Madhubani News : अब ग्राम पंचायतों में प्लास्टिक कचरे का हो रहा निपटान

जिले के ग्रामीण इलाकों में लापरवाही से फेंके गए प्लास्टिक कचरे का सफलतापूर्वक निपटान किया जा रहा है.

By GAJENDRA KUMAR | June 3, 2025 10:46 PM

मधुबनी.

जिले के ग्रामीण इलाकों में लापरवाही से फेंके गए प्लास्टिक कचरे का सफलतापूर्वक निपटान किया जा रहा है. इस प्रक्रिया को एक उद्यम में बदल दिया गया है. गांवों से हर दिन प्लास्टिक कचरा इकट्ठा किया जा रहा है. इसे बेच कर लाखों रुपये राजस्व भी मिल रहा है. पर्यावरण संरक्षण के दृष्टिकोण से इस पहल ने न केवल प्रदूषण को कम किया है बल्कि पंचायत की आय में भी बढ़ोतरी हुई है. इकट्ठे किए गए कचरे में से ज्यादातर सड़क के किनारे छोड़े गए मिनरल पानी और कोल्ड ड्रिंक की बोतलें हैं. विदित हो कि लोहिया स्वच्छ बिहार अभियान एवं स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत मधुबनी में प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन की दिशा में अभिनव पहल की गई है. इस यूनिट में पंचायत के आसपास के वार्डों से प्लास्टिक कचरे का संग्रहण किया जा रहा है. जिसे गांवों में कार्यरत स्वच्छता कर्मी स्वयं एकत्र कर रहे हैं. स्वच्छता कर्मी अपने गांव को स्वच्छ बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं. इस कार्य के माध्यम से आर्थिक आत्मनिर्भरता भी हासिल कर रहे हैं.

गांवों में सतत विकास की अवधारणा हुई मजबूत

मधुबनी में अब तक कुल 23064 किलो प्लास्टिक कचरे का संग्रहण किया गया है. वहीं 18008 किलो कचरा को विभिन्न रिसाइक्लिंग एजेंसियों को बेच दिया गया है. बिक्री से अब तक 1 लाख 61 हजार 235 रुपये राजस्व की प्राप्ति भी हो चुकी है. इससे पता चलता है कि अब बिहार में गुड़िया से कला और आय मिश्रण का प्रबंधन हो रहा है. डब्ल्यूपीयू ने गांव को साफ किया है. बेरोजगारों को गांव में ही रोजगार और आत्म-सम्मान भी दिया. अब कचरे से कमाई हो रही हैं.

बेलिंग मशीन से कचरे का बनाया जा रहा बंडल

यूनिट में कार्यरत स्वच्छता कर्मी एकत्र कचरे की छंटाई करते हैं. इसके बाद यूनिट में स्थापित आधुनिक बेलिंग मशीन के माध्यम से प्लास्टिक कचरे को बंडल कर पुनर्चक्रण कंपनियों को बेचा जाता है. यह प्रक्रिया कचरे के सुरक्षित निपटान के साथ-साथ राजस्व सृजन का भी एक प्रभावी मॉडल बन गया है.

गांवों की सफाई में स्वच्छता कर्मी की है अहम भूमिका

स्वच्छता कर्मी गांवों की साफ-सफाई में अहम भूमिका निभा रहे हैं. अपने श्रम से अतिरिक्त आय अर्जित कर परिवार की आर्थिक स्थिति को भी सशक्त बना रहे हैं. इससे स्वच्छता से स्वावलंबन की दिशा में जिले ने एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है. यह पहल ग्रामीण स्तर पर स्वच्छता, पर्यावरण जागरूकता और महिला सशक्तिकरण का जीवंत उदाहरण बनकर उभर रहा है.

पंचायत में वेस्ट प्रोसेसिंग यूनिट की हुई है स्थापना

ग्राम स्तर पर प्लास्टिक कचरे के प्रबंधन की यह व्यवस्था स्वच्छता और सतत विकास दोनों लक्ष्यों की पूर्ति कर रही है. इससे न केवल पर्यावरण सुरक्षित हो रहा है, बल्कि स्वच्छता कर्मियों को एक नई आर्थिक दिशा भी मिल रही है. सभी पंचायतों में एक-एक प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट की स्थापना की जा चुकी है. सभी यूनिट्स में प्लास्टिक कचरे के पुनर्चक्रण की प्रक्रिया प्रारंभ है और यह कार्य लगातार विस्तार की ओर अग्रसर है.

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