Madhubani News : विश्व थैलेसिमिया दिवस पर विशेष : दो वर्ष से कम आयु के शिशुओं को अधिक खतरा

थैलेसीमिया एक रक्त जनित रोग है, जो मानव शरीर में हीमोग्लोबिन के उत्पादन को कम करता है.

By GAJENDRA KUMAR | May 7, 2025 10:10 PM

मधुबनी.

थैलेसीमिया एक रक्त जनित रोग है, जो मानव शरीर में हीमोग्लोबिन के उत्पादन को कम करता है. चिकित्सकों की मानें तो हीमोग्लोबिन ही पूरे शरीर की कोशिकाओं में ऑक्सीजन को पहुंचाने का काम करती है. हीमोग्लोबिन का कम स्तर शरीर के विभिन्न अंगों में ऑक्सीजन की कमी लाता है. इससे ग्रसित व्यक्ति के शरीर में रक्ताल्पता या एनीमिया की शिकायत हो जाती है. शरीर का पीलापन, थकावट एवं कमजोरी का एहसास होना इसके प्राथमिक लक्षण होता हैं. शीघ्र उपचार नहीं होने पर थैलेसीमिया के मरीज के शरीर में खून के थक्का जमा होने लगता है. थैलेसीमिया के बारे में जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से हर वर्ष 8 मई को विश्व थैलेसीमिया दिवस मनाया जाता है. विश्व थैलेसीमिया दिवस 2025 की थीम ” थैलेसीमिया के लिए एक साथ: समुदायों को एकजुट करना, मरीजों को प्राथमिकता देना ” रखा गया है. थीम रोगी-केंद्रित देखभाल पर केंद्रित है. जो समग्र कल्याण को बढ़ावा देता है. सिविल सर्जन डॉ. नरेश कुमार भीमसारिया ने कहा कि थैलेसिमिया एक गंभीर रोग है जो वंशानुगत बीमारियों की सूची में शामिल है. इससे शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है. 2 वर्ष से कम आयु के शिशुओं को थैलेसीमिया से अधिक पीड़ित होने की संभावना रहती है. ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. कुणाल कौशल ने कहा ब्लड बैंक में थैलेसीमिया से ग्रसित 75 मरीज पंजीकृत हैं. जो नियमित ब्लड ट्रांसफ्यूजन पर हैं. इसमें 68 थैलेसीमिया से पीड़ित मरीजों को ब्लड बैंक द्वारा प्रतिमाह 65-70 युनिट ब्लड नि: शुल्क उपलब्ध कराया जाता है. जबकि 8 मरीज दरभंगा व अन्य जिले में ब्लड ट्रांसफ्यूजन कराते हैं.

थैलेसीमिया के प्रारंभिक लक्षण

शरीर एवं आंखों का पीलापन, पीलिया से ग्रसित होना, स्वभाव में चिड़चिड़ापन, भूख नहीं लगना,

थकावट एवं कमजोरी महसूस होना, बार-बार बीमार होना, सर्दी, जुकाम बने रहना, कमजोरी और उदासी रहना, आयु के अनुसार शारीरिक विकास नहीं होना एवं सांस लेने में तकलीफ होना शामिल है.

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