जुगाड़ वाहनों के संचालन पर प्रशासन मौन जहरीले धुएं से घुट रहा आम लोगों का दम

मुंगेर : संशोधित नये परिवहन कानून प्रभावी होने के बावजूद आज भी शहर से लेकर ग्रामीण सड़कों पर भारी संख्या में अवैध जुगाड़ वाहन का परिचालन धड़ल्ले से जारी है. बावजूद जिला परिवहन विभाग द्वारा जुगाड़ वाहन के परिचालन पर रोक लगाने की पहल नहीं हो रही है. रोक के बावजूद जुगाड़ वाहनों पर न […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 6, 2019 8:35 AM

मुंगेर : संशोधित नये परिवहन कानून प्रभावी होने के बावजूद आज भी शहर से लेकर ग्रामीण सड़कों पर भारी संख्या में अवैध जुगाड़ वाहन का परिचालन धड़ल्ले से जारी है. बावजूद जिला परिवहन विभाग द्वारा जुगाड़ वाहन के परिचालन पर रोक लगाने की पहल नहीं हो रही है. रोक के बावजूद जुगाड़ वाहनों पर न सिर्फ यात्रियों व माल की ढ़ुलाई की जा रही है, बल्कि उससे निकलने वाले जहरीले धुआं से आम लोगों का दम घुट रहा है.

