Madhubani News : अंग्रेजी दवा लिखने को मजबूर हो रहे आयुष चिकित्सक
स्वास्थ्य विभाग की ओर से अस्पताल में आने वाले मरीजों का एलोपैथिक के साथ आयुर्वेदिक, होमियोपैथिक व युनानी पद्धति से इलाज शुरू किया गया, लेकिन डेढ़ वर्ष बाद भी आयुष चिकित्सकों का ओपीडी संचालित नहीं हो पाया है.
मधुबनी.
स्वास्थ्य विभाग की ओर से अस्पताल में आने वाले मरीजों का एलोपैथिक के साथ आयुर्वेदिक, होमियोपैथिक व युनानी पद्धति से इलाज शुरू किया गया, लेकिन डेढ़ वर्ष बाद भी आयुष चिकित्सकों का ओपीडी संचालित नहीं हो पाया है. विडंबना यह है कि जिले के एपीएचसी, सीएचसी, अनुमंडलीय अस्पताल सहित सदर अस्पताल में 119 नियमित आयुष चिकित्सकों को पदस्थापित किया गया, लेकिन आयुर्वेदिक दवा उपलब्ध नहीं होने के कारण इन चिकित्सकों को अंग्रेजी दवाएं लिखने की मजबूरी है. सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि आयुष चिकित्सकों का आइडी जेनरेट नहीं होने के कारण इनसे इमरजेंसी व प्रसव कक्ष में ड्यूटी ली जा रही है. सदर अस्पताल में पदस्थापित आयुष चिकित्सक डॉ. सरस्वती भारती ने कहा कि आयुष में एमडी किया, लेकिन वे अपनी पद्धति से लोगों का इलाज नहीं कर पा रही है. इसके कारण संतुष्टि नहीं मिलती है. डॉ. भारती ने कहा कि मेरी ड्यूटी प्रसव कक्ष में रविवार व सोमवार को रहती है. इस दौरान मरीज मुझे आयुर्वेदिक दवा लिखने का आग्रह करते हैं. मरीज दवा बाजार से खरीदकर अपना इलाज करा रहे हैं. उन्होंने कहा ऐसे 100 से अधिक मरीज हैं, जो रविवार व सोमवार को मेरी ड्यूटी का इंतजार करते हैं. सरकार की ओर से आयुर्वेदिक दवाएं उपलब्ध नहीं करायी जा रही है. कई चिकित्सक आयुर्वेदिक दवा लिख भी रहे हैं, तो मरीज को बाहर की दुकानों से दवा खरीदनी पड़ती है. जिले के अलग-अलग अस्पतालों में पिछले वर्ष आयुष चिकित्सकों को पदस्थापित किया गया था. उन्हें तीन माह का एलोपैथिक प्रशिक्षण भी दिया गया था.जिला में 119 आयुष चिकित्सक पदस्थापित
मार्च 2024 में जिला में 119 नियमित आयुष चिकित्सकों को पदस्थापित किया गया था. इसमें सदर अस्पताल में 2 फिजिशियन आयुष चिकित्सक, 2 यूनानी आयुष चिकित्सक एवं 1 होमियोपैथिक आयुष चिकित्सक पदस्थापित हैं. इसके अलावे अनुमंडलीय अस्पताल बेनीपट्टी, झंझारपुर एवं फुलपरास में दो-दो एवं जयनगर में 1 आयुष चिकित्सक पदस्थापित हैं. वहीं 10 सीएचसी में एक-एक एवं 97 एपीएचसी में आयुष चिकित्सक पदस्थापित हैं, जबकि 97 एपीएचसी में 97 आयुष चिकित्सकों को पदस्थापित किया गया है.आयुर्वेद में प्रशिक्षित एलोपैथ में लिख रहे दवा
सदर अस्पताल में पदस्थापित डॉ. सरस्वती भारती ने कहा कि हमारी शिक्षा आयुर्वेद में हुई है. इसमें हमने एमडी भी की है. आयुर्वेदिक दवा आपूर्ति नहीं होने के कारण एलोपैथिक दवाएं लिखने की मजबूरी है. सीएचसी खुटौना में पदस्थापित डॉ. रंजीता ने भी कहा कि हमारी पढ़ाई आयुर्वेदिक चिकित्सा में हुई है, हालांकि तीन माह के प्रशिक्षण में एलोपैथिक दवा की जानकारी दी गयी. आयुर्वेदिक दवा की आपूर्ति नहीं होने के कारण एलोपैथिक दवा लिखने की मजबूरी है. स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार, राज्य आयुष समिति की ओर से पेटेंट सहित कुल 280 प्रकार की दवाओं की सूची स्वास्थ्य विभाग को पिछले साल ही भेजी गयी थी.
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