्ची कटाने और वाइटल जांच कराने में ही उलझे रह जाते हैं. सोमवार को वैसे भी अस्पताल के ओपीडी में भीड़ अधिक होता है. ऐसे में ओपीडी में आये कई मरीजों ने बताया कि वे लोग सुबह 10 बजे ही अस्पताल आये, जहां आभा आईडी पर ओटीपी आने में लगभग एक घंटा लग गया. जिसके बाद उनका पर्ची कटा, लेकिन पर्ची कटाने के बाद वाइटल जांच में लंबी लाइन थी. जहां अपना वाइटल जांच कराने में ही 1.30 हो गया. इसके बाद जबतक वाइटल जांच ऑनलाइन हुआ, तबतक चिकित्सक चले गये और अब उन्हें 4 बजे तक चिकित्सक के आने का इंतजार करना होगा.कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक
सदर अस्पताल उपाधीक्षक डॉ निरंजन कुमार ने बताया कि विभागीय निर्देशानुसार आभा आईडी और भव्या एप से ही मरीजों का पर्ची काटा जा रहा है. हलांकि जिस मरीज के पास मोबाइल नहीं होता है. उनका रजिस्ट्रेशन काउंटर पर कार्यरत कर्मियों द्वारा किया जाता है. मॉडल अस्पताल में नेटवर्क की समस्या है. जिसके लिये सिविल सर्जन को जानकारी दी गयी है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
