Madhubani News : दीपावली में कम से कम पटाखे चलाएं : सिविल सर्जन

घर- घर में साफ सफाई व त्योहार से संबंधित आवश्यक सामानों की खरीदारी जोरों पर है.

By GAJENDRA KUMAR | October 17, 2025 10:47 PM

मधुबनी.

घर- घर में साफ सफाई व त्योहार से संबंधित आवश्यक सामानों की खरीदारी जोरों पर है. दीपावली में पटाखे की शोर व दमघोंटू धुएं से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है. यह समय सभी आयु वर्ग के लिए सतर्कता बरतने का समय है, नवजातों, बुजुर्गों और गर्भवती की सेहत के लिए अधिक ख्याल रखने की जरूरत है. इसलिए त्योहार मनाते समय उनकी असुविधाओं को नजरंदाज नहीं करें और ध्यान रखें कि वे घर में सुरक्षित रहें.

रोशनी के जरिये त्योहार में बांटें खुशियां, प्रदूषण नहीं

सिविल सर्जन डॉ. हरेंद्र कुमार ने कहा कि पटाखों की तेज आवाज और धुआं वैसे तो सभी आयु वर्ग के लिए नुकसानदायक होता है. लेकिन पांच साल से कम उम्र के बच्चों और 60 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण इन्हें नुकसान होने की अधिक संभावना रहती है. इस उम्र में बुजुर्ग अस्थमा, हृदय संबंधित रोग या अन्य मानसिक और शारीरिक रोगों से जूझ रहे होते हैं. ऐसे में पटाखों के घातक तत्वों सल्फर डाई ऑक्साइड, नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड, कॉपर, लेड, मैग्नेशियम, सोडियम, जिंक, नाइट्रेट एवं नाइट्राइट से फैले जहरीले धुआं इनके लिए हानिकारक हो सकता है. पटाखों की तेज आवाज से मानसिक तनाव, हृदयाघात, कान के पर्दे फटने का या तेज रौशनी से आंखों को नुकसान होने का डर रहता है. यही नहीं पटाखों से निकलने वाले घातक तत्वों से त्वचा को भी नुकसान पहुंचता है. बुजुर्गों को इस दौरान घर के बाहर नहीं निकलने दें. दमा के मरीजों को हमेशा इन्हेलर साथ रखने और जरूरत पड़ने पर तुरंत इस्तेमाल की हिदायत दें. उनमें किसी भी प्रकार की शारीरिक या मानसिक असुविधा या बदलाव दिखे तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें. साथ ही पटाखों के धुएं से वायु प्रदूषण को भी बढ़ावा मिलता है, इसलिए रोशनी के जरिये त्योहार में खुशियां बांटें प्रदूषण नहीं.

शिशुओं और गर्भवती को भी सतर्कता की जरूरत

पटाखों से सिर्फ बुजुर्गों को हीं नहीं छोटे बच्चों और गर्भवतियों को भी नुकसान पहुंचता है. इसकी तेज आवाज से जहां शिशुओं के कान के पर्दे फटने, त्वचा और आंखों का नुकसान का डर होता है, वहीं गर्भवती महिलाओं के गर्भस्थ शिशु को भी नुकसान होता है. इससे शिशु के जन्म के बाद भी उसमें कई विकृतियां हो सकती हैं. इसलिए शिशुओं और गर्भवती माताओं को भी बाहर नहीं निकलने दें.

श्वसन तंत्रिका हो सकती है प्रभावित

दीपावली में पटाखों के चलाने से उत्पन्न वायु प्रदूषण व्यक्ति के श्वसन तंत्रिका को प्रभावित करती है. इससे वैसे लोग जो पहले से सांस संबंधी बीमारियों से ग्रसित हैं, उनके लिए यह प्रदूषण काफी खतरनाक हो सकता है. इसलिए आवश्यक है कि कम से कम पटाखे चलाये जायें. किसी भी तरह से श्वसन तंत्रिका का संक्रमित या कमजोर हो जाना हमारे लिए घातक हो सकता है. दीपावली में कम से कम पटाखें चलायें. पटाखों से वायु प्रदूषण की संभावना. नेत्र एवं श्वसन तंत्रिका हो सकती प्रभावित. प्रदूषण कोरोना की दृष्टि से भी सही नहीं.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है