जिले भर में परिवहन नियम और वायु प्रदूषण को दरकिनार कर जहां लगभग 5 हजार से अधिक जुगाड़ वाहन सड़कों पर फर्राटे भर रहे हैं, वहीं हर महीने जहरीले धुआं का शिकार बन रहे सैकड़ों मरीज इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं. बावजूद परिवहन विभाग व मुंगेर पुलिस सिर्फ बाइक चेकिंग तक ही सिमटी हुई है.
सड़कों पर जहर उगल रहा जुगाड़ वाहन: मुंगेर जिले में धड़ल्ले से मोटर चालित जुगाड़ गाड़ी चल रही है. जुगाड़ वाहन सड़कों पर बेरोक-टोक जहर उगल रहा है और आम लोग लगातार उस जहरीले धुएं से बीमार होते जा रहे हैं. एक अनुमानित आंकड़े के तहत हर महीने दमा, सांस की बीमारी, यक्ष्मा सहित अन्य बीमारियों से पीड़ित लगभग 3 हजार रोगी जिले के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.
जुगाड़ वाहनों के परिचालन से सड़क किनारे की आबादी व राहगीर पीड़ित हो रहे हैं. इतना ही नहीं जुगाड़ वाहन से निकलने वाली जहरीली धुआं लगातार मुंगेर के वायु को प्रदूषित करते जा रही है.
मालूम हो कि एक साल पूर्व तक एयर क्वालिटी इनडेक्स रिपोर्ट के तहत मुंगेर की एक्यूआई वेरी गुड बतायी जाती थी, जो अब सिर्फ गुड तक सीमित रह गयी है. जल्द ही जिला प्रशासन सजग नहीं हुई तो मुंगेर की एयर क्वालिटी भी डेंजरलेवल जल्द पार कर जायेगी और लोग मुंगेर छोड़ने को विवश हो जायेंगे.
जहरीले धुएं से होती है खतरनाक बीमारी
मालूम हो कि सड़कों पर दौड़ रहे जुगाड़ वाहनों से निकलने वाले धुएं से शहर की हवा तेजी से जहरीली हो रही है. इन वाहनों के धुएं से निकलने वाली कार्बनडाई ऑक्साइड, सल्फरडाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी घातक गैस व लैरोसेल जैसे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कणों की मात्रा न सिर्फ शहर, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों की हवा को खतरनाक स्तर के आंकड़े पर ले जाने की ओर अग्रसर हो चुका है.
फिजीशियन डॉ के. रंजन ने बताया कि वायु प्रदूषण से लोगों को आमतौर पर सांस की बीमारी होती है. इसमें फेफड़ों में सूजन व दर्द की समस्या होती है. अस्थमा रोगियों के लिए वायु प्रदूषण बहुत खतरनाक होता है. अस्थमा के रोगियों को इससे बचकर रहना चाहिए. उन्होंने बताया कि वायु प्रदूषण के कारण कई लोगों की मौत समय से पहले ही हो जाती है.
सरकार को लग रहा राजस्व का चूना: जुगाड़ वाहनों के अवैध परिचालन से सरकार को हर साल करोड़ों रुपये के राजस्व का चूना लग रहा है. मालूम हो कि शहरी क्षेत्र में तो इस वाहन का उपयोग मुख्यत: माल ढ़ुलाई में किया जा रहा है. किंतु ग्रामीण क्षेत्र में जुगाड़ गाड़ी का इस्तेमाल यात्री को ढोने में भी किया जा रहा है, जो कई बार जानलेवा भी साबित हुआ है.
शहरी व ग्रामीण हाट-बाजार क्षेत्र में बेरोक-टोक जुगाड़ गाड़ी द्वारा सामान ढुलाई की जाती है. जिसके कारण सरकार को राजस्व भरने वाले मालवाहक वाहन के संचालकों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे संचालकों को यह मलाल है कि सड़कों पर माल ढ़ोने का राजस्व सरकार को वे देते हैं, किंतु जुगाड़ वाहन बगैर राजस्व भरे ही मालामाल हो रहा है.
जुगाड़ का न रजिस्ट्रेशन है और न ही इंश्योरेंस: मालूम हो कि जुगाड़ वाहन जोड़-तोड़ करके बनाया गया एक प्रकार का हाइब्रिड वाहन है, जो बिना रजिस्ट्रेशन और इंश्योरेंस के सड़कों पर दौड़ रही है. यहां तक कि इन्हें चलाने वालों के पास ड्राइविंग लाइसेंस तक नहीं होती है.
इस वाहन के धक्के से यदि किसी की मौत हो जाये या उस पर सवार यात्री की सड़क दुर्घटना में मौत हो जाये तो मृतक के परिजनों को इंश्योरेंस क्लेम भी नहीं मिलेगा. पूर्व में राज्य सरकार को सर्कुलर जारी कर जुगाड़ वाहन के खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट के मुताबिक कार्रवाई करने का भी निर्देश दिया गया है. बावजूद जिला परिवहन विभाग तथा स्थानीय थाना पुलिस द्वारा जुगाड़ वाहनों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है.
खतरनाक ढंग से ढोये जाते हैं सामान
जुगाड़ वाहनों पर जहां मजे से सामान को ढोया जा रहा है. वहीं क्षमता से कई गुणा ज्यादा यात्रियों को भी ढोने में परहेज नहीं किया जा रहा है. ऐसी जुगाड़ गाड़ियों पर सब्जी, सीमेंट, खाद्यान्न, भुसा, पुआल सहित लोहे की छड़, सरिया, पाइप एवं बांस जैसी नुकीली चीजें भी ढोते देखा जाता है़ भीड़-भाड़ वाले इलाके में यह ओवरलोड जुगाड़ वाहन तेज रफ्तार से भागती नजर आती है. जिससे हमेशा किसी दुर्घटना का भय बना रहता है.
जुगाड़ गाड़ियों के चालकों के पास मशीन युक्त ठेला गाड़ी को चलाने का न तो प्रशिक्षण होता है और न ही ड्राइविंग लाइसेंस ही होता है़ इतना ही नहीं इन जुगाड़ गाड़ियों में लाइट तक नहीं लगी होती है. इन्हीं सब कारणों से सुप्रीम कोर्ट ने इन जुगाड़ गाड़ियों पर रोक लगा दी. जिले में इन दिनों इस तरह की जुगाड़ गाड़ियों में लगातार इजाफा हो रहा है, लेकिन इसकी रोकथाम के लिए परिवहन विभाग या स्थानीय प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं कर रही है.
प्रदूषित हवा से ऐसे करें बचाव
जिस स्थान पर वायु प्रदूषित हो रही हो, वैसे स्थान पर ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी वाली एक्सरसाइज, क्रिकेट, हॉकी, साइकलिंग, मैराथन से परहेज करें. ऐसे स्थानों पर पार्क में भी दौड़ने और टहलने ना जाएं.
घर से बाहर निकलने से पहले चेहरे पर मास्क जरूर लगाएं.
अपने घर और आस-पास की जगहों पर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाएं. ये हवा को प्यूरीफाई करने का काम करते हैं. जिससे आप ताजी हवा में सांस ले पाएंगे.
सांसों से शरीर में पहुंचे जहर को बाहर निकालने के लिए पानी बहुत जरूरी है. इसलिए पानी पीना नहीं भूलें. दिन में तकरीबन 4 लीटर तक पानी पियें. घर से बाहर निकलते वक्त भी पानी पियें. इससे शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई सही बनी रहेगी और वातावरण में मौजूद जहरीली गैसें अगर ब्लड तक पहुंच भी जाएंगी तो कम नुकसान पहुंचाएंगी.
खाने में जितना हो सके विटामिन-सी, ओमेगा-3 को प्रयोग में लाएं. शहद, लहसुन, अदरक का खाने में ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें. खांसी, जुकाम की स्थिति में शहद और अदरक के रस का सेवन करें.
अगर घर से बाहर निकलना आपकी मजबूरी है तो घर आने के बाद गुनगुने पानी से मुंह, आंखें और नाक साफ करें. बाहर से आने के बाद भाप भी ले सकते हैं.
जब तक प्रदूषण है तब तक बच्चों को बाहर खेलने ना निकलने दें. साइकिलिंग करने से बचें, ज्यादा देर पैदल ना चलें.
कफ की दिक्कत है तो शहद में काली मिर्च मिलाकर लें. लहसुन में एंटीबॉयटिक तत्व होते हैं, जो प्रदूषण से लड़ने की क्षमता बढ़ाते हैं.
अस्थमा के मरीज हैं तो दवाइयां हमेशा साथ रखें. गर्भवती महिलाएं घर में रहने के दौरान भी मास्क पहनें.