दरभंगा के पुरुष, समस्तीपुर की महिलाएं सबसे अधिक मधुमेह पीड़ित,नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे के आंकड़े चिंताजनक

पश्चिम चंपारण के पुरुष और शिवहर की महिलाएं मधुमेह से कम पीड़ित हैं. विगत वर्षों में महिलाओं में मधुमेह का प्रतिशत बढ़ा है. पिछले पांच वर्षों में मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर में तीन से पांच प्रतिशत तक महिलाएं मधुमेह से पीड़ित हुई हैं.

By Prabhat Khabar | November 14, 2023 4:11 PM

मुजफ्फरपुर. दरभंगा के पुरुष और समस्तीपुर की महिलाएं सबसे अधिक मधुमेह से पीड़ित हैं. इनकी गणना मधुमेह के हाइरिस्क कैटेगरी में की गयी है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की जिलावार रिपोर्ट में उत्तर बिहार के इन दोनों जिलों में मधुमेह पीड़ितों की संख्या अधिक है. पश्चिम चंपारण के पुरुष और शिवहर की महिलाएं मधुमेह से कम पीड़ित हैं. विगत वर्षों में महिलाओं में मधुमेह का प्रतिशत बढ़ा है. पिछले पांच वर्षों में मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर में तीन से पांच प्रतिशत तक महिलाएं मधुमेह से पीड़ित हुई हैं. पुरुषों व महिलाओं के तुलनात्मक आंकड़ों को देखें, तो पुरुषों की अपेक्षा मधुमेह पीड़ित महिलाओं में दो से चार प्रतिशत तक ही अंतर है. जिस रफ्तार से पुरुष मधुमेह से पीड़ित हो रहे हैं, महिलाओं में भी उसी तरह इस रोग का प्रसार बढ़ रहा है.

मधुमेह कंट्रोल करने में मुजफ्फरपुर आगे

मधुमेह कंट्रोल करने में उत्तर बिहार के अन्य जिलों में मुजफ्फरपुर सबसे आगे है. 2015 में यहां 14.1 प्रतिशत पुरुष मधुमेह के हाइरिस्क जोन में थे, लेकिन पांच वर्षों में बीमारी के प्रति जागरूकता के कारण पुरुष और महिलाओं ने अपना मधुमेह कंट्रोल कर लिया है. इसके पीछे सरकारी और सामाजिक संगठनों की ओर से नियमित अंतराल पर चलाये जा रहे जागरूकता कार्यक्रम है.

मधुमेह पीड़ितों का डाटा

जिला – पुरुष – महिलाएं

  • मुजफ्फरपुर – 6.9 – 6.9

  • मधुबनी – 9.3 – 7.4

  • पश्चिमी चंपारण – 5.9 – 4.3

  • पूर्वी चंपारण – 8.1 – 5.3

  • समस्तीपुर – 7.9 – 8.0

  • दरभंगा – 13.7 – 6.4

  • सीतामढ़ी – 8.8 – 6.2

  • शिवहर – 8.7 – 4.2

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ग्लूकोमीटर की बिक्री में 30 प्रतिशत तक इजाफा

मधुमेह के प्रति सचेत होने के कारण मुजफ्फरपुर में पिछले दो वर्षों में ग्लूकोमीटर की बिक्री में 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ है. ऐसे लोग जो मधुमेह से पीड़ित हैं, वे ग्लूकोमीटर घर पर रखने लगे हैं. इससे उन्हें साप्ताहिक अपना मधुमेह चेक करने में सुविधा मिली है. बाजार में ग्लूकोमीटर की कीमत आठ सौ रुपये से लेकर तीन हजार रुपये तक है. इसकी बिक्री बढ़ी है. इसके अलावा प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र में इसकी कीमत 500 रुपये होने के कारण इसकी डिमांड अधिक है.

मधुमेह की दवाओं की बिक्री भी बढ़ी

मधुमेह के रोगियों में बढ़ोतरी और पुराने रोगियों में इलाज के प्रति जागरूकता के कारण दवाओं की बिक्री में भी 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. रोगी अब नियमित रूप से दवाएं ले रहे हैं. दवा विक्रेता आमोद कुमार ने बताया कि दवाओं की बिक्री बढ़ी है. पहले मधुमेह की विभिन्न दवाओं के रोज का कारोबार एक हजार रुपये होता था, अब करीब 1200 रुपये हो रहा है. इसके अलावा जन औषधि केंद्र से भी दवाएं बिक रही हैं. सरकारी अस्पतालों से मरीजों को नि:शुल्क दवा दी जा रही है.

मधुमेह होने पर तुरंत उपचार जरूरी

अपने देश में मधुमेह तेजी से बढ़ रहा है. इसका प्रमुख कारण अनियमित जीवनशैली और खान-पान है. इसका समय पर उपचार जरूरी है. समय पर उपचार नहीं होने से स्थिति बिगड़ सकती है. मधुमेह दिवस पर इस बार की थीम है- ‘अपने मधुमेह को जानें और उस पर नियंत्रण करें.’ इसके लिए संगठित रूप से प्रयास की जरूरत है. मधुमेह से बचाव के लिए तनाव पर नियंत्रण, संतुलित व समय पर उचित मात्रा में भोजन, सक्रिय जीवनशैली, व्यसन से बचाव, सात से आठ घंटे की नींद, मोटापा से बचाव और आध्यात्मिक जीवन शैली अपना जरूरी है. अगर किसी के परिवार में कोई मधुमेह पीड़ित हो, तो 25 वर्ष की उम्र में मधुमेह की जांच कराएं.

  • – डॉ बीबी ठाकुर, वरीय फिजिशियन

